रिहायशी बस्ती रामकटोरा का दम घोंट रहे अवैध ट्रांसपोर्ट

रिहायशी बस्ती रामकटोरा का दम घोंट रहे अवैध ट्रांसपोर्ट
  • ट्रांसपोर्ट के मकड़जाल में जकड़ा हुआ पूरा इलाका 
  • कहीं से भी किसी को निकलने का नहीं बचता है रास्ता
  • जान जोखिम में डाल कर ही लोग इधर से गुजरते हैं
  • रात भर सामानों के लादने-उतारने से होने वाली आवाजों से लोगों की नींद है हराम
  • मालवाहकों के चलते जाम की चपेट में रहता है यह पूरा इलाका 
  • राम के कटोरा को कम से कम ट्रांसपोर्ट नगर तो मत बनाइये

राधेश्याम कमल

वाराणसी (रणभेरी) : वीआईपी मार्ग से ट्रांसपोर्ट नगर बना रामकटोरा, जाम-हादसों के बीच सिसकती जिंदगी बनारस का कभी वीआईपी इलाकों में शुमार रहा रामकटोरा मार्ग आज बदहाली की मिसाल बन चुका है। हालात ऐसे हैं कि यह पूरा क्षेत्र अब किसी ट्रांसपोर्ट नगर से कम नहीं दिखता। दिन हो या रात, भारी मालवाहकों की आवाजाही, सड़कों पर खड़े ट्रक और लगातार लोडिंग-अनलोडिंग के चलते यह इलाका हमेशा जाम की गिरफ्त में रहता है। लोगों का कहना है कि यहां से गुजरना अब जोखिम भरा हो गया है, क्योंकि कब कौन सा हादसा हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। जगतगंज चौराहे से लेकर रामकटोरा, रामपुरी कॉलोनी से रामकुंड और पिसनहरिया कुआं तक सुबह से रात तक जाम की स्थिति बनी रहती है। संकरी सड़कों पर जब एक साथ कई मालवाहक खड़े हो जाते हैं, तो पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है। अगर किसी को जगतगंज से रामकटोरा की ओर जाना हो, तो हर कदम फूंक-फूंक कर रखना पड़ता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मार्ग से गुजरते समय हमेशा मन में डर बना रहता है।

रात के समय हालात और भी बदतर हो जाते हैं। ट्रकों पर सामान लादने और उतारने के दौरान तेज आवाजें गूंजती रहती हैं, जिससे आसपास रहने वाले लोगों की नींद हराम हो जाती है। बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों के लिए यह स्थिति किसी यातना से कम नहीं है। रामकटोरा रामकुंड के सामने स्थित एक स्कूल के पास और बनारस की सबसे पुरानी कॉलोनियों में से एक रामपुरी कॉलोनी के आगे तक मालवाहकों की कतारें लगी रहती हैं। रामकटोरा क्षेत्र में एक रेस्टोरेंट के पास स्थिति और गंभीर है। यहां चारों ओर ट्रक और टेंपो खड़े रहते हैं, जिससे परिवार के साथ आने-जाने वालों को काफी परेशानी होती है। समय पर पहुंचना तो दूर, कई बार लोग जाम में फंसकर लौटने को मजबूर हो जाते हैं। रामकटोरा चौराहे से धूपचंडी तक और रामपुरी कॉलोनी से पिसनहरिया कुआं तक पूरा इलाका ट्रांसपोर्टरों के कब्जे में नजर आता है।

गौरतलब है कि करीब दो दशक पहले रामकटोरा से आईटीसी (इंडिया ट्रांसपोर्ट कंपनी) समेत कई ट्रांसपोर्टरों को नोटिस देकर हटाया गया था। लेकिन इनके हटते ही कुकुरमुत्ते की तरह नए-नए ट्रांसपोर्ट उग आए। ये ट्रांसपोर्टर पूर्वांचल, बिहार, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ और सोनभद्र जैसे इलाकों में माल सप्लाई करते हैं। सुबह से देर रात तक मालवाहकों का तांता लगा रहता है, जिससे यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। धूपचंडी स्थित चित्रकूट रामलीला मैदान की स्थिति भी चिंताजनक है। नो-एंट्री के डर से ड्राइवर ट्रकों को रामलीला मैदान में खड़ा कर देते हैं। साल में एक बार ही नगर निगम द्वारा सफाई होने वाला यह मैदान बाकी समय ट्रकों का अड्डा बना रहता है। यही नहीं, चालक खुले में मल-मूत्र त्याग करते हैं, जबकि नगर निगम सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी करने वालों पर कार्रवाई के आदेश जारी कर चुका है। बावजूद इसके यहां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

रामकटोरा चौराहे पर अवैध ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शराब की दुकानें भी हैं, जहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। स्थानीय लोगों का सवाल है कि आखिर रामकटोरा क्षेत्र से अवैध ट्रांसपोर्ट कब हटाए जाएंगे। कब इस इलाके को जाम, गंदगी और डर से मुक्ति मिलेगी, ताकि लोग सुकून की जिंदगी जी सकें।