नहीं बचाएंगे जल तो मुश्किल होगा आने वाला कल

नहीं बचाएंगे जल तो मुश्किल होगा आने वाला कल

वाराणसी (रणभेरी सं.)। : रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून..जीवन के लिए हवा के बाद सबसे महत्वपूर्ण है पानी। पानी हमारी जिंदगी का आधार है। पीने के अलावा खाना बनाने, नहाने, खेती करने और फैक्ट्रियों को चलाने तक हर चीज के लिए पानी चाहिए। लेकिन आज दुनिया में पानी की कमी एक बड़ी समस्या बन रही है। अगर हम इसे नहीं बचाएंगे तो आने वाली पीढ़ियों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसी बात पर ध्यान दिलाने और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ह्यविश्व जल दिवसह्ण मनाया जाता है। पानी की बबार्दी रोकना इसलिए जरूरी है क्योंकि धरती पर जितना पानी है, उसका बहुत कम हिस्सा ही हमारे इस्तेमाल के लायक है। बढ़ती आबादी, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन ने जल संकट को और गंभीर बना दिया है। दुनिया की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। आज का दिन दिवस लोगों को जल संकट और उसके समाधान पर सोचने के लिए प्रेरित करता है।
धरती का करीब 71 फीसद हिस्सा पानी से ढका हुआ है। यानी समुद्र, नदियां, झीलें और ग्लेशियर सब मिलाकर ढेर सारा पानी है। लेकिन इसका 97.5 फीसद हिस्सा खारा पानी है जो समुद्रों में है और पीने या रोजमर्रा के काम के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि इंसान के उपयोग के लिए सिर्फ करीब 2.5 फीसद साफ पानी ही बचता है। और अफसोस की बात ये है कि हमारी गलतियों जैसे  प्रदूषण, पानी की बबार्दी और जलवायु परिवर्तन के कारण ये कीमती पानी दिनों दिन कम होता जा रहा है। इसीलए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है ताकि जल संरक्षण और सतत जल प्रबंधन की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

विश्व जल दिवस हमें याद दिलाता है कि पानी हमारी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा है। बिना पानी के न प्यास बुझ सकती है, न खेत हरे रह सकते हैं, न पेट भर सकता है, न ही हमारा रोज का काम चल सकता है। लेकिन आज दुनिया के कई स्थानों पर जलसंकट एक गंभीर समस्या बन गया है। बढ़ता प्रदूषण, फैक्ट्रियों का गंदा पानी, प्लास्टिक और कचरा नदियों-झीलों में मिल रहा है, जिससे साफ पानी गंदा हो रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और बारिश का पैटर्न बिगड़ गया है। कहीं सूखा पड़ रहा है, तो कहीं बाढ़ आ रही है। पानी का ज्यादा और बेजा इस्तेमाल भी एक बड़ी वजह है। कई लोग पानी को बेकार बहाते हैं, जैसे नल खुला छोड़ना या खेती में जरूरत से ज्यादा पानी इस्तेमाल करना। भूजल का दोहन, जंगलों की कटाई भी पानी की कमी के बड़े कारण हैं।

इस साल की थीम

इस बार 2025 में विश्व जल दिवस की थीम है ह्लग्लेशियर संरक्षणह्व। इसका मतलब है कि ग्लेशियर यानी बर्फ के पहाड़ दुनिया भर में साफ पानी को बनाए रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं और हमें इनका संरक्षण करने के हरसंभव प्रयास करने चाहिए। ग्लेशियरहमें पीने का पानी, खेती और नदियों के लिए पानी देते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से ये तेजी से पिघल रहे हैं। 
इन्हें बचाना बहुत जरूरी है, वरना आने वाले दिनों में पानी की बड़ी समस्या हो सकती है। पानी हम सबकी जिंदगी है और उसे बचाने की जिम्मेदारी भी साझा है। आइए इस विश्व जल दिवस पर हम मिलकर संकल्प लें की बूंद-बूंद पानी बचाएंगे और अपने आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। छोटे-छोटे कदम जैसे नल को ठीक करना, कम पानी इस्तेमाल करना और बारिश का पानी जमा करना जैसे उपाय हमारे कल को सुरक्षित बना सकते हैं।

जरूरी हो गया है प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण

दुनिया में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है. पेयजल की समस्या भी दिनों-दिन गहराती जा रही है। इसके बावजूद हम पेयजल को बचाने और जल संचय के प्रति क्यों गंभीर नहीं हैं, यह समझ से परे है। जबकि संयुक्त राष्ट्र बहुत पहले ही चेतावनी दे चुका है कि 2025 में दुनिया की चौदह प्रतिशत जनसंख्या के लिए जल संकट बड़ी समस्या बन जायेगा। इंटरनेशनल ग्राउंड वाटर रिसोर्स असेसमेंट सेंटर के अनुसार, दुनियाभर में 270 करोड़ लोग ऐसे हैं जो पूरे एक वर्ष में तकरीबन तीस दिन तक पानी के संकट का सामना करते हैं। 

नमो घाट पर जल संरक्षण के लिए श्रद्धालुओं ने लिया संकल्प

वाराणसी (रणभेरी सं.)। विश्व जल दिवस के मौके पर शनिवार को नमो घाट पर श्रद्धालुओं के कई दलों को जल की महत्ता बताई गई। जल शक्ति मंत्रालय नमामि गंगे के गंगा विचार मंच महानगर इकाई व 137 सीईटीएफ 39 जीटीसी गंगा टास्क फोर्स के संयुक्त तत्वावधान में नमो घाट पर गंगा मईया के जय- जयकार संग सभी जल संरक्षण के लिए संकल्पित हुए। गंगा किनारे पश्चिम बंगाल से आए श्रद्धालुओं के दल को ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से पंचतत्वों में प्रधान जलतत्व की महत्ता बताते हुए कहा कि जल ही जीवन है। इसे बचाया जा सकता है। बनाया नहीं जा सकता। तेजी से सुख रहें जल स्त्रोतों, गिरते हुए भूगर्भ जल स्तर, मां गंगा की सहायक नदियों की दुर्दशा पर ध्यानाकर्षण करते हुए आग्रह किया कि प्रत्येक व्यक्ति जल के अनावश्यक बबार्दी को स्वयं के स्तर से रोके। गंगा में गंदगी न करने की अपील की गई।