करौली मामले में संदिग्ध है सीएमओ वाराणसी की भूमिका 

करौली मामले में संदिग्ध है सीएमओ वाराणसी की भूमिका 

करौली मामले में संदिग्ध है सीएमओ वाराणसी की भूमिका 
 

  • मरीजों की जिंदगी से खेलने वाले डायग्नोस्टिक सेंटर पर भाजपा नेता हुए मेहरबान
  • करौली के फर्जीवाड़ा मामले में दर्ज हुई लंका थाने में एफआईआर
  • डॉक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से मरीजों की जांच रिपोर्ट जारी करने का है आरोप
  • रोक के आदेश के बावजूद बेधड़क संचालित हो रहा करौली डायग्नोस्टिक सेंटर

 

 

वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। समरथ को नहीं दोष गोसाई....इस वाक्य से तो वाकिफ ही होंगे की सामर्थ्यवान और धनवान व्यक्ति कुछ भी करे उसे दोष नहीं लगता। पर इससे इतर आपने यह भी जरूर सुना होगा की झूठ और चालबाजी कितनी भी चालाकी से किया जाए, सच उसको एक न एक दिन बेनकाब कर ही देता है। कुछ ऐसा ही घटित हुआ है प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध व कूटरचित तरीके से शहर के चार अलग-अलग स्थानों पर एक डॉक्टर के नाम के फर्जी हस्ताक्षर से संचालित हो रहे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक के साथ। अंततः मरीजों के जान से खिलवाड़ करने वाले फर्जी करौली डायग्नोसिस सेंटर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। आपका अपने लोकप्रिय अखबार गूंज उठी रणभेरी ने लगातार करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के काले कारनामों को प्रमुखता से उजागर कर एक मुहिम चलाई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश ने संज्ञान लेते हुए लोगों के जान से खिलवाड़ करने वाले इस फर्जी डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश जारी किया। विदित हो की प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मरीजों की जान की परवाह किए बगैर कूटरचित तरीके से शहर के चार स्थानों पर डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित करने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।


जिस डॉक्टर के नाम का रिपोर्ट पर हस्ताक्षर, वो विदेश में कार्यरत

प्रथम सूचना रिपोर्ट के मुताबिक मिर्जापुर निवासी अजय कुमार उपाध्याय का आरोप है कि लंका, मंडुआडीह, मलदहिया, भोजूबीर इलाके में करौली डायग्नोसिस सेंटर का संचालन अवैध तरीके से संचालित किया जा रहा है। डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक, डॉ. एस सेंथिल कुमार पूर्व सीनियर रेडियोलॉजिस्ट अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई का फर्जी सिग्नेचर बनाकर जांच रिपोर्ट मरीज को दे रहे हैं। जबकि डॉक्टर सेंथिल पिछले दो वर्ष से विदेश में रह रहे हैं। वहां रहकर अपनी सेवा दे रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सेंथिल ने भारत छोड़ते समय मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी को लिखित पत्र द्वारा सूचित किया कि भारत छोड़कर विदेश जा रहे हैं। तथा मैं कोई सेंटर नहीं चल रहा हूं ना ही किसी सेंटर में कार्यरत हूं।


सवालों के घेरे में सीएमओ

करौली डायग्नोस्टिक सेंटर पर मुकदमा दर्ज होने के बाद वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी सवालों के घेरे में है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी जैसे ऊंचे और जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है की वह शहर के स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्यान में रखकर शहर के लोगों को जिंदगी बचाए। लेकिन जरा सोचिए जब सीएमओ जैसे जिम्मेदार अधिकारी अगर चंद पैसों के लालच में किसी डायग्नोस्टिक सेंटर को लोगों के जिंदगी से खिलवाड़ करने की छूट दे दे तो क्या होगा ! लंका थाने में लिखवाए गए एफआईआर में यह आरोप है की वाराणसी के सीएमओ मरीजों एवं नागरिकों के स्वास्थ्य की परवाह किए बगैर करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रबंध निदेशक से अवैध मोटी रकम लेकर उस पत्र को दबा दिया जिसमें यह डॉ. सेंथिल द्वारा यह जिक्र था की हम विदेश जा रहे हैं। हम न कोई डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित कर रहे न ही किसी डायग्नोस्टिक सेंटर में कार्यरत हैं। बावजूद इसके करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के धूर्त संचालक ने सीएमओ कार्यालय को मोटी रकम देकर उक्त डॉक्टर के नाम का गलत इस्तेमाल कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करता आ रहा है।


शासन स्तर से जांच की मांग

एफआईआर में करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के काले कारनामों की जांच शासन स्तर से करवाने की मांग की गई है। कहा गया है कि फर्जी व मनमाने तरीके से करौली डायग्नोस्टिक सेंटर चलवा रहे हैं। डॉक्टर सेंथिल कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से जांच रिपोर्ट जारी कर मरीजों और नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ बड़े पैमाने पर खेल रहे हैं। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस फर्जीवाड़ा में शामिल है। इस प्रकरणों की जांच शासन स्तर से  समिति गठित कर निष्पक्ष जांच करना आवश्यक है। पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल में जुट गई।


भाजपा नेता कर रहे है करौली संचालकों की पैरोकारी

एक तरफ जहां मुख्यमंत्री ने लोगों की जान से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का आदेश दिया हुआ है वहीं उन्हीं के पार्टी के कुछ चुनिंदा नेता पार्टी को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सूत्रों की माने तो करौली की जालसाजी सामने आने के बाद से ही वाराणसी के एक भाजपा विधायक सहित एक मंत्री करौली संचालकों को बचाने के लिए पूरे दमखम से पैरोकारी करने में जुटे हुये हैं। जिसकी वजह से करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के मालिकान ने बेधड़क अवैध रूप से न केवल डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन किया बल्कि मरीजों के साथ निरंतर छल करने का अपराध भी किया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या शहर के भाजपा नेताओं को मुख्यमंत्री के आदेश की भी फिक्र नहीं है या फिर इन नेताओं ने भाजपा को बदनाम करने की कसम खा रखी है!