Sakat Chauth 2022 Date:कल माताएं रखेंगी संतान की सुख-समृद्धि-आरोग्यता का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
(रणभेरी): माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर विघ्नेश्वर गणेश की आराधना होगी। इस साल सकट चौथ का व्रत संकष्टी गणेश चतुर्थी पर चंद्रोदय काल में महिलाएं 21 जनवरी को निर्जला व्रत रखेंगी। शास्त्रीय मान्यताओं के मुताबिक, माताएं संतान की दीर्घायु, आरोग्यता, सुख-समृद्धि की कामना के लिए भगवान गणेश की विशेष रूप से उपासना करती हैं।चंद्रोदय के उपरांत अर्घ्य देकर भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजन होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि सनातन संस्कृति में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की विशेष आराधना की जाती है। चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह 7.26 बजे से लेकर 22 जनवरी शनिवार की सुबह 7.24 बजे तक रहेगी। वहीं, चंद्रोदय रात 8.39 बजे होगा। चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय काल मिलने से माताएं 21 को व्रत रखेंगी।प्रत्येक वर्ष माघ के महीने में सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित किया जाता है। इस दिन गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और सकट चौथ व्रत कथा का पाठ किया किया जाता है।
आइए जानते हैं कि कब है पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय।
चतुर्थी तिथि आरंभ: 21 जनवरी, शुक्रवार, प्रातः 08:51 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 जनवरी, शनिवार, प्रातः 09:14 बजे तक
चंद्रोदय का समय: 21 जनवरी, रात्रि लगभग 9:00 बजे होगा।
शुभ योग: शुक्रवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सिद्धि योग बन रहा है।
पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें,पूजा स्थल की अच्छे से सफाई कर लें फिर लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।उनके सामने घी का दीप प्रजवलित करें और सिंदूर से तिलक करें। इसके बाद गणेश जी को फल- फूल और मिष्ठान का भोग लगाएं।पूजा के दौरान गणेश जी को 21 दूर्वा गांठे उनके अलग अलग नाम का उच्चारण करके अर्पित करें। सायं काल में चंद्रदेव को अर्घ्य दें और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करके इस व्रत का पारण करें।