Ganga Saptami 2023: काशी के गंगा घाटों पर उमड़ा जनसैलाब, कहीं सूर्य को अर्घ्यदान तो कहीं हुआ दुग्धाभिषेक
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में अवतरण दिवस गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर गुरुवार को गंगाघाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी। सुबह से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर दुग्धाभिषेक कर रहे है। घाटों पर कई जगह सूर्य को अर्घ्यदान भी अर्पित किया गया। हर-हर गंगे के साथ आस्थावानों की भीड़ को लेकर जल पुलिस सभी घाटों पर चक्रमण करती रही। दुग्धाभिषेक करने वालों में राजनेता, अफसर के साथ ही गंगा श्रद्धालु शामिल रहें। इन लोगों ने मां गंगा के अविरल निर्मल प्रवाह की कामना की। इस दौरान गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर नमामि गंगे और 137 सीईटीएफ प्रादेशिक सेना गंगा टास्क फोर्स ने सूर्योदय की प्रभात बेला में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर स्थित गंगा द्वार पर सैकड़ों नागरिकों के साथ मां गंगा की आरती उतारी। मां गंगा से समृद्धिशाली भारत की कामना की गई। दुग्धाभिषेक कर आरोग्य राष्ट्र की गुहार लगाई। भव्य गंगा द्वार पर संकल्प लेकर गंगा में गंदगी न करने की अपील की। भारत की आस्था और आजीविका गंगा के संरक्षण का आवाह्न किया गया। गंगा प्राकट्य दिवस पर गंगा किनारे से अनेकों प्रदूषित कर रही सामग्रियों को निकाल कर कूड़ेदान तक पहुंचाया गया। नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत भूमि को स्वर्ग बनाती और यहां की सभ्यता और संस्कृति का पोषण करती गंगा नदी इस धरती की अलौकिक शोभा है । गंगा का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। कहा कि मां गंगा के बिना भारतीय सभ्यता अधूरी है। हमें मिलकर गंगा का संरक्षण करना होगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन गंगा माता धरती पर अवतरित हुई थीं। श्री राम के वंशज भागीरथ उन्हें कठोर तपस्या कर धरती पर लेकर आए थे। अनेकों कठिनाइयों के बाद मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं और उनके पवित्र जल से भागीरथ के पूर्वजों को मुक्ति मिली। उन्होंने कहा कि आज गंगा स्नान का भी बहुत महत्व है लेकिन गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को पापों के बोझ से मुक्ति मिल जाती है। व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है।