एक के बाद एक आईं पांच लाशें...मासूमों के शव देख बेसुध हुई मां
फिरोजाबाद। जिले के शिकोहाबाद के नौशहरा में पटाखा गोदाम में ब्लास्ट में दो बच्चों सहित 5 लोगों की मौत हो गई। जबकि 12 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस ने मृतकों के रात में ही पोस्टमार्टम कराकर शवों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया। सुबह सुबह एक के बाद एक कर पांच लाशें पहुंची तो चीत्कार मच गया। मासूम बच्चों की लाशें देख मां तो बेसुध हो गई। परिवार वालों की चीखें कलेजा चीर रही थीं। हादसे के बाद रातभर घटना स्थल पर रेस्क्यू अभियान चलता रहा। रेस्क्यू अभियान के दौरान मलवे से किसी का भी शव बरामद नहीं हुआ। मलवे में अभी भी एक दर्जन के करीब बकरी दबी हुई हैं। प्रशासन बकरियों को निकालने में जुटा हुआ है।
चारों ओर तबाही का मंजर नजर आ रहा है। हर तरफ टूटे घरेलू सामान के साथ ईंट बिखरीं पड़ीं हैं। धमाके की तीव्रता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घटना स्थल से 250 मीटर दूर स्थित दुकान, मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। धमाके की तीव्रता से दुकानों के शटर बाहर आ गए हैं। किसी की दीवार खिसक गई है तो किसी के लेंटर दीवार छोड़ चुके हैं। अभी कई घरों के सामान धमाके से घटना स्थल से दूर जा गिरे है। एसपी ग्रामीण के साथ ही जसराना, सिरसागंज, शिकोहाबाद के सीओ, प्रभारी निरीक्षक डेरा जमाए हुए हैं।
मृतकों के शव आने पर मचा कोहराम
सोमवार की रात पटाखा गोदाम में जान गंवाने वाले लोगों का पुलिस ने पीएम कराकर परिजनों के हवाले कर दिया। मृतकों के शव आते ही मृतकों के परिवार में कोहराम मच गया। महिलाएं, परिजन शव को देखकर रोने बिलखने लगे। गांव से महिलाओं के रोने बिलखने की आवाज लोगों के दिलों को झकजोर रही थी। इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ लगी हुई है।
भीषण विस्फोट से 200 मीटर दूर तक मकानों में हुआ नुकसान
रात में पटाखा गोदाम में भीषण विस्फोट से गोदाम के 200 मीटर परिधि में बने आवासों को भारी क्षति पहुंची है। किसी की ऊपरी मंजिल क्षतिग्रस्त हुई है तो किसी की दीवारें गिर गई हैं। घटना के बाद घटना स्थल के पास स्थित एक मस्जिद सहित लगभग दो दर्जन से अधिक मकानों को क्षति पहुंची है।
ग्रामीणों ने सड़क पर जाग कर काटी रात
सोमवार की रात नौशहरा में पटाखे के गोदाम में विस्फोट की आवाज ने ग्रामीणों में इतना भय व्याप्त था कि ग्रामीणों ने अपने परिवार के साथ सड़क पर जाग कर रात काटी। लोगों ने सड़क पर चारपाई डाल रखी थी। जिस पर वह पूरी रात बैठकर डर के साये में जीते रहे। उन्हें डर था कि कहीं अन्य फिस्फोट न हो जाएं क्योंकि गांव में जगह-जगह गोदाम बने हुए थे। बच्चे सहमे नजर आ रहे थे।