अयोध्या में राम दरबार की हुई प्राण प्रतिष्ठा,लगे जय श्रीराम के नारे, 500 साल का लंबा इंतजार हुआ खत्म

अयोध्या में राम दरबार की हुई प्राण प्रतिष्ठा,लगे जय श्रीराम के नारे, 500 साल का लंबा इंतजार हुआ खत्म

वाराणसी (रणभेरी): राम नगरी अयोध्या फिर सज धज कर तैयार है।  सरयू से लेकर राम मंदिर तक उत्सव का माहौल है. रामलला तो पहले ही आ चुके हैं। अब मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आगमन हो रहा है।  बृहस्पतिवार को राम मंदिर परिसर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ इस भव्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। राम दरबार समेत आठ देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर सुबह 11:25 से 11:40 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में हुई। गंगा दशहरा के दिन इसका सिद्ध योग भी बन रहा था। इसी दिन रामेश्वरम की भी प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर खास वैदिक मंत्रों से गूंज उठेगा. जानकारी के मुताबिक, अयोध्या और काशी के 101 आचार्य मंत्रोच्चार और विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराएंगे। इस खास पल का इंतजार अयोध्या ही नहीं पूरे देश को है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने इस गरिमामयी क्षण को और भी दिव्य बना दिया। मुख्यमंत्री ने सभी देव विग्रहों का अभिषेक किया। इसके बाद राम दरबार की मूर्ति से आवरण हटाया गया। राजा राम का आभूषणों से भव्य श्रृंगार किया गया। इस दौरान अयोध्या के 19 संत धर्माचार्य भी इस अवसर  पर मौजूद रहे। इसके अलावा ट्रस्ट, संघ व विहिप के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। इससे पहले सीएम ने हनुमानगढ़ी में भी दर्शन पूजन किया। सीएम तय समय पर सुबह 10.30 बजे अयोध्या पहुंच गए थे। रामकथा पार्क में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों और भाजपा पदाधिकारियों ने उनकी अगवानी की।

बुधवार प्रातः साढ़े छह बजे से यज्ञमंडप में दो घंटे तक देवताओं का पूजन किया गया। अन्नाधिवास सुबह नौ बजे से 9:30 बजे तक संपन्न हुआ। यज्ञमंडप में हवन 9:35 से 10:35 बजे तक चला। 10:40 12:40 तक राम दरबार समेत सभी देव विग्रहों का अभिषेक किया गया। जिस मंदिर में देव विग्रह की स्थापना होनी है, वहां भी अभिषेक की प्रक्रिया संपन्न हुई। दोपहर दो बजे से तीन बजे तक उत्सव विग्रहों ने परिसर भ्रमण किया। इसके लिए पालकी पर चांदी की चौकियों पर राम दरबार की समस्त उत्सव मूर्ति, परकेाटा के छह मंदिरों की उत्सव मूर्ति को विराजमान कर परिसर भ्रमण कराया गया।

रामनगरी की पावन भूमि पर अब ऐसा इतिहास रचा जा रहा है, जिसकी आभा आने वाली पीढि़यां भी महसूस करेंगी। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण वास्तुकला और वैज्ञानिक सोच का भी बेजोड़ उदाहरण बन रहा है। राम मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित होने वाले राम दरबार की महिमा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि स्थापत्य की दृष्टि से भी अतुलनीय होने जा रही है। राम दरबार का निर्माण जिस संगमरमर पत्थर से हुआ है, वह न केवल मजबूती में अद्वितीय है, बल्कि उनमें जो चमक और दीप्ति है वह सदियों तक धूमिल नहीं होगी।

राम दरबार को गढ़ने वाले प्रख्यात मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय बताते हैं कि मूर्ति निर्माण के लिए पत्थरों की बड़ी खेप खरीदते हैं। राम दरबार के निर्माण के लिए संगमरमर की जो शिला चयनित की गई, वह करीब 40 साल पुरानी है। नए संगमरमर के पत्थर उतने अच्छे नहीं मिल पा रहे हैं। उनका दावा है कि एक हजार साल तक राम दरबार की मूर्ति सुरक्षित रहेगी। इस पत्थर की खासियत यह है कि इसे जितना धोया जाएगा, स्नान कराया जाएगा, उतना ही इसकी चमक बढ़ेगी।

मूर्तिकार सत्य नारायण ने बताया कि पत्थरों के चयन में छह माह लग गए। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अच्छे से अच्छा पत्थर चयनित करने को कहा था। जब यह पत्थर चुना गया, उसके बाद आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों की टीम ने इसकी गहन वैज्ञानिक जांच की। इसमें वैज्ञानिकों की भी मदद ली गई। मौसम, समय और वातावरण के प्रभाव को झेलने की क्षमता पर विशेष ध्यान दिया गया। इसमें ताकत, नमी सोखने की दर, घर्षण क्षमता और तापमान सहिष्णुता जैसे पहलुओं को परखा गया। विभिन्न प्रयोगशालाओं में जांच के बाद विशेषज्ञों ने निर्माण की हरी झंडी दी। जिसके बाद निर्माण को ट्रस्ट की ओर से अंतिम स्वीकृति मिली। सिंहासन समेत राम दरबार के मूर्ति की ऊंचाई कुल सात फुट हो जाएगी। सिंहासन करीब साढ़े तीन फुट ऊंचा है, जबकि सीताराम का विग्रह साढ़े चार फुट ऊंचा है। मूर्ति सिंहासन पर स्थापित करने के बाद ऊंचाई एक से ड़ेढ फुट कम हो गई है। ऐसे में कुल ऊंचाई करीब सात फुट तक होगी। वहीं हनुमान व भरत की मूर्ति बैठी मुद्रा में है, जिसकी ऊंचाई ढाई फुट है। लक्ष्मण व शत्रुघ्न की मूर्ति खड़ी मुद्रा में है, इसकी ऊंचाई तीन-तीन फुट है।