काशी तमिल संगमम में शिक्षक की भूमिका निभा रहे हरिशंकर
वाराणसी (रणभेरी): काशी तमिल संगम के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद हर किसी काशीवासी के मन में तमिल भाषा सभ्यता और संस्कृति को जानने सीखने और पहचानने की इच्छा जागृत हो जाती है लोगों की इच्छाओं और तमिलनाडु की भाषा ज्ञान को विस्तार रूप देने के लिए संस्कृति भारती के पूर्णकालिक स्वयंसेवक हरि शंकर शिक्षक की भूमिका की भूमिका निभा रहे हैं। एक तरफ काशी तमिल संगमम् में सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत होती है तो वहीं दूसरी तरफ हरिओम की तमिल पाठशाला की शुरुआत होती है। उन्होंने बताया कि यहाँ तमिल सम्भाषण चल रहा है।
हिन्दी-भाषी एवं अन्य भाषा के लोग भी है वे सभी तमिल भाषा भी जानने की इच्छा रखते है अत: मैं छोटे छोटे वाक्यों में 10 से 15 मिनट में लोगों को लिखकर समझा रहा है। जैसे- "मेरा नाम " मम् नाम " मम जनकस्य नाम, (मेरे पिता का नाम) मैं कहाँ रहता हूँ ( अहं कुत्र निवसामि) 10 से 15 मिनट में तमिल भाषा को छोटे-छोटे वाक्यों में समझाता हूँ सम्भाषण में जब लोग छोटे छोटे तमिल वाक्यों का प्रयोग जानलेंगे तो उनका भी तमिल भाषा बोलने में विश्वास हो जायेगा और आसानी के बोल लेंगे। संस्कृत भाषा की मदद से हरिशंकर तमिल भाषा को बोलने और समझने की शिक्षा दे रहे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक छात्र ने बताया कि यह एक अद्भुत कार्य इनके द्वारा किया जा रहा है। हम इस कार्यक्रम के सांस्कृतिक संध्या के कार्यक्रम में आते हैं। शाम को हमें पता चला कि यहां तमिल भाषा बोलना सिखाया जा रहा तो हम यहां आ गये।