काव्य-रचना
हाँ मैं पूछता हूँ
हाँ मैं पूछता हूँ ?
ये कौन से लोग हैं जो समाज को बांट रहे हैं।
अपनी रोटियों को सेंकने के लिए।
धर्म का गुणगान कर रहे है।
क्या उन्हें ये पता नहीं या,
जानबूझकर समाज को राजनैतिक दृष्टि से,
एक मात्र अपनी स्वार्थ का जरिया बनाए हुए हैं।
हाँ मैं पूछता हूँ?
क्या ये जो राजनैतिक दल है।
समाज को जोड़ने के लिए है या फिर,
समाज को तोड़ने के लिए।
मैं उन मौन को धारण किए,
कठपुतलीयों से पूछता हूँ ?
क्या तुम लोगों में आवाज नहीं या,
डरकर कही छुप गए हो।
आज नहीं उठे तो फिर कब उठोगे,
उठो और ये प्रण लो सब,
जब तक जीवित रहेंगे हम,
उन्हें सेंकने नहीं देंगे रोटियां हम।।
राहुल पाण्डेय