कल मनाया जाएगा पहली पौष विनायक चतुर्थी, काशी में मंदिरों में होगा विशेष पूजा-अर्चना
वाराणसी (रणभेरी): विनायक चतुर्थी एक महत्वपूर्ण पर्व है, इस दिन विघ्नहर्त भगवान गणेश की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष स्थान है। इस दिन बप्पा की की विधि-विधान से पूजा और व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाएं और संकट दूर होते हैं। इसके अलावा आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। इस दिन व्यक्ति को चंद्रमा के दर्शन नही करने चाहिए। इस बार विनायक चतुर्थी 3 जनवरी को मनाई जा रही है। इस दिन गणपति बप्पा के मंदिरों में खास श्रृंगार किया जाता है और विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
हिंदू कैलेंडर अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 जनवरी, गुरुवार की रात 1 बजकर 8 मिनिट से शुरू होगी, जो 3 जनवरी, शुक्रवार की रात 11 बजकर 39 मिनिट तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 3 जनवरी को होगा, इसलिए इस दिन पौष मास की विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन सिद्धि, प्रजापति और सौम्य नाम के 3 शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
पंडित विकास ने बताया - विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा दिन में दो बार की जाती है। एक बार दोपहर में और एक बार मध्याह्न में मान्यता है कि विनायकी चतुर्थी के दिन व्रत करने और इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है। चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चंद्र दर्शन का महत्व-इस दिन चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।
मंत्र-इस दिन ॐ गण गणपतये नम: मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। भोग-भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाईयों का भोग लगाया जाता है।