सर्राफा व्यवसायी ने लगाया सरकारी राजस्व में सेंध !

सर्राफा व्यवसायी ने लगाया सरकारी राजस्व में सेंध !
  • राजस्व की चोरी करने वाले राजू अग्रवाल पर गर्ग जी क्यों हुए मेहरबान ?
  • रथयात्रा चौराहे के पास मरम्मत के नाम पर बिना मानचित्र स्वीकृत के धड़ल्ले से तैयार हो रहा आलीशान शोरूम
  • क्या राजू अग्रवाल के रसूख और राजनीतिक पकड़ के आगे कानून बन गया है बौना ? 
  • राजस्व चोरी का बड़ा मामला, फिर भी खामोश हैं जिम्मेदार
  • सरकार के राजस्व में लगाई जा रही करोड़ों की सेंध, फिर भी कार्रवाई की जहमत क्यों नहीं उठा पा रहे हैं वीसी पुलकित गर्ग !

अजीत सिंह 
वाराणसी (रणभेरी):  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर उस वक्त पानी फिरता नजर आता है, जब शहर में तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माणों पर नजर पड़ती है। गंगा किनारे से लेकर घनी आबादी वाले मोहल्लों तक, जगह-जगह बिना नक्शा पास कराए बहुमंज़िला इमारतें खड़ी की जा रही हैं। इससे     न सिर्फ शहर का सौंदर्य बिगड़ रहा है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं पर भी बोझ बढ़ रहा है। शहर में अवैध निर्माण की यह बेतरतीब दौड़ यूं ही नहीं चल रही। इसके पीछे विकास प्राधिकरण यानी वीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार की कहानी छिपी है। सूत्रों के अनुसार, कई मामलों में अधिकारियों की आंखों के सामने बिना अनुमति के निर्माण कार्य होते रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कहीं पर खानापूर्ति के लिए पाईप हटाकर फोटो खिंचवा ली जाती है, तो कहीं जुर्माने के नाम पर पैसा लेकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अफसरों की चुप्पी और अनदेखी से यह स्पष्ट है कि या तो वे खुद इसमें शामिल हैं या फिर प्रभावशाली लोगों के दबाव में निष्क्रिय बने हुए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री की ‘स्मार्ट सिटी’ की परिकल्पना मात्र एक दिखावा बनकर रह गई है। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले समय में वाराणसी की पहचान अव्यवस्थित और बेतरतीब शहरीकरण के लिए होगी। ज़रूरत इस बात की है कि जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और भ्रष्टाचार के इस कुचक्र को तोड़ा जाए, तभी बनारस वास्तव में ‘स्मार्ट सिटी’ बन सकेगा।

किसके अनुमति से रथयात्रा चौराहे के पास बन रही आलिशान शो रुम !

रथयात्रा चौराहा, वाराणसी का एक प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र है, जहाँ जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। इस क्षेत्र में हर इंच जमीन की कीमत लाखों में आँकी जाती है। ऐसे में, यहाँ किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य प्रशासनिक अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता। लेकिन वीडीए की मिलीभगत हो तो कही भी अवैध मकान, होटल या शो रुम बनाना कोई बड़ी बात नहीं। वीडीए के अधिकारी अगर मेहरबान है तो समझिए कि नियम कानून और सीएम का आदेश सब अपने जेब में है। बस जरूरत है तो वीडीए के अफसरों के ईमान की सही बोली लगाने की। हम जिस अवैध निर्माण की बात कर रहे हैं वह शहर के नामचीन स्वर्ण व्यापारी राजू अग्रवाल की है। राजू अग्रवाल वाराणसी के एक प्रमुख सर्राफा व्यापारी हैं, जो रथयात्रा चौराहे पर एक भव्य शोरूम का निर्माण करवा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस निर्माण के लिए आवश्यक भवन मानचित्र की स्वीकृति नहीं ली गई है, और न ही प्राधिकरण से पूर्ण अनुमति प्राप्त की गई है। इसके बावजूद, निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। वजह साफ है वीडीए वीसी की मौन सहमति। 
स्थानीय निवासियों और व्यापारियों का कहना है कि यह निर्माण कार्य पूरी तरह से अवैध है, और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से इसे अनदेखा किया जा रहा है।

मरम्मत के नाम पर वीसी साहब ने दे दी शो रुम बनवाने की अनुमति 

वीडीए के रिकॉर्ड में इस भवन के लिए केवल मामूली मरम्मत की अनुमति दी गई थी। लेकिन वास्तविकता यह है कि पुराने ढांचे को पूरी तरह से तोड़कर एक नया, बहुमंजिला और अत्याधुनिक सर्राफा शोरूम खड़ा किया जा रहा है। यह स्पष्ट रूप से पुनर्निर्माण की श्रेणी में आता है, जिसके लिए अलग से अनुमति और शुल्क की आवश्यकता होती है। लेकिन न अनुमति ली गई न ही कोई शुल्क भरा गया। भरा गया तो सिर्फ जोनल और वीसी साहब की जेब। इस अवैध निर्माण के कारण सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। अनुमानों के अनुसार, इतने बड़े भूखंड पर इस स्तर के व्यावसायिक भवन निर्माण के लिए वीडीए को मानचित्र स्वीकृति शुल्क, कम्पाउंडिंग शुल्क, उपयोग परिवर्तन शुल्क, एवं विकास शुल्क के रूप में लगभग 3 से 5 करोड़ रुपये तक का राजस्व मिलना चाहिए था। इसके अतिरिक्त नगर निगम, जलकल और विद्युत विभाग को भी अपने-अपने शुल्क मिलने चाहिए थे। लेकिन वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग और ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार की कृपा से सरकारी खजाने को चोट पहुंचकर अपने निजी आय में इजाफा किया गया। सूत्रों के अनुसार, इन अधिकारियों ने मरम्मत के नाम पर निर्माण की मंज़ूरी देकर नियमों का मखौल उड़ाया है। जबकि हकीकत यह है कि पुरानी इमारत को ज़मींदोज़ कर पूरी तरह नया, बहुमंजिला और अत्याधुनिक सर्राफा शोरूम खड़ा किया जा रहा है।

जुमला साबित हो रहा सीएम योगी का जीरो टॉलरेंस की हुंकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राज्य में किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनकी सरकार ने इसे ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के रूप में परिभाषित किया है। प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे बिना किसी भेदभाव के ऐसे निर्माणों के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई करें। लेकिन इन आदेशों के बावजूद, वाराणसी जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण शहर में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं। गंगा किनारे, रिहायशी इलाकों और यहां तक कि प्रतिबंधित क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतें खड़ी की जा रही हैं। स्थानीय प्रशासन और विकास प्राधिकरण (वीडीए) की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई मामलों में वीसी से लेकर जोनल अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही सामने आई है। वीसी और जोनल ने मिलकर मुख्यमंत्री की 'जीरो टॉलरेंस' नीति की साख को खूब आंच पहुंचाया है। वीडीए अधिकारियों की भूमिका यह संदेह पैदा करती है कि क्या निचले स्तर पर सरकार की मंशा को सही तरीके से लागू किया जा रहा है ? जब मुख्यमंत्री स्वयं अवैध निर्माण पर सख्ती की बात करते हैं, तो वाराणसी जैसे शहर में इनका खुला उल्लंघन शासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। यह स्थिति दर्शाती है कि नीति बनाना पर्याप्त नहीं, उसकी ईमानदारी से निगरानी और निष्पक्ष क्रियान्वयन भी उतना ही आवश्यक है।

इन सवालों का जवाब कौन देगा वीसी साहब !

  • क्या यह सब कुछ बिना प्रशासन की जानकारी के हो सकता है ?
  • क्या वीडीए को यह मालूम नहीं कि निर्माण किस स्तर पर हो रहा है ?
  • अगर मालूम है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
  • करोड़ों के राजस्व की क्षति, नियमों का उल्लंघन, और जनता के विश्वास के साथ धोखा...इन सबके बावजूद ज़िम्मेदार  अधिकारी चुप क्यों ?
  • क्या वीडीए बोर्ड के मेंबर में जो सीएम के खासमखास तीन लोग हैं वो बस नाम के है या उनकी भी है भ्रष्टाचार में संलिप्तता ?
  • रथयात्रा जैसे भीड़भाड़ जगह पर मरम्मत के नाम पर शो रुम के लिए अवैध तरीके से आलिशान भवन बनाने की किसने दी अनुमति ?
  • अवैध निर्माण में सरकार का करोड़ों के राजस्व का नुकसान, इसकी भरपाई कौन करेगा ?

पार्ट- 31 

रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए वीडीए के अधिकारियों की सील और डील की कहानी