खूब उड़ी गुड्डी, रंगबिरंगी पतंगों से पटा आकाश
प्रतिबन्ध के बावजूद पुलिस की नाक के नीचे बिकता रहा चाइनीज मंझा, दिन भर चलता रहा चोर सिपाही का खेल
वाराणसी (रणभेरी सं.)। मकर संक्रांति पर मंगलवार को बनारस में पतंगबाजी के पुराने हाथ नजर आए। पूरे दिन रंगबिरंगी पतंगों से आकाश पटा रहा। पक्के महाल में पतंगबाजों की टोलियां पूरे दिन छतों पर रहीं तो बहुमंजिला कॉम्प्लेक्स की छतों पर भी बच्चे कन्नी साधते और छुड़इया देते दिखे। प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मंझे से भी पतंगें उड़ाई गईं। कड़ाके की ठंड के बावजूद मंगलवार को सुबह से ही पतंगबाज छतों पर चढ़ गए थे। पक्के महाल से लगायत कॉलोनियों के भवनों की छतों से घाट किनारे और गंगा पार तक पतंगबाजों की टोलियां दिखीं। गीत संगीत, पिकनिक पार्टी के बीच लोगों ने परंपरागत खेल का आनंद लिया। बड़े-बड़े स्पीकर पर फिल्मी गीत और भजन गूंजते रहे तो ऐसे मौकों पर पेटेंट 'सात समंदर और 'नाकाबंदी जैसे गीत अरसे बाद लोगों के कान में पड़े। कई छतों पर पतंगबाज माइक लगाकर लाइव कमेंट्री करते तो पड़ोसियों को पतंग बढ़ाने के लिए ललकारते दिखे। तमाम प्रयासों के बावजूद चाइनीज मंझों के खतरों से लोगों को निजात नहीं मिली। खासतौर से गंगा किनारे की घनी बस्तियों में पतंगबाजी करने वाले बहुतेरे लोगों को चाइनीज मंझे ने जख्मी किया।
विदेशी पर्यटकों भी पतंगबाजी का उठाया लुफ्त
सात समुंदर पार से आए विदेशी भी पतंग उड़ाने में पीछे नहीं रहे। गंगा घाट एवं होटलों की छतों से विदेशी पर्यटकों ने भी पतंगबाजी का लुफ्त उठाया। स्थानीय लोगों के साथ देशी-विदेशी पर्यटक भी रंग बिरंगी पतंगें उड़ाकर बनारसी रंग में नजर आए। विदेशी पर्यटकों ने पतंगबाजी के साथ डीजे की धुन पर डांस भी किया। दिनभर चलता रहा चोर-पुलिस का खेल
90 के दशक के बच्चों को एक खेल जरूर याद होगा, जिसमें एक टीम चोर के रूप में खेलती थी और दूसरी पुलिस के रूप में। मंगलवार को बिल्कुल यहीं नजारा दालमंडी में दिखा। दरअसल, बैन के बावजूद दालमंडी की कुछ दुकानों में पुलिस की नाक के नीचे चाइनीज मंझा बिकता रहा। जब पुलिस पहुंचती तो दुकान से चाइनीज मंझा गायब और पुलिस के जाते ही फिर से धड़ल्ले से बिकना शुरू हो जाता। दुकानदारों ने शातिराना अंदाज में चाइनीज मंझा की बिक्री की कि पुलिस पकड़ ही नहीं पाई।
दुकानदार मंझा दुकान पर न रखकर इसके लिए कुछ आदमी रखे थे जो ग्राहकों की मांग पर झोले में चाइनीज मंझा लेकर जांच पड़ताल करने के बाद उन्हें सौंपते। सूचना पर जब पुलिस पहुंचती तो झोले में चाइनीज मंझा रखने वाला आदमी हट जाता था।
उत्तरायण हुए सूर्य, श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी
सूर्य नारायण के उत्तरायण होने पर मंगलवार को लाखों आस्थावानों ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई। मकर संक्रांति पर ब्रह्म मुहूर्त से ही काशी के सभी प्रमुख घाटों की ओर लोगों का रेला दिखाई पड़ने लगा था। काशी के प्रमुख स्नान घाट दशाश्वमेध पर भीड़ का सर्वाधिक दबाब रहा। इसके अलावा भैंसासुर घाट, गायघाट, केदारघाट, शिवाला घाट, भदैनी, तुलसी, रीवा, पंचगंगा और अस्सी घाट पर भी स्नानार्थियों का हुजूम रहा। भोर में चार बजे से दोपहर 12 बजे तक स्नानार्थियों की कतार टूटी नहीं। गिरजाघर से दशाश्वमेध घाट तक रास्ते के दोनों ओर लोगों का हुजूम दिखाई पड़ रहा था। स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए जल में बैरिकेडिंग भी की गई थी। बैरिकेडिंग के बाहर एनडीआरफ के जवान तैनात थे। एनडीआरफ के तीन गश्ती दल भी चक्कर लगाते रहे। दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों से चितरंजन पार्क तक दान लेने वालों की कतार बीच सड़क पर रही। गंगा मंदिर और शीतला मंदिर दोनों ही मार्गों पर एक जैसी स्थिति थी। दान लेने वालों में साधु-संतों से अधिक भिखारी और उनके बच्चे सक्रिय दिखे। इसके बाद भीड़ का दबाव दक्षिण में अस्सी घाट और उत्तर में भैसासुर घाट पर था। मकर संक्रांति पर आस्थावानों ने गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाकर पुण्य लाभ लिया। जिले की दक्षिणी सीमा से सटे जिलों और गांवों से संक्रांति का स्नान करने चली भीड़ ने अस्सी घाट की ओर रुख किया तो उत्तरी सीमा की ओर से आने वालों ने भैसासुर घाट को प्रमुखता दी। संघ के स्वयंसेवकों ने स्वच्छता कर्मियों के खिचड़ी भोज का आयोजन कर संक्रांति का पर्व मनाया। भारतेन्दु नगर के कार्यकर्ता धनधान्येश्वर शाखा ब्रह्माघाट पर एकत्र हुए। वार्ड में सफाई कार्य करने वाले सभी पुरुष एवं महिला कर्मियों का माल्यार्पण, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया गया। फिर सभी ने एक पंगत मे बैठकर खिचड़ी खाई।
काशी विश्वनाथ धाम में हुई बाबा की भोग आरती
मकर संक्रांति पर महाकुंभ में स्नान के बाद श्रद्धालुओं का काशी में पलट प्रवाह मंगलवार से शुरू हो गया। काशी के गंगा घाटों पर स्नान के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंची। इस दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा की भोग आरती की गई। इस दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को प्रसाद में खिचड़ी वितरित किया गया। देश-विदेश में प्रख्यात प्राचीन व देवों की नगरी काशी में दर्शन-पूजन और स्नान दान का विशेष महत्व है। इस लिहाज से महाकुंभ में स्नान के बाद श्रद्धालु काशी भी आएंगे। 15 जनवरी से श्रद्धालुओं की भीड़ काशी में उमड़ने लगेगी। इधर, काशी भी उनकी आगवानी के लिए तैयार है। श्रद्धालु गंगा स्नान के साथ ही देवालयों और शिवालयों में दर्शन-पूजन करेंगे। बाबा विश्वनाथ धाम और कालभैरव मंदिर में काफी भीड़ होगी। महाकुंभ में स्नान के बाद काशी में 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। महाकुंभ में तीन अमृत स्नान होंगे। 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या और तीन फरवरी को बसंत पंचमी पर अमृत स्नान होंगे। इन दिनों और अगले दिन भी दोगुनी भीड़ होगी। इसके अलावा महाशिवरात्रि के अलावा एकादशी, प्रदोष आदि तिथियों पर भी स्नान के लिए भीड़ होगी। गंगा स्नान के साथ ही शिवालयों व देवालयों में दर्शन पूजन करेंगे।
दक्षिण भारत के लोगों ने मनाया पोंगल
हनुमान घाट मोहल्ले मे रहने वाले दक्षिणी भारत के लोगों ने पोंगल का पर्व मंगलवार को हर्षोल्लास से मनाया। दक्षिण भारतीय परिवारों में घर के प्रवेश द्वार से आंगन तक चौरेठा से अल्पना (कोलम) बनाई गई। अशोक की पत्तियों और गेंदे के फूल से तोरण सजाए गए। तिल और गुड़ के पकवान बनाए। पांडेयहवेली के निकट तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर परिसर स्थित अय्यप्पा मंदिर में भी दर्शन-पूजन किया गया।