काव्य रचना
सावन की बहार आई
सावन की बहार आई,
आशा की संचार लाई l
ग्रीष्म के कारण व्याकुल वसुधा को,
शीतलता का उपहार लायी l
मेंढकों ने टर्र - टर्र कर ,
बादलों से गुहार लगाई l
चारो तरफ खुशहाली छाई,
सावन की बारिश आई l
झूम उठे ये तरुवर- विहग,
भर गये ये पोखर नहर l
सज गई धरती हरी -भरी,
करवट ली मौसम नई-नई l
चारो ओर पुकार है,
ये धरती का श्रृंगार है l
कृषकों ने अंगड़ाई ली,
धान की रोपाई की l
ज्वार बाजरा और उड़द की,
खेतों में बुवाई की l
छाई घटा घनघोर,
धरती के सब ओर l
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई,
सबके मन को हर्षा आई l
टप टप की आवाज़ है,
आनन्द की क्या बात है l
लगता है खुश है पवन ,
झूम उठा उपवन चमन l
बारिश की बौछार है,
ये सावन का त्योहार है l
नीलम गुप्ता