महाबली के द्वार, उमड़े भक्त अपार
वाराणसी(रणभेरी)। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा पर रुद्र के एकादश अवतार भक्त शिरोमणि हनुमान के जन्मोत्सव का उल्लास मंगलवार को काशी में अभिव्यक्त हुआ। शहर के सभी प्रमुख हिस्सों से छोटी-बड़ी शोभायात्राओं की शक्ल में हनुमान भक्तों के कदम संकटमोचन की ओर बढ़ते दिख रहे थे। मुख्य शोभायात्रा भिखारीपुर से निकाली गई। दो किमी लंबी इस शोभायात्रा में देश के विभिन्न प्रांतों से जुटे 30 हजार से अधिक हनुमान भक्त शामिल हुए। ब्रह्म मुहूर्त से ही संकटमोचन के दरबार में आस्थावानों का हुजूम उमड़ पड़ा था। मंदिर परिसर अपार भीड़ से पटा रहा। परंपरा के अनुसार संकटमोचन भगवान का बैठकी शृंगार किया गया। वर्ष में सिर्फ इसी दिन यह दर्शन भक्तों को मिलता है। प्रात 6 से 7 बजे तक हनुमानजी का विशेष पूजन एवं आरती की गई। इसके बाद भक्तों को झांकी दर्शन मिले। महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने अपने हाथों से भक्तों को प्रसाद वितरित किया। प्रात 7 बजे से रामायणजी की आरती एवं पूजन के बाद एकाह पाठ आरंभ हुआ।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी रही जन्मोत्सव की धूम
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इसी क्रम में पिंडरा तहसील परिसर में स्थापित हनुमान मंदिर में अधिवक्ताओं ने हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ और भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। कपसेठी थाना क्षेत्र के कुरु गांव स्थित हनुमान मंदिर से हनुमत ध्वजा के साथ शोभायात्रा निकाली गई। यहां भंडारे का प्रसाद बांटा गया।
अक्षयवट हनुमान का धूमधाम से मना जन्मोत्सव
विश्वनाथ धाम में विराजमान अक्षयवट हनुमान का जन्मोत्सव विधि-विधान से मनाया गया। भोर में हनुमत लला के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया गया। चमेली के तेल में मिला सिंदूर लेपन किया गया। नूतन वस्त्रत्त् धारण कराने के बाद फूलों और तुलसी की मालाओं से शृंगार किया गया। महंत रमेश गिरीने महाआरती की। भोर में 5 बजे से दर्शन शुरू हुआ। महंत बच्चा पाठक और नील कुमार मिश्रा ने प्रसाद वितरण किया ।
बनकटी हनुमान मंदिर में मनाया गया हनुमत जन्मोत्सव
हनुमत जयंती भगवान शिव की नगरी मे श्रद्धा पूर्वक मनाई गई । दुर्गाकुंड स्थित प्राचीन सेनापति वनकटी हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती मनाई गई । मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गया प्रसाद मिश्र के सानिध्य मे प्रातकाल हनुमान जी को गंगाजल से स्नान कराकर उनके शरीर पर सिंदूर लेपन किया गया व लाल वस्त्र धारण कराया गया। साथ ही बेला, चमेली, कमल,गुलाब, तुलसी व कामिनी के पत्तों से हनुमान जी का शृंगार कर उनको चना और गुड़ का भोग लगाकर मंदिर के पुजारी ने भव्य आरती की ।इसके पश्चात ब्राह्मणों द्वारा वेद मित्रों के बीच हनुमान जी का रुद्राभिषेक किया गया। इस अवसर पर मंदिर में दर्शन पूजन करने वालों के भारी भीड़ लगी हुई थी। हाथों में तुलसी की माला और लड्डू लिए भक्त भावपूर्वक दर्शन पूजन कर रहे थे। पंडित गया प्रसाद मिश्र ने बताया कि हनुमान जयंती पर मंदिर सुंदरकांड का पाठ ,बाल्मीकि रामायण का पाठ सहित भजन कीर्तन का आयोजन हुआ।
हनुमान ध्वजायात्रा में उमड़ा आस्था का जन सैलाब
हाथों में लहराती लाल-केशरिया ध्वजाएँ, मुख से जय श्रीराम के गगनभेदी उदघोष, साथ मे डमरूओं की डम डम से गुंजायमान वातावरण में राम नाम संकीर्तन करता मण्डलियों का समूह। बस आंखों में अपने आराध्य प्रभु हनुमंत लाल के दर्शन की आस लिए हजारों भक्त चिलचिलाती गर्मी मे नंगे पाँव श्री संकट मोचन हनुमान जी की चौखट तक पहुँच खुद को धन्य करते रहे। यह दृश्य मंगलवार को है हनुमत सेवा समिति, नेवादा द्वारा निकाली गयी हनुमान ध्वजायात्रा के अवसर पर दिखलाई पड़ा। भिखारीपुर तिराहे से संकट मोचन मंदिर तक पूर्वांचल भर के भक्तों का सैलाब देख लगा मानो आस्था का ज्वार उमड़ गया हो। आस्थावानों का हुजूम इस कदर रहा कि 5.25 किलोमीटर की यह यात्रा पूरी करने में 4 घण्टे से ज्यादा का समय लग गया। इसके पूर्व ध्वजायात्रा का शुभारंभ प्रातः7 बजे भिखारीपुर तिराहे पर मुख्य अतिथि अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी, समिति के अध्यक्ष रामबली मौर्य .... आदि ने देव विग्रहों का षोड़शोचार पूजन और आरती कर किया। 500 वर्षो की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में बने भव्य राममंदिर की अदभुत झाँकी शिव क़े नगरी में पहली बार हनुमान ध्वजायात्रा में सजाई गयी, ध्वजायात्रा में विशेष रूप से तैयार किये गए ट्राला पर 25 फ़ीट लम्बा, 22 फीट ऊँचा एवं 15 फ़ीट चौड़ा राम मंदिर की विशाल झाँकी बनाई गई थी, जिसमें अयोध्या से आयी 14 इंच की रामलला की प्रतिकृति प्रतिमा संग सरयू जल और जन्म भूमि की माटी भी विराजित की गई थी। रामलला के विग्रह के दर्शन के लिए भक्तों का रेला उमड़ता रहा। वहीं 60 फ़ीट लम्बे रथ पर श्रीराम दरबार की झाँकी विद्यमान रही, जिस पर संकट मोचन मंदिर की कीर्तन मण्डली द्वारा रामनाम संकीर्तन चलता रहा। उनके आगे आगे 251 डमरू वादकों का दल डमरू वादन करते हुए चल रहा था। हनुमान ध्वजायात्रा में पूर्वांचल भर से 40,000 से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए, जिन्होंने विश्व कल्याणार्थ संकट मोचन हनुमान जी के चरणों मे 11,000 ध्वजाएँ अर्पित की। 25 फ़ीट की विशाल मुख्य ध्वजा समिति के अध्यक्ष रामबली मौर्य द्वारा अर्पित की गयी, जिसके बाद श्रद्धालु हनुमान जी के चरणों में ध्वजा अर्पित कर खुद को धन्य करते रहे।इसके बाद श्रद्धालुओं ने सामूहिक महा चालीसा पाठ कर प्रभु के समक्ष अपनी अर्जी लगाई।
विभिन्न जगहों से आई दर्जनों झाँकिया
हनुमान ध्वजायात्रा में वाराणसी, मिर्जापुर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए, उनमें से कई श्रद्धालुओं का जत्था अपने साथ झाँकी भी सजा कर लाये थे। समिति के 8 कार्यालयों से जिसमे रामसिंहपुर (मिर्जामुराद) से त्रिभुवन मौर्य, कोनिया से ओमप्रकाश वर्मा, जानकीनगर से अशोक गुप्ता, शिवरतनपुर से बबलू सिंह, बजरडीहा से रामदयाल प्रजापति, खोजवां से चन्द्रभूषण वर्मा, डाफी से तारकेश्वरनाथ कुशवाहा, अदलपुरा से संकटमोचन मौर्य के नेतृत्व में भक्तों का जत्था अपनी अपनी झाँकियों के साथ भिखारीपुर पहुँच गया। झाँकियों में राम दरबार के साथ साथ हनुमान जी, शिव पार्वती आदि देव विग्रहों की सजीव झाँकी शामिल रही।
भक्तों में बंटा 1001 किग्रा लड्डू का प्रसाद
हनुमत सेवा समिति की तरफ से भक्तों के लिए 1001 किलोग्राम लड्डू का भोग प्रसाद बनवाया गया, जिसे भक्तों में वितरित किया गया।