1563 साल बाद कल से दुर्लभ संयोग में शुरू होगा हिंदू नववर्ष
- तैयारियां पूरी, महंगाई के बावजूद श्रद्धालुओं में पूजा को लेकर उत्साह
- चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मुखनिर्मालिका गौरी का पूजन, सिर्फ 2.30 घंटे कलश स्थापन का मुहूर्त
वाराणसी (रणभेरी): नवरात्रि के समय पूरे नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। ये त्योहार सालभर में चार बार मनाया जाता है। लेकिन इनमें सबसे प्रमुख चैत्र व शारदीय नवरात्रि है। इस नवरात्र से ग्रीष्म ऋतु की भी शुरूआत हो जाती है। नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाते है जो कि इस साल 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहे हैं। जिसका समापन 10 अप्रैल 2022 को होगा। इस बार नवरात्र की विशेष बात ये है कि इस साल किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। इसलिए इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की होगी। हर नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त माता रानी का वाहन अलग होता है। इस चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी।
काशी में मान्यताओं के अनुसार गौरी के नौ स्वरूप यहां विविध स्थानों पर मौजूद हैं। चैत्र नवरात्र का पहला दिन मुखनिर्मालिका गौरी का माना जाता है। काशी में देवी मुखनिर्मालिका गौरी का मंदिर गंगा तट के करीब गायघाट के हनुमान मंदिर में स्थित है। पहले दिन दर्शन पूजन करने आने वालों से मंदिर पटा रहता है। आस्था का सागर उमड़ता है तो दिन भर मंदिर में भजन कीर्तन और आस्था के स्वर डूबे नजर आते हैं। गायघाट स्थित इस मंदिर में चैत्र नवरात्र के पहले दिन से ही दर्शन पूजन का अनवरत क्रम शुरू हो जाता है। नवरात्र के मौके पर शुक्रवार से ही मंदिर में साफ सफाई शुरू होने के साथ ही मंदिर की साज सज्जा का अनवरत क्रम शुरू हो जाता है। मंदिर की मान्यताओं के अनुरूप ही मंदिर परिसर में दूर दराज से आने वाले आस्थावानों का रेला शुरू हो जाता है। मंदिर के बारे में धर्मार्थ कार्य विभाग की ओर से प्रचार प्रसार पूर्व से किया जा रहा है। मंदिर में दर्शन पूजन का क्रम शुरू होने के साथ ही प्रसाद और चुनरी की दुकानें भी एक दिन पूर्व सजकर तैयार हैं।
घट स्थापना मुहूर्त
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक की अवधि शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की साधना-आराधना को समर्पित है। इसे शास्त्रों में वासंतिक या चैत्र नवरात्र कहा गया है। चैत्र नवरात्र दो अप्रैल से लग रहा है जो पूरे नौ दिन चलेगा। ख्यात च्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस बार कलश स्थापन के लिए मात्र 2.30 घंटे ही मिल रहे हैैं। सुबह सूर्योदय के बाद 5.52 से 8.22 बजे तक कलश स्थापन किया जा सकता है। इसके बाद वैधृति योग लग जा रहा है। इसमें घट स्थापन से वंश हानि होती है। सप्तमी यु1त अष्टमी महारात्रि में महानिशा पूजन आठ अप्रैल को किया जाएगा। महाअष्टमी व्रत नौ को और राममनवमी व महानवमी व्रत के साथ नवरात्र का होम-हवनादि दस अप्रैल को किया जाएगा। नौ दिवसीय नवरात्र व्रत का पारन 11 को किया जाएगा।
मां के श्रंगार पर भी महंगाई
मां के श्रंगार पर इस बार 25 प्रतिशत की तेजी है। चुनरी, कलात्मक बनावटी गहने, मुकुट, रेडीमेड कलश बस पर पैसा बढ़े हैं। कोलकता, सूरत व जयपुर की स्टोन वर्क में मां की पोशाक हर बजट में उपलब्ध है। 20 से तीन हजार रुपये तक की रेडीमेड पोशाक बाजार में मिल रही है। मुकुट छोट मोती व स्टोन में उपलब्ध हैं। यह 50 रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक उपलब्ध हैं। मां की कौधनी, चूड़ी व अन्य श्रंगार का समान भी उपलब्ध है। दुकानदारों का कहना है कि नवरात्रि को लेकर मां के भक्तों में गजब का उत्साह है। विभिन्न कंपनियों ने पोशाक, कलात्मक भगवान के बनावटी गहने, चुनरी व अन्य पर 25 प्रतिशत तक महंगे कर दिए हैं। मगर ग्राहकों पर इसका असर नहीं है। पीतल की मूर्ति का बजट जरुर कम किया है।