दशानन के जन्म के साथ ही रामलीला का आगाज
वाराणसी(रणभेरी): यूनेस्को की धरोहरों में शामिल विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला की औपचारिक शुरुआत के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन लंकेश दशानन रावण के जन्म के साथ ही रामलीला का आगाज हो जाएगा। सदियों की परंपरा काशी में रामलीला के रूप में शाम होते ही शुरू होगी तो कोरोना काल के दो साल के अंतराल के बाद यह पहला मौका होगा जब रामलीला का मंचन रामनगर में पुरातन परंपरा के अनुरूप होगी।
पूर्व में ही मंच सजकर तैयार है तो काशी के लोग भी इस अनुपम क्षण को अपने नैनों में कैद करने के लिए उतावले भी हैं। रामलीला के आयोजन की शुरुआत की कई परंपराएं हैं, जिनमें पात्रों के चयन और गणेश पूजन आदि की प्रमुख परंपराओं का निर्वहन हो चुका है। अब आधिकारिक रूप से शाम होते ही लंकेश रावण के अनंत चतुर्दशी पर जन्म के साथ ही काशी की विश्वप्रसिद्ध रामलीला का आगाज शंखनाद के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा। हर हर महादेव और जय श्री राम के उद्घोष के साथ ही रामनगर की रामलीला मंच पर शुरू होगी तो पंचलाइट और महताबी रोशनी में रामलीला अपनी परंपराओं को दोहराती नजर आएगी। माह भर तक काशी लीला की परंपराओं से निहाल रहेगी तो लीला प्रेमियों से रामनगर की धरती भी त्रेतायुगीन पात्राें से जीवंत नजर आएगी।