काव्य-रचना

काव्य-रचना

      हिंदी       

हिंदी है हम सब की बोली 
कितनी निश्छल कितनी भोली
लोरी सुनकर हमने इसकी
मधुर गोद में आखें खोली
जब सोया था देश जगाया
मानवता का पाठ पढ़ाया
जनमानस की भाषा हिंदी
सहज धर्म की आशा हिंदी
राष्ट्र हित राजभाषा है ये
अपने कुल की अभिलाषा हिंदी
सदा जीवन उच्च विचार
मानव जीवन का सार है हिंदी
हर अंश का पहलू है ये
बहती अविरल धारा हिंदी
जगकल्याण जनमानस हिंदी
अपने देश की शान है हिंदी
आओ इसका मान बढ़ाए
विश्व पटल पर परचम लहराए

   स्तुति द्विवेदी