नमक खाना है सुई की नोक बराबर, चिकन-चाइनीज में खा रहे झोंककर
गोरखपुर । विशेषज्ञों का कहना है कि खानपान की बदली आदत और होटल-रेस्त्रां व ठेला के अलावा आनलाइन डिलिवरी सिस्टम से आपूर्ति होने वाले चीन के फूड, मटन-चिकन में जरूरत से कई गुना अधिक नमक होता है। आयोडीनयुक्त नमक स्वाद ही नहीं, सेहत के लिए भी बहुत जरूरी है। शरीर को हर दिन 12 मिलीग्राम मतलब सुई की नोक के बराबर आयोडीनयुक्त नमक चाहिए, लेकिन लोग जायके के लिए चिकन-चाइनीज में नमक झोंककर खा रहे हैं। नतीजा यह कि लोग, ब्लड प्रेशर की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) हैदराबाद की रिपोर्ट इसकी गवाही दे रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 12 मिलीग्राम से कम नमक खाने पर जहां दिमाग का विकास रुक जाता है, तो इसकी ज्यादा मात्रा हाइपरटेंशन की कारण बनती है। विशेषज्ञों का कहना है कि खानपान की बदली आदत और होटल-रेस्त्रां व ठेला के अलावा आॅनलाइन डिलिवरी सिस्टम से आपूर्ति होने वाले चीन के फूड, मटन-चिकन में जरूरत से कई गुना अधिक नमक होता है। इस वजह से हर दिन लोगों को अलग-अलग प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खुद को स्वस्थ रखना है तो खाने में नमक की मात्रा को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान हैदराबाद की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि मानव शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। आयोडीन कोलेस्ट्रॉल के रासायनिक संश्लेषण में सहायता करता है। इसकी कमी से मानसिक विकास की प्रक्रिया मंद होती है, लेकिन शरीर में आयोडीन की अधिकता भी नुकसानदेह है। विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे दैनिक आहार में शामिल मूली, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार, अंडे की जर्दी, दूध, पनीर आदि में भी आयोडीन पाया जाता है। इस प्रकार देखा जाए तो एक वक्त के सामान्य भोजन से ही शरीर को जरूरत के अनुसार आयोडीन मिल जाता है। चूंकि देश के अधिकतर हिस्सों में जमीन में आयोडीन की कमी है, इसलिए आयोडीन युक्त नमक खाने में शामिल किया गया है, जिससे शरीर को इसकी पूर्ति होती रहे। तब सोचिए कि चिकना और मसालेदार चिकन, चाइनीज, नमकीन और बाजार के चटपटे सामान में जा रहा इकट्ठा नमक आपके लिवर और सेहत को कितना नुकसान पहुंचाते होंगे।
अतिरिक्त नमक शरीर को पहुंचा रहा नुकसान
एम्स के सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अनिल कोपरकर बताते हैं कि अब घर के खाने के अलावा बाहर भी लोग कुछ न कुछ खाते रहते हैं। इससे हर बार शरीर में अतिरिक्त नमक की मात्रा जाती है। प्राथमिक विद्यालय शिवपुर में एम्स की तरफ से हेल्थ जागरूकता शिविर लगाकर लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया जाता है कि खाने में नमक की मात्रा नियंत्रित रखें। यह तभी संभव हो पाएगा, जब हम अपनी खानपान की आदत को सुधारेंगे। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रामशंकर रथ बताते हैं कि अतिरिक्त नमक वाले खाद्य पदार्थ जैसे अचार, चटनी, पापड़ कम खाना चाहिए। इन्हें बनाते समय भी नमक की मात्रा कम रखें, जिससे शरीर में अनावश्यक आयोडीन और सोडियम एकत्रित न हो।
50 से 700 हो गए चाइनीज फूड-नॉनवेज स्टॉल
शहर में नॉनवेज और चीन के फूड खाने का चलन तेजी से बढ़ा है। शास्त्री चौक स्थित बिरयानी की दुकान के मालिक नन्हें सिंह बताते हैं कि तीन दशक में नॉनवेज की खपत में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 1989 में जब हमने दुकान खोली तो पूरे शहर में 50 से कम दुकानें थीं। आज 500 स्टॉल-दुकानें तो केवल जीएसटी पंजीकरण वाली हैं। इसके अलावा लगभग 200 दुकानें व ठेले वाले हैं। मीट का कारोबार करने वाले रियाज अंसारी बताते हैं कि शहर में हर दिन करीब 200 क्विंटल मुर्गा के मीट की खपत केवल दुकानों पर है। कुनराघाट इलाके में मीट की दुकान चलाने वाले जितेंद्र साहनी बताते हैं कि कुल बिक्री का करीब 30 प्रतिशत खपत आॅनलाइन है। नॉनवेज की तरह ही चीन के फूड की खपत भी खूब है। केवल रामगढ़ताल इलाके में ही लगभग 100 दुकानें हैं। इसके अलावा गोलघर, इंदिरा बाल विहार से लेकर मेडिकल कॉलेज तक जगह-जगह सड़क से लेकर रेस्त्रां तक इनकी बिक्री हो रही है। ठेला व रेस्त्रां में बिकने वाले मसालेदार चिकन शरीर में अतिरिक्त नमक पहुंचा रहे हैं, जिस वजह से लोग बीमार हो रहे हैं।
लिवर आपका मित्र है..खराब खाकर इससे शत्रुता मत कीजिए
पेट रोग विशेषज्ञ डॉ अमिताभ ने बताया कि गोरखपुर व आसपास के जिलों में फैटी लीवर के मामले बढ़ रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह यही तेल-मसालेदार नॉनवेज और चीन के फूड हैं। रोस्टेड चिकन, फ्राई मछली, पिज्जा, बर्गर ये सभी लिवर पर असर डालते हैं। इन्हें पचाने में लिवर को अतिरिक्त ताकत झोंकनी पड़ती है। लिवर आपको खाना पचाकर देता है। आपकी सेहत सही रखता है, इसलिए आपका मित्र है। इससे शत्रुता मत कीजिए। तमाम लोग ऐसे हैंं जो ये गरिष्ठ भोजन नियमित तौर पर खाते हैं। इससे पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। कुछ दिन बाद लोग पेट के रोगी बनकर आते हैं। उस वक्त तक लिवर को इतना चिकना बना चुके होते हैं कि उन्हें वापस सही स्थिति में लाना बहुत मुश्किल होता है। मरीजों को इलाज से अधिक सतर्कता की जरूरत होती है, लेकिन यह सभी मुश्किल काम हैं। अक्सर ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें तेल मसालेदार खाने से मना किया जाता है, लेकिन वे दवा के साथ मासालेदार-चिकना खाने से बाज नहीं आते।