वाराणसी में कार्यशाला में चिकित्सकों को किया गया प्रशिक्षित, घर में टीबी का मरीज, तो परिजन कराएं प्रिवेंटिव थेरेपी
वाराणसी (रणभेरी): प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत वाराणसी में जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. पीयूष राय ने टीबी से संबंधित कुछ तथ्य बताए। उन्होंने कहा कि परिवार के किसी सदस्य को फेफड़े की टीबी है तो इसके संक्रमण से और लोग न प्रभावित हों, इसके लिए परिजनों का टीबी की प्रिवेंटिव थेरेपी कराना जरूरी है। इस थेरेपी में टीबी मरीज के सम्पर्क में आने वाले लोगों की कुछ जरूरी जांच कराने के बाद दवाएं दी जाती है। इससे उन्हें टीबी होने का खतरा नहीं रहता है। देश को क्षय मुक्त बनाने में यह थेरेपी बेहद ही कारगर है। इस कार्य में सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन के तहत जीत प्रोजेक्ट स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कर रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल ने अपने कार्यालय में गोद लिए 10 क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की। इस दौरान उन्होंने सभी क्षय रोगियों का स्वास्थ्य व पोषण स्तर हाल जाना। साथ ही उन्हें एक भी दिन दवा न छोड़ने और सम्पूर्ण उपचार के लिए भी प्रेरित किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि जनपद में वर्तमान में करीब 6280 सक्रिय क्षय रोगी हैं जिनका उपचार चल रहा है। वर्तमान में निक्षय मित्रों की 2357 संख्या है। लगभग सभी क्षय रोगियों को विभिन्न अधिकारियों, स्वयं सेवी संस्थाओं व अन्य लोगों ने गोद लिया है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि क्षय रोगियों को गोद लेने, पोषण पोटली प्रदान करने, सम्पूर्ण उपचार, नियमित फॉलो अप और भावनात्मक सहयोग प्रदान करने से उनका स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिल रहा है। इस मौके पर एसटीएस मदन व टीबी एचवी नवीन श्रीवास्तव मौजूद रहे।