Kashi Vishwanath Dham: काशी विश्वनाथ धाम में आप कर सकेंगे शादी और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य
वाराणसी (रणभेरी): काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ ही अब उनके भक्तों को अपने सभी शुभ कार्य मन्दिर परिसर में करने का अवसर मिलने जा रहा है। जल्द ही विश्वनाथ धाम में न केवल आपको सामाजिक कार्य करने की अनुमति रहेगी। बल्कि आप बाबा विश्वनाथ को साक्षी मानकर, अग्निदेव के सात फेरों के बाद सात जन्मों के बंधन में बंधने की शुरुआत श्री काशी विश्वनाथ के धाम में नवंबर से होगी।
नव्य, भव्य और दिव्य धाम में होने वाली शादियां भी अनोखी होंगी, क्योंकि बाबा के परिसर के अनुरूप प्राचीन परंपराओं के अनुसार ही सभी अनुष्ठान संपन्न होंगे। इसके साथ ही श्रद्धालु मुंडन संस्कार भी करा सकेंगे।बाबा विश्वनाथ का धाम नव दंपती के नवजीवन की शुरुआत का साक्षी बनेगा। सनातनधर्मी बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेकर धाम के प्रांगण में वैवाहिक आयोजन संपन्न करा सकेंगे। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि बाबा के धाम में सेवाओं को विस्तार दिया जा रहा है। इसके तहत ही कर्मकांड के साथ ही धार्मिक आयोजन व संस्कारों को भी करने की सुविधा शुरू की जा रही है।
ऐसे में अब काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ ही अब उनके भक्तों को अपने सभी शुभ कार्य मन्दिर परिसर में करने का अवसर मिलने जा रहा है। अब जल्द ही विश्वनाथ धाम में न केवल आपको सामाजिक कार्य करने की अनुमति रहेगी। बल्कि आप मांगलिक कार्य भी कर सकेंगे. वर-वधू अपने नव दाम्पत्य जीवन की शुरूआत बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद के साथ ले सकेंगे।
बाबा के प्रांगण में वैवाहिक समारोह व संगोष्ठियों के लिए इवेंट कंपनी को आमंत्रित किया गया है। ऑनलाइन कई कंपनियों ने इसमें रूचि दिखाई है।इवेंट कंपनी धाम में विवाह करने वालों की बुकिंग करेगी। बाबा के धाम के अनुसार ही आयोजन में कई पाबंदियों के साथ विवाह की अनुमति रहेगी। विवाह के सभी आयोजन प्राचीन परंपरा व संस्कृति के अनुसार ही संपन्न होंगे। किसी भी तरह के डीजे के साथ ही कई प्रतिबंधों के साथ विवाह की अनुमति प्रदान की जाएगी।
वैवाहिक आयोजन के दौरान आम श्रद्धालुओं की सुविधा का भी ध्यान रखा जाएगा। शादी के साथ ही मुंडन संस्कार और संगोष्ठी के आयोजन भी हो सकेंगे।सजा बाबा दरबार। इसका शुल्क अभी निर्धारित नहीं किया गया है लेकिन यह आम जनता की जेब के अनुसार ही रखा जाएगा।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य व ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि जुलाई में विवाह के चार मुहूर्त हैं। इसके बाद नवंबर में चार और दिसंबर में पांच मुहूर्त हैं। मंदिर प्रशासन का कहना है कि शादी विवाह और सामाजिक कार्यक्रम के लेकर वही नियम होंगे जिससे जनमानस की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। ऐसे किसी भी कृत्य की अनुमति नहीं होगी जो धार्मिक रूप से अनुचित है।