आंनलाइन जुआ युवाओं को कर रहा बर्बाद

आंनलाइन  जुआ युवाओं को कर रहा बर्बाद

वाराणसी (रणभेरी सं.)। पैसे कमाने के लिए लोग इतने उत्सुक होते है कि यह भी नही सोचते कि इस काम से किसी को क्या फायदा होगा और यदि फायदा नही होगा तो लोग आपको पैसे क्यो देंगे। आॅनलाइन पैसा कमाने के चक्कर में युवा अपना समय तो व्यर्थ कर ही रहे हैं, साथ ही जुए की लत में पड़कर अपना जीवन बबार्दी की राह पर ले जा रहे हैं। वहीं, देशभर के नामी सेलिब्रिटी की भूख खत्म ही नहीं हुई हैं। उन्हें खेलों से तो करोड़ों रुपया मिल रहा है, लेकिन युवाओं को जुएं की लत लगाने के लिए विज्ञापन कर रहे हैं। आज हमारे युवा नामचीन खिलाड़ियों द्वारा सुझाए आॅनलाइन गेम्स में डूबते जा रहे हैं। देश में इंटरनेट और मोबाइल के विस्तार के कारण ह्यमनी गेमिंगह्ण उद्योग का खासा विस्तार हुआ है। माना जा रहा है कि 2025 तक इस उद्योग का व्यवसाय पांच अरब डालर से अधिक हो जायेगा। पिछले कुछ समय से आपने कुछ ऐसे एप्स के विज्ञापन देखे होंगे, जिसमें प्रसिद्ध खिलाड़ी आॅनलाइन गेम्स के विज्ञापन करते दिखाई देते हैं। साथ ही, उसी विज्ञापन में तेज-तेज गति से चेतावनी भी दी जाती है कि इन्हें संभलकर खेलें, इनकी लत लग सकती है। वास्तव में आज हमारे युवा इन हस्तियों द्वारा सुझाये आॅनलाइन गेम्स में डूबते जा रहे हैं और लती बन गए हैं। बीते कुछ समय से देश में इंटरनेट और मोबाइल के विस्तार के कारण इस ह्यमनी गेमिंगह्ण उद्योग का खासा विस्तार हुआ है। माना जा रहा है कि 2025 तक इस उद्योग का व्यवसाय पांच अरब डालर से अधिक हो जाएगा।

 विभिन्न प्रकार के आॅनलाइन और एप्स आधारित गेम्स, जिनमें आभासी खेल यानी फैंटेसी स्पोर्ट, रम्मी, लूडो, शेयर ट्रेडिंग संबंधित गेम्स, क्रिप्टो-आधारित गेम्स आदि होते हैं, जो रियल मनी गेम्स कहलाते हैं, पैसे और इनाम के लिए खेले जाते हैं। ये खेल कौशल (स्किल) आधारित भी होते हैं और संयोग (चांस) आधारित भी।

जुए की लत लगाते आनलाइन गेम्स

आनलाइन गेम खेलने के चक्कर में युवाओं द्वारा कर्ज में फंस कर जान गंवाने के कई मामले सामने आये हैं। इन गेम्स में जीतने की संभावना बहुत कम होती है, कुछ मामलों में तो इन एप्स के कारण जुए की लत के चलते युवाओं द्वारा भारी कर्ज उठाने के कारण परिवार भी बर्बाद हुए हैं।  वर्ष 2020 में ड्रीम-11 नामक एप कंपनी ने 222 करोड़ देकर आइपीएल क्रिकेट के प्रायोजक के अधिकार खरीद लिये थे। इसके बाद ड्रीम-11 एप प्रसिद्धि हो गया। अन्य काल्पनिक क्रिकेट गेम की अन्य एप्स ने भी आइपीएल में विज्ञापन अधिकार खरीदे। ये सभी एप्स बड़ी-बड़ी क्रिकेट हस्तियों द्वारा प्रोत्साहित किए गए, जिनमें एमएस धोनी, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, हार्दिक पांड्या सहित कई खिलाड़ी शामिल हैं। रिपोर्ट बताती हैं कि इन एप्स के माध्यम से जुए की लत के कारण आत्महत्या करने वाले अधिकतर युवा 19 से 25 वर्ष के हैं, जिनमें विद्यार्थी, प्रवासी मजदूर और व्यापारी शामिल हैं

सट्टेबाजी हो गई प्रमुख

नव उदारवादी आर्थिक सिद्धांतों में जोखिम लेना महत्वपूर्ण कहा जाता है। नव उदारवादी नीतियों के युग में कई वित्तीय उपकरण का प्रवेश हो चुका है और सट्टेबाजी अर्थव्यवस्थाओं का अभिन्न अंग बन चुका है। हालांकि शेयर बाजार, वस्तु बाजार और विदेशी विनिमय बाजारों में सट्टेबाजी के कई दुष्परिणाम भी हैं, लेकिन उन्हें वैधानिक अनुमति मिली हुई है। सट्टेबाजी के आम जन-जीवन में प्रवेश के कारण आभासी खेलों के चलन को भी सामान्य स्वीकार्यता मिल गयी, पर जहां सट्टेबाजी में भी कुछ संयोग का अंश होता है, लेकिन आभासी खेलों में तकनीकी रूप से तो यह तर्क दिया जा सकता है कि यह संयोग का खेल नहीं है, लेकिन वास्तविकता यह है कि खिलाड़ी समझ-बूझ कर इस खेल में प्रवेश नहीं करते और कौशल से ज्यादा संयोग पर ही निर्भर करते हैं। हो सकता है कि कुछ खिलाड़ी जीतें और कुछ हारें, पर इन खेलों की एप्स कंपनियां लगातार जीत रही हैं और भारी लाभ कमा रही हैं। यही कारण है कि वे बीसीसीआइ सरीखे क्रिकेट आयोजकों को भारी शुल्क देकर प्रायोजक अधिकार खरीद रही हैं।

जुए के एप्स प्रतिबंधित करना जरूरी

समझना होगा कि उनका लाभ उन गरीब विद्यार्थियों, मजदूरों, किसानों और आम आदमी की कीमत पर है, जो इन खेलों में अपना सब कुछ लुटा देते हैं। न्यायालयों को अभी यह तय करना बाकी है कि क्या वास्तविक पैसे का दांव लगाने वाले कथित कौशल आधारित गेम्स जुआ हैं। यदि संयोग का अंश रहता है, तो देश के कानून के अनुसार वह वैधानिक नहीं हो सकता। कई एप्स में कौशल आधारित खेलों की आड़ में विशुद्ध जुआ चल रहा है। इन एप्स ने बड़ी मात्रा में विदेशी निवेशकों से निवेश लिया हुआ है और उनका एकमात्र उद्देश्य लोगों को जुए की लत लगाना है। इन एप्स का डिजाइन ही लत लगाने वाला है। यही नहीं, कई कथित कौशल आधारित गेम्स के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ कर ग्राहकों को बेवकूफ बना कर उन्हें लूटा भी जा रहा है।