भ्रष्टाचार की आगोश में समा गया काशी का रामभट्ट तालाब

भ्रष्टाचार की आगोश में समा गया काशी का रामभट्ट तालाब

तालाब में गंदगी का अंबार, तालाब किनारे लगे पत्थर जगह जगह से उखड़ गए, सुख रहा तालाब का पानी

काशी के पौराणिक शिवपुर तालाब पर भू-माफियाओं का कब्जा, शिकायत के बाद भी नहीं सुने जिम्मेदार

काशी पंचक्रोशी परिक्रमा के चौथे पड़ाव के रूप में मशहूर है शिवपुर तालाब, लगता था प्रसिद्ध प्याला का मेला

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी के एक छोर पर जहां दुगार्कुंड है तो दूसरे छोर पर मां अष्टभुजी का मंदिर जो शिवपुर रामलीला मैदान से सटे रामभट्ट तालाब के किनारे है। यह तालाब पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग का चौथा पड़ाव है। पंचक्रोशी यात्री तालाब से सटे धर्मशाला में ठहरते हैं और यहां स्नान ध्यान करते हैं। इस कुंड को लेकर लेकर कई किवदंतियां भी है। कुछ इसे महाभारत काल का तालाब बताते हैं। पुरनियों का दावा है कि यह तालाब द्रौपदी कुंड से जुड़ा है जो थोड़ी दूर पर है। इसी तालाब से सटी रानी झील है जो सरकारी तंत्र की उपेक्षा के चलते अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। झील के अधिकतर हिस्से को पाट दिया गया है। यहां अब मकान बन गए हैं। झील को पाटने का दौर अब भी बेखौफ चल रहा।
तालाब के बगल में मौजूद धर्मशाला में लगा सरकारी बोर्ड बताता है कि वर्ष 2021 -22 में तालाब, धर्मशाला के जीर्णोद्धार के लिए 08 करोड़ 45 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। वर्ष 2022 में कार्य शुरू हुआ जो एक साल में समाप्त हो गया। किए गए कार्य में तालाब के जीर्णोद्धार का भी जिक्र है। उस दौरान बताया गया कि कुंड के पानी को साफ करने, पानी भरने की व्यवस्था रहेगी।

वर्तमान हालात ये हैं कि तालाब में गंदगी का अंबार है। तालाब के किनारे लगे पत्थर जगह जगह से उखड़ चुके हैं। तालाब का पानी सूख रहा है। मछलियां नाम मात्र की रह गई है। दो वर्ष पूर्व गंदगी के चलते तालाब की मछलियां मर गई थी। उस दौरान भी नगर निगम ने सिर्फ मृत मछलियों को निकलवाने का ही काम किया, सरस्वती पूजा के दौरान पुलिस प्रशासन ने कई मूर्तियां विसर्जित कराई लेकिन उसके बाद जिम्मेदार लोगों ने साफ सफाई नहीं कराई।

वर्तमान हालात यह है कि तालाब का पानी तेजी से सूख रहा है। पानी कम होने से किनारे गंदगी दिखती है। तालाब की सीढ़ियां, और चौतरफा लगे पत्थर जगह जगह धंस गए हैं जो हादसे का सबब बन चुके हैं। रामलीला समिति के मंत्री संतोष मिश्रा बताते हैं कि पौराणिक महत्व वाले तालाब को सरकारी तंत्र ने ध्यान नहीं दिया जिसके चलते महाकुंभ के दौरान शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। महाकुंभ के दौरान यहां हजारों तीर्थ यात्री ठहरे थे। तालाब का पानी गन्दा होने के कारण वह इस इसका इस्तेमाल नहीं कर पाए थे। अष्टभुजी मंदिर से सटे रामभट्ट तालाब की दुर्दशा से व्यथित मंदिर के पुजारी महेंद्र माली पहले लोग स्नान ध्यान करते थे लेकिन तालाब का पानी अब इतना गंदा हो गया है कि लोग छूने से भी डरते हैं। पहले तालाब में मछलियां खूब रहती थी, अब इनकी संख्या भी बहुत कम हो गई है। अजय केशरी कहते हैं कि पैसा तो खूब आया लेकिन मामला सिर्फ डेंट पेंट तक सीमित रह गया। दीवारों को सुंदर बना दिया। फर्श पर पत्थर लगा दिया, लाइटिंग की गई। आज कैंपस में लगे हेरिटेज पोल शो पीस बन गए हैं। तालाब को लेकर किए दावे सिर्फ कागजों और बोर्ड तक ही सीमित है।

पर्यटन विभाग ने बनाई थी योजना

लंबे समय तक उपेक्षा के शिकार रहे ऐतिहासिक रामभट्ट तालाब के उद्धार के लिए 10 वर्ष पूर्व तत्कालीन कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण आगे आए थे। तालाब के साथ इससे सटे रानी झील को अतिक्रमण मुक्त कराकर पर्यटन के लिए योजना बनाई। नगर निगम और पर्यटन विभाग ने काम शुरू भी किया लेकिन कुछ दिन बाद बंद हो गया।

अपने जीर्णोद्धार की आस में बाट जोह रहा शिवपुर का पौराणिक तालाब

वाराणसी (रणभेरी सं.)। शिवपुर का प्राचीन तालाब ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आराजी संख्या 69 मौजा परगना शिवपुर का कुल रकबा 2.70 एक-ड़ है। इस तालाब पर कभी पंचकोसी यात्री पड़ाव डालते थे। अब इस पर भूमाफिया की नजर है। पूर्व पार्षद डा. जितेंद्र सेठ ने बताया कि तालाब पर भूमाफिया की कुदृष्टि का नतीजा यह निकला कि धारा 229 बी द्वारा एकपक्षीय आदेश कराकर कब्जा कर नाम तक चढ़वा लिया गया। इतना ही नहीं प्लाटिंग कराकर बिक्री शुरू कर दी। पंचकोसी पड़ाव का यह चौथा पड़ाव है। यहां पांचों पांडव के मंदिर, द्रौपदी कुंड और पांच प्राचीन धर्मशालाएं हैं। श्रीराम लीला मैदान से सटे राम भट्ट तालाब, अष्टभुजा मंदिर, फलाहारी बाबा का आश्रम है। सबसे पहले तत्कालीन कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने 1 जून 2016 को तालाब खोदवाने का आदेश दिया। दो से 11 जून 2016 तक जेसीबी लगाकर खोदाई हुई लेकिन एक दिन काम अचानक रोक दिया गया। समिति की अगली बैठक में एडिशनल कमिश्नर ओमप्रकाश चौबे ने 30 दिसंबर 2017 को तालाब की खोदाई का आदेश दिया। इस बार ईंट भी नहीं हिली। 28 अप्रैल 2019 को तत्कालीन कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने शिवपुर तालाब की खोदई कर जल संरक्षण के लिए पानी भरने का आदेश दिया। लेकिन स्थिति जस की तस है।

टुकड़े-टुकड़े में बिक गया तालाब

तालाब पर प्लाटिंग हो चुकी है। यहां एक और नगर निगम की ओर से शिवपुर तालाब का बोर्ड लगा है। कमिश्नर, जिलाधिकारी व नगर आयुक्त के नाम से आदेशित किया गया है कि यह जमीन तालाब की है। इसको बेची व खरीदी नहीं जा सकती।

कभी लगता था पियाला का मेला

शिवपुर तालाब पर रजक समाज का विशेष वार्षिक उत्सव पियाला का मेला लगता था। जीवित्युत्रिका व्रत पूजन के लिए बड़ी संख्या में आसपास की महिलाएं यहां आती थीं। पंचकोसी यात्रा के दौरान तालाब का किनारा गुलजार रहता था।

22 वर्षों से लड़ी जा रही लड़ाई

शिवपुर के पौराणिक तालाब के नवजीवन की लड़ाई बीते 22 वर्ष से चल रही है। पंचक्रोश मार्ग पर स्थित नगर निगम के इस तालाब को कुछ भू-माफियाओं ने पाटकर समतल कर दिया है। खास यह कि इस तालाव के लिए वर्तमान के मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र उर्फ दयालु और कांग्रेस नेता अजय राय ने भी आवाज उठाई थी। उन्होंन स्थानीय लोगों के साथ जिलाध्यक्ष मुख्णालय पर धरना-प्रदर्शन भी किया था।न तालाब के लिए संघर्ष कर रहे पूर्व पार्षद डॉ. जितेंद्र सेठ बताते हैं कि 22 वर्ष पूर्व 30 जुलाई 2002 को काशी पंचकोशी परिक्रमा (चौथे पड़ाव) मार्ग स्थित शिवपुर तालाब को अवैध रूप से पाटे जाने के विरोध में वाराणसी जनपद के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया था। इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।