भूजल का दोहन मनमानी, महंगा पड़ रहा आरओ का पानी
*सिर्फ चिल्ड पानी पिला रहे आरओ प्लांट, टीडीएस लेवल शुद्ध नहीं*
*शहर में चल रहे 150 से अधिक आरओ प्लांट ’पानी की शुद्धता की नहीं होती जांच ’30 रुपए में दे रहे ठंडा पानी डेली कर रहे 30 लाख रुपए का कारोबार*
वाराणसी (रणभेरी )। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध आरओ प्लांट से पानी का कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है। 30-30 रुपए में 20 लीटर चिल्ड पानी का जार डोर टू डोर बेचा जा रहा है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि आप जो पानी पी रहे हैं वो शुद्ध या आरओ का पानी ही हो। शहर के ज्यादातर पानी सप्लाई करने वाले आरओ प्लांट सिर्फ चील्ड वॉटर की दुकान चला रहे हैं। इनमें से कई के यहां मिलने वाले पानी का टीडीएस लेवल गड़बड़ है। ऐसा इसलिए भी है कि गर्मी के सीजन में आरओ वाटर की मांग जरूरत से ज्यादा है। जबकि पानी को फिल्टर करने में प्लांट संचालक को काफी समय लगता है। दूसरी बड़ी बात ये भी है कि इनके लिए कोई नियम न होने के कारण न तो इन प्लांटों की जांच होती है और न ही पानी की शुद्धता जांची जाती है। अलग-अलग स्थानों पर चल रहे इन आरओ प्लांट पर दो हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक जुमार्ने का प्रावधान है, लेकिन कार्रवाई न होने के चलते प्लांट संचालक धड़ल्ले से कैंपर में सामान्य पानी ही दुकानों से लेकर निजी प्रतिष्ठानों में पानी पहुंचा रहे हैैं। इसे लेकर चौंकाने वाला मामला सामने आया। 60 परसेंट पानी होता है बर्बाद : जल दोहन का सबसे बड़ा कारण शहर में चल रहे अवैध आरओ प्लांट हैं। शुद्ध पानी के लिए आरओ प्लांट में 70 फीसद पानी बर्बाद होता है। उदाहरण के लिए कैंपर भरने के लिए यदि 1000 लीटर पानी का दोहन करते हैं तो उसे पीने योग्य बनाने में 600 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।
20 करोड़ का है पानी का बाजार
डिस्ट्रिक्ट में एक लाख से अधिक कैंपर का कारोबार डेली किया जा रहा है। हैरत की बात है कि खाद्य औषधि विभाग के पास बोतल बंद पानी पर कार्रवाई का अधिकार है, लेकिन कैंपर के पानी पर नहीं। हालांकि, भूगर्भ जल विभाग ने अब तक 112 लोगों को आरओ प्लांट चलाने के लिए लाइसेंस दे रखा है, जबकि सिटी में 150 से अधिक आरओ प्लांट संचालक जल दोहन कर रहे हैं। अनुमान के अनुसार सालाना कारोबार करीब 20 करोड़ के पार पहुंच चुका है। गर्मी में पानी की खपत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से करीब-करीब सभी संचालकों ने इसका दाम भी बढ़ा दिया है। पहले जो पानी 25 रुपए में मिलता था, वो अब 30 रुपए में बेचा जा रहा है।
चेक नहीं किया जाता टीडीएस
कैंपर वाले पानी में टीडीएस की मात्रा कितनी है? कई आरओ प्लांट में यह भी चेक नहीं किया जाता। पानी में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम की एक निश्चित मात्रा स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसकी जांच टीडीएस (टोटल डिसॉल्वड सॉलिड्स) के जरिए की जाती है।
ये है जरूरी
’पैक्ड मिनरल वाटर प्लांट के लिए ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंटर्ड का लाइसेंस जरूरी।
’फूड एंड सेफ्टी एक्ट के तहत किसी मिनरल वाटर प्लांट को संचालित करने के लिए भूगर्भ जल संचय विभाग से एनओसी लेना जरूरी।
’प्लांट लगाने से पहले वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था जरूरी है।
’कॉमर्शियल एरिया में होना चाहिए प्लांटम
इन क्षेत्रों में चल रहा अवैध कारोबार
लंका, सामनेघाट, साकेत नगर, सुंदरपुर, सिगरा, लहुराबीर, अर्दली बाजार समेत और कई प्रमुख जगहों पर सुबह होते ही कैंपर भरने का सिलसिला शुरू होता है, जोकि दोपहर तक चलता है। 20 लीटर के एक कैंपर पानी की कीमत 30 रुपए है। पूछने पर बताया गया कि इसके लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। बस सबमर्सिबल पंप लगाना होता है।
यह है हालात
’15 से ज्यादा ब्रांड के मिनरल वाटर बिक रहे शहर में
’150 से ज्यादा मिनरल वॉटर के अवैध प्लांट संचालित
’1 लाख से ज्यादा कैंपर की सप्लाई डेली
’112 आरओ प्लांट को
ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट से मिला लाइसेंस