2750 कैमरों से भीड़ को नियंत्रित कर रहा ICC
प्रयागराज। विश्व के सबसे बडे आयोजन महाकुंभ में 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से स्नान शुरू है। छह दिनों के भीतर सात करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं। सबसे ज्यादा साढ़े तीन करोड़ लोगों ने मकर संक्रांति पर ही डुबकी लगाई है। अधिकारियों की माने तो इस बार महाकुंभ में 45 करोड़ से भी ज्यादा लोग आएंगे। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा महाकुंभ पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि, मेला क्षेत्र में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) क्राउड मैनेजमेंट में वरदान साबित हो रहा है। इसके माध्यम से न सिर्फ मेला क्षेत्र में आ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को कंट्रोल करने में मदद मिल रही है बल्कि कई तरह के सर्विलांस में भी यह मददगार बन रहा है। महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व और मकर संक्रांति के अमृत स्नान पर भारी भीड़ को सुनियोजित तरीके से नियंत्रित करने में आईसीसीसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्राउड मैनेजमेंट में मिल रही मदद
आईसीसीसी के प्रभारी एसपी अमित कुमार ने बताया कि यहां पर 2750 कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं, जिनके माध्यम से न सिर्फ मेला क्षेत्र में बल्कि पूरे शहर क्षेत्र पर नजर रखी जा रही है। तीन तरफ से भीड़ की निगरानी की जा रही है। पहली सिक्योरिटी, दूसरी क्राउड मैनेजमेंट और तीसरी क्राइम। उन्होंने बताया कि हमारे पास जो कैमरे हैं उनसे हम सर्विलांस, क्राउड मैनेजमेंट और फायर सर्विलांस जैसे तमाम बिंदुओं पर नजर रख पा रहे हैं।
क्राउड मैनेजमेंट के लिए हम लोग क्राउड फ्लो को मॉनिटर कर रहे हैं कि किस तरफ से कितना क्राउड आ रहा है और इसको किस प्रकार से रेगुलेट करना है। क्राउड फ्लो के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं की भीड़ का दबाव कहां ज्यादा है और हम उसको वहां से किस ओर मूव कर सकते हैं। यह काफी कारगर तकनीक है। हमें यहां से रेगुलर निगरानी करनी पड़ती है कि कहीं किसी एक स्थान पर भीड़ का घनत्व तो ज्यादा नहीं हो गया है।
सभी प्रमुख स्थानों पर इंस्टाल हैं कैमरे
मेला क्षेत्र में जितने भी क्रिटिकल और सेंसिटिव एरिया हैं वहां पर कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। जितने भी घाट हैं, प्रमुख सड़के हैं, पुल है, सभी जगह कैमरे लगाए गए हैं क्योंकि यहीं से हमें ये जानकारी मिलेगी कि कहां पर भीड़ का मूवमेंट कितना है। खासतौर पर संगम पर कैपेसिटी कितनी है, ताकि हम इस पर काम कर सकें। एक और चीज यह भी है कि हमें पता है कि इस तरह के आयोजनों में लोग कैसे इकट्ठा होते हैं। पूरे शहर में एक ही क्राउड डेंसिटी नहीं होती है। घाट पर भीड़ ज्यादा होती है और पीछे कम होती है। इसमें भी हमको हमारी लर्निंग का फायदा मिलता है।
रियल टाइम बेसिस के आधार पर की जाती है भीड़ की गिनती
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की एआई बेस्ड कैमरे की मदद से भीड़ की गिनती करने में भी मदद मिलती है। ड्रोन और कैमरों की मदद से भीड़ के घनत्व, वाहनों की संख्या के आधार पर अनुमान लगाया जाता है। भीड़ की गिनती करने के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है। इस टीम का नाम क्राउड एसेसमेंट टीम है। रियल टाइम बेसिस के आधार पर यह टीम मेले में आने वाले लोगों की गिनती कर रही है। एआई बेस्ड कैमरों से भीड़ की फेस रीडिंग की जाती है। फेस स्कैन के माध्यम से यह अनुमान लगाया जाता है कि कितनी देर में कितने लाख श्रद्धालु मेले में पहुंचे। पूरे मेला क्षेत्र में 1800 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं।