पीएम मोदी और मिस्त्र के राष्ट्रपति की हुई बैठक, भारत- मिस्त्र मिलकर करेंगे काम

पीएम मोदी और मिस्त्र के राष्ट्रपति की हुई बैठक, भारत- मिस्त्र मिलकर करेंगे काम

(रणभेरी): गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत ने मध्य-पूर्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश मिस्र के राष्ट्रपति को बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया है। अब्देल फतेह अल-सीसी मिस्र के पहले राष्ट्रपति होंगे जो गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होंगे। इस दौरान 25 जनवरी को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए दोनों देशों भारत और मिस्र ने द्विपक्षीय संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक बढ़ाने का फैसला किया है। भारत और मिस्र के संबंध बेहद पुराने रहे हैं लेकिन पिछले कुछ दशकों में दोनों देशों के रिश्ते कमजोर हुए थे जिसे अब फिर से मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।  भारत और मिस्र के राजनयिक रिश्तों को इस वर्ष 75 साल हो जाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मिस्र के समकक्ष के साथ संयुक्त बयान को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देश 'आतंकवाद को खत्म करने के लिए लक्षित कार्रवाई' पर सहमत हुए और आतंकवाद से लड़ने के लिए सूचना और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने पर भी सहमत हुए।पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत और मिस्र साइबरस्पेस के क्षेत्र में भी संबंधों को मजबूत करेंगे, जिसका उपयोग कट्टरता के लिए तेजी से किया जा रहा है। राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी ने कहा, "हमने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बारे में बात की और सीओपी 27 पर भी चर्चा की। हमने मिस्र और भारत के बीच सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा की। मैंने आगामी जी20 शिखर सम्मेलन के लिए मिस्र को अतिथि देश के रूप में आमंत्रित करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है।"

मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने भी एक बयान जारी कर दोनों देशों ऐतिहासिक रिश्तों पर बात की है। राजदूत ने कहा कि मिस्र के राष्ट्रपति का भारत दौरा दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की एक नई शुरुआत करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश उपनिवेशवाद की बेड़ियां तोड़कर आजाद हुए हैं और दोनों के बीच ऐतिहासिक काल से मित्रता के संबंध चले आ रहे हैं। भारतीय राजदूत ने कहा, 'दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताएं भारत और मिस्र कई शताब्दियों तक घनिष्ठ मित्र रहे हैं. भारतीय सम्राट अशोक के शिलालेखों में टॉलेमी द्वितीय के शासनकाल में मिस्र के साथ संबंधों का उल्लेख है। 

मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच की दोस्ती उन दिनों काफी चर्चित थी। दोनों के बीच इस दोस्ती के कारण ही भारत- मिस्र के बीच 1955 में फ्रेंडशिप ट्रीटी (Friendship Treaty) हुई थी। उसी दौरान नेहरू ने अपने दोस्त नासिर के साथ मिलकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी थी. इस आंदोलन से उन देशों को निरपेक्ष रहने में सहूलियत हुई जो अमेरिका और रूस, किसी एक गुट के पाले में नहीं थे।  नेहरू मिस्र को काफी अच्छे से समझते थे और नासिर इस बात के लिए उनकी काफी कद्र करते थे.हालांकि, बाद के वर्षों में मिस्र और भारत की दोस्ती कमजोर पड़ती गई. लेकिन अब भारत ने मिस्र के साथ अपनी ऐतिहासिक दोस्ती को फिर से बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी है। 

मिस्र भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मिस्र मध्य-पूर्व में एक अहम स्थान रखता है। वॉशिंगटन डीसी में मिडिल ईस्ट संस्थान में रणनीतिक प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा प्रोग्राम के निदेशक मोहम्मद सोलिमन ने फर्स्टपोस्ट से कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों का आगे बढ़ना तय है. भूमध्य सागर, लाल सागर, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में मिस्र की महत्वपूर्ण भूमिका है जिस कारण यह भारत के लिए बेहद अहम हो जाता है. खासतौर से मिस्र का स्वेज नहर भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण है जो एशिया और यूरोप के बीच सबसे लोकप्रिय व्यापारिक मार्ग है. मिस्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाला स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है. मिस्र गैस और तेल उत्पादक देशों यूएई और सऊदी अरब के भी बेहद करीब हो गया है जिस कारण भूमध्य सागर में भी उसका प्रभाव बढ़ रहा है. भारत पश्चिमी एशिया और अफ्रीका में अपनी रणनीतिक बढ़त बनाना चाहता है इसलिए मिस्र के साथ उसकी दोस्ती जरूरी हो गई है. भारत और मिस्र की दोस्ती अगर फलती-फूलती है तो पश्चिम एशिया और अफ्रीका में बड़ा रणनीतिक बदलाव आएगा। भारत और मिस्र के बीच सुरक्षा सहयोग भी बढ़ता जा रहा है। मिस्र ने भारत के स्वदेशी 'तेजस' लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को खरीदने में रुचि दिखाई है।  बताया जा रहा है कि सीसी की भारत यात्रा के दौरान इसकी खरीद पर मुहर लग सकती है. दोनों देशों की वायु सेना ने पहली बार 2021 में मिलकर एक सैन्य अभ्यास 'डेजर्ट वॉरियर' किया था। जून 2022 में भी वायुसेना का एक दल सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए मिस्र गया था. इस अभ्यास में भारत के तीन Su-30 लड़ाकू विमान और दो C-17 परिवहन विमानों ने हिस्सा लिया था।  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सितंबर 2022 में मिस्र की यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान भारत और मिस्र ने रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था।  अक्टूबर 2022 में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने विदेश मंत्री के रूप में मिस्र की अपनी पहली यात्रा की थी. उन्होंने राष्ट्रपति सीसी और मिस्र के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और दोनों देशों के पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा की थी। भारत ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में हाल के वर्षों में काफी प्रगति की है. भारत मिस्र में रक्षा उत्पादन और विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश कर रहा है. इससे भारतीय रक्षा उत्पादों को पश्चिम एशिया और अफ्रीका में नया बाजार मिलने की संभावना बढ़ गई है। भारत और मिस्र हर क्षेत्र में मिलकर सहयोग कर रहे हैं जिससे दोनों देशों को पारस्परिक लाभ हो रहा है।  रक्षा उत्पाद से दोनों देशों को फायदा होने वाला है।  भारत को इससे नया बाजार मिल जाएगा और मिस्र को उन्नत रक्षा उपकरण। भारत मिस्र के कई सेक्टरों में निवेश कर रहा है, इससे उसके विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होगी। मिस्र फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश में डॉलर की भारी किल्लत हो गई है. ऐसे में भारत के निवेश से उसे मदद मिलेगी।