काव्य-रचना
माँ
क्यों कर डाला अपने से हमको दूर
क्या हो गयी थी गलती मुझसे
जो तुने दी मुझे ऐसी सजा।
जो होकर मुझसे दूर
जहां मैं बेगानी इस दुनियां से
हमें अकेला छोड़ चल दी
तू मुझसे दूर।
हूं मैं इस दुनिया से अंजान
आई तो हूं आपके ही जान से।
मैंने अपनी लफ्जों से
तेरा ही नाम पुकारा है मां
तुने ही अपने से मुझे किया है दूर मां
ना हो तो ढूढ़ती है।
ये मेरी निगाहें तुझे
तू ना मिले तो मेरा मन
उदास हो जाए।
सोचती हूँ क्या था, मेरा कसूर जो
तू चली छोड़ मुझे अपने से कर दूर।
है ये अंजान नगर कैसे चलू
ना आता मुझे समझ।
तुझे याद कर कर रोऊ
कि आकर थाम ले तू मेरा हाथ
दे दे मुझे इतनी हिम्मत की....
इस दुनिया से में अपने मंजिल को पाऊ...
निशु मौर्या