साइबेरियन मेहमानों को देखने घाटों जुट रहे लोग

साइबेरियन मेहमानों को देखने घाटों जुट रहे लोग

काशी घूमने आए लोग पक्षियों को देखकर खुश, बोले- घाटों की बढ़ गई और खूबसूरती

वाराणसी (रणभेरी): बॉलीवुड फिल्म रिफ्यूजी में एक गाना है- ‘पंछी, नदिया, पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके।’ इस समय वाराणसी के घाटों पर ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। इन दिनों वाराणसी के गंगा घाट विदेशी मेहमानों के कलरव से गूंज उठी है। विदेशी मेहमान साइबेरियन पक्षियों ने इन दिनों वाराणसी में डेरा डाल रखा है। काशी घूमने आए लोग इन पक्षियों को देखकर खुश हैं। चेन्नई से आईं एक महिला ने कहा कि इन पक्षियों से घाट की खूबसूरती और बढ़ गई है। इनको देखकर और इन्हें दाना खिलाकर हम लोगों को बहुत अच्छा लगा। स्थानीय लोगों की मानें तो साइबेरिया समेत कई देशों में भीषण ठंड से बचने के लिए विदेशी मेहमान भारत के कई राज्यों का रूख करते हैं। इसमें काशी भी एक जगह है जहां पर दिसंबर भर इन पक्षियों की चहलकदमी दिख रही है।

कई प्रजाति शामिल

वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रवासी पक्षी नवंबर से फरवरी तक बनारस आते हैं। इनमें साइबेरियन पक्षी साइबेरियन सी गल, बेवलर, सन बर्ड सहित अनेक पक्षियों की प्रजाति शामिल होती हैं। दरअसल, साइबेरिया सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में अत्याधिक ठंड से बर्फ जमी होती है। जबकि बनारस का मौसम उस समय न तो बहुत ठंड होता है न बहुत गर्म। साथ ही यहां पर इन पक्षियों के खाने के लिए कई तरह के जीव-जंतु भी मिल जाते हैं। 

खुश हैं पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग

मौसम जब रंगीन ठंड का हो तो घाट काशी आने वालों की पहली पसंद रहते है। लोग नौका विहार करते हैं। नौका विहार के समय साइबेरियन पक्षियों की चहचहाहट से ऐसा लगता है कि काशी से इन पक्षियों का सदियों का नाता है। एक आवाज पर ये पक्षी उड़कर पास चले आते हैं। लोग इन्हें चारा खिलाते हैं और उत्साह प्रकट करते हैं। इनके आगमन के साथ ही पर्यटन से जुड़े लोगों को उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में पर्यटन की तस्वीर बदलेगी।