महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने लिया संन्यास, किन्नर अखाड़े की बनीं महामंडलेश्वर, बोलीं- अब मुझे बॉलीवुड नहीं जाना

प्रयागराज (रणभेरी): फ़िल्मी दुनिया से अध्यात्म की दुनिया में कदम रखीं बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ मेले में पहुंचकर सांसारिक मोह-माया का त्याग कर दिया। किन्नर अखाड़े में संन्यास ग्रहण कर लिया और संत बन गईं। किन्नर अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी दे दी। आमतौर पर महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया अखाड़ों में कठिन मानी जाती है। व्यक्ति को पहले दीक्षा लेनी होती है और कठोर तपस्या के बाद यह पद मिलता है, लेकिन किन्नर अखाड़ा, जो सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है, अपने अलग नियमों के लिए जाना जाता है। यहां संन्यास लेने और पदवी पाने की प्रक्रिया थोड़ी सरल है। इस घटना ने महाकुंभ में मौजूद श्रद्धालुओं के साथ पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र महाकुंभ मेला इस बार एक अलग ही कारण से चर्चा में है।
मता कुलकर्णी ने शुक्रवार को 7 घंटे की तपस्या के बाद उन्होंने संगम में डुबकी लगाई। अपना पिंडदान किया। शाम को किन्नर अखाड़े में ममता साध्वी वेष में दिखीं। गले में रुद्राक्ष माला थी। शरीर पर भगवा वस्त्र। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने पहले प्रतीकात्मक तौर पर उनके बाल काटे, फिर दूध से अभिषेक किया। इसके बाद हर-हर महादेव के जयकारों के साथ उनको अखाड़े मेंं धर्मध्वजा के नीचे पट्टाभिषेक कराया गया। ममता ने अखाड़े के संतों से आशीर्वाद लिए। फिर छत्र, चंवर के साथ दिखीं। सबको आशीर्वाद देती नजर आईं। उन्होंने कहा, यह महादेव और महा काली का आदेश था। यह मेरे गुरु का आदेश था। उन्होंने इस दिन को चुना। मैंने कुछ नहीं किया। ममता का पट्टाभिषेक देखने अखाड़े में 10 हजार लोग पहुंचे।
पट्टाभिषेक के बाद ममता कुलकर्णी ने कहा, अब मुझे बॉलीवुड में नहीं जाना है। अब मुझे सनातन के लिए आगे काम करना है। कल मैं यह सोच रही थी कि 12 साल पहले मैं आयी थी और आज यहां हूं। मुझे आज काशी जाना था, लेकिन आज यहां मेरे सामने ब्रह्मा, विष्णुजी और महेश सामने दिख गए। मैंने तत्काल निर्णय लिया कि 23 साल की तपस्या का आज सर्टिफिकेट तो बनता है। आज से मैं समाज के लिए काम करूंगी। जब मैंने बॉलीवुड को त्यागा था, तो भी मैं बहुत बुरे वक्त में नहीं थी। ममता ने कहा, बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है, वह गलत है।
ममता ने कहा, यह मेरा सौभाग्य है कि महाकुंभ की इस पवित्र बेला में मैं भी साक्षी बन रही हूं। संतों का आशीर्वाद प्राप्त कर रही हूं। ममता का कहना है कि उन्होंने अपने गुरु चैतन्य गगन गिरि से कुपोली आश्रम में 23 साल पूर्व दीक्षा ली थी और अब पूरी तरह संन्यास जीवन के साथ नई जिंदगी में प्रवेश कर रही हूं।
ममता के महामंडलेश्वर बनने पर स्वामी अवधेशानंद ने कहा- संन्यास का सबको अधिकार है। वह अपनी मोह माया और एक प्रकार सांसारिकता त्याग कर, श्रेष्ठ कार्यों के लिए, लोक कल्याण के लिए, पारमार्थिक जीवन जीने के लिए अगर कोई व्यक्ति आना चाहता है, तो उसका स्वागत है।