अधिकारियों को गुमराह कर महज 3 दिन में कराया लखनऊ ट्रांसफर
वाराणसी (रणभेरी सं.)। अधिकारियों के आंखों में धूल झोंकने का तरीका और ऊंची पहुंच का फायदा उठाना अगर कोई जनता है तो वो है सारनाथ थाने के पूर्व इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता। एक तरफ सारनाथ जुआ कांड में आरोप लगने बाद लाइन हाजिर इंस्पेक्टर साहब के ऊपर जांच चल रही थी, उधर इंस्पेक्टर साहब ने अधिकारियों को गुमराह कर लखनऊ तबादला करा लिया। हालांकि सारनाथ के रुद्रा हाइट्स में जुआ पकड़ने के दौरान छापेमारी करके 41 लाख रुपये लूटने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता केस में फंस गए है। कई दिनों से तलाश के बाद वादी नहीं मिलने पर दरोगा ने इंस्पेक्टर के खिलाफ केस दर्ज कराया। वहीं लखनऊ के अफसरों से सेटिंग कर बनारस से तबादला करा लिया। इंस्पेक्टर परमहंस ने लखनऊ में बैठे आकाओं से मिलीभगत के बाद अपना संबद्धीकरण सीबीसीआईडी लखनऊ करा लिया। पुलिस अधिकारियों को गुमराह कर कमिश्नरेट से रिलीव भी हो गया। इंस्पेक्टर की मनमानी के बाद अफसर बौने नजर आए। जब तबादले पर किरकिरी हुई तो अधिकारियों ने केस दर्ज कराने का निर्देश दिया। वर्तमान थानाध्यक्ष विवेक कुमार त्रिपाठी ने केस दर्ज कर डैमेज कंट्रोल किया। अब आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए केस में जांच शुरू कर दी है।
सारनाथ एसओ ने पूर्व एसएचओ और उनके साथ फर्जी ओएसडी बनकर लाखों की नगदी पार करने के आरोप में तहरीर देकर केस दर्ज कराया। इंस्पेक्टर के खिलाफ पुलिस केस में शामिल सीएम के फर्जी ओएसडी धर्मेंद्र चौबे को नामजद किया गया है। एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद इंस्पेक्टर और धर्मेंद्र चौबे अंडरग्राउंड हो गए हैं। वहीं अपार्टमेंट में जुआ खिलाने में रुद्रा हाइट्स के मालिक और अन्य अज्ञात के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। अब पुलिस टीम फर्जी ओएसडी बताने वाले धर्मेंद्र चौबे और जुआं खेलने वालों की तलाश में जुटी है। उनकी गिरफ्तारी के लिए टीम भी गठित कर दी गई है,साथ ही नंबर से लोकेशन भी खंगाली जा रही है।
बता दें कि इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता ने 7 नवंबर को एक अपार्टमेंट पर छापा मारकर 40 लाख रुपये की लूट की वारदात को अंजाम दिया। उनके साथ सिविल ड्रेस में एक युवक धर्मेंद्र चौबे भी था, जिसने गार्ड से खुद को सीएम योगी का ओएसडी बताया। अपार्टमेंट में शहर के बड़े कारोबारी जुआ खेल रहे थे, सभी को डरा-धमकाकर रकम वसूली। आरोप है कि इंस्पेक्टर ने जुए की फड़ पर रखे 40-41 लाख रुपए दो बैग में भर लिए। एक सीसीटीवी भी सामने आया है, इसमें दिख रहा है कि इंस्पेक्टर लिफ्ट से उतर रहे हैं, उनके साथ का युवक हाथ में दो बैग पकड़े हुए है।
सीसीटीवी वायरल होने के बाद पुलिस कमिश्नर ने इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता को पहले लाइन हाजिर, फिर सस्पेंड कर दिया। डीसीपी वरूणा चंद्रकांत मीना ने जांच एडीसीपी को दी, जिसमें पूरा मामला साफ हो गया। अब एसओ सारनाथ विवेक त्रिपाठी ने तहरीर देकर अपनी ओर से सूचनाओं को आधार बनाकर केस दर्ज किया है। विवेचना और कार्रवाई के लिए इंस्पेक्टर के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। बता दें कि इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता का विवादों से पुराना नाता है। वाराणसी में तैनाती के दौरान चेतगंज और चोलापुर थानाध्यक्ष रहते हुए अफसरों ने उन्हें शिकायतों और लापरवाही पर हटाया था लेकिन फिर जुगाड़ से मलाईदार कुर्सी पा गया।
अखिलेश यादव ने भी सरकार और पुलिस पर साधा था निशाना
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने इस जुआ प्रकरण को लेकर हुए लूट कांड को लेकर अपने सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी तो नहीं बनी लेकिन लगता है फिल्म की रियल लोकेशन शूटिंग शुरू हो गई है। सारनाथ में हाईप्रोफाइल बिल्डिंग में खेले जा रहे हैं हाईप्रोफाइल जुए में हाईप्रोफाइल स्टाइल में एक छापा पड़ा और कोई माल लेकर नदारद हो गया।
इस फिल्म का क्लाइमेट यह है कि देश के प्रधान संसदीय क्षेत्र के निकटस्थ हुई इस वारदात की हिस्सेदारी में असली दावा किसका होगा यह रहस्य जानने के लिए देखते रहिए भाजपाई भ्रष्टाचार की धारावाहिक फिल्म: वदीर्वाला लुटेरा
पूर्व आईपीएस ने की थी एफआईआर और गिरफ्तारी की मांग
वाराणसी के चर्चित जुआ प्रकरण में पैसे के लूट कांड को लेकर आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने यूपी के डीजीपी से सारनाथ थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।
उन्होंने डीजीपी को लिखे पत्र में इंस्पेक्टर द्वारा जुए के 41 लाख रूपए हड़पने के आरोप प्रथमदृष्टया स्थापित होने के बाद भी पुलिस कमिश्नर वाराणसी मोहित अग्रवाल द्वारा इंस्पेक्टर को मात्र निलंबित किया जाना घोर आपत्तिजनक दर्ज करवाते हुए स्वयं पुलिस कमिश्नर की भूमिका को भी संदिग्ध बताया था। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज करते हुए गिरफ्तारी की मांग की थी