हनुमान यात्रा की धूम, काशी गयी झूम

शहर से लेकर गांव तक 500 से अधिक हनुमान मंदिरों में हनुमान जी के बाल स्वरूपों का हुआ शृंगार
हजारों ध्वजाओं से सुशोभित हुआ आंजनेय तीर्थ का शिखर, जय बजरंगबली के घोष से गूंजी दिशाएं
वाराणसी (रणभेरी सं.)। चैत्र पूर्णिमा का पावन दिन और साथ ही वो शुभ अवसर जब रामभक्त हनुमान का जन्मोत्सव मनाया गया। काशी ने इस बार हनुमान जयंती को एक उत्सव नहीं, बल्कि एक भक्ति पर्व में बदल दिया। मंदिरों में घंटों लंबी कतारें, गगनभेदी जयकारे, भव्य शोभायात्राएँ, और हर गली में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ। यह नजारा था उस दिव्य नगरी का, जो हर साल रामभक्ति में डूब जाती है, लेकिन इस बार कुछ अलग था...कुछ अविस्मरणीय। महादेव की नगरी काशी हनुमान प्राकट्य दिवस पर शनिवार को भक्त श्रद्धा और उल्लास से सराबोर हैं। सुबह से शहर से लेकर गांव तक 500 से अधिक हनुमान मंदिरों में हनुमान जी का बाल स्वरूप में शृंगार हुआ। वहीं मंदिरों ने रामनाम संकीर्तन, सुंदरकांड पाठ सहित विविध अनुष्ठान किए जा रहे हैं। सवा पांच किमी तक निकलने वाली सबसे बड़ी हनुमान ध्वजा यात्रा भिखारीपुर से संकटमोचन मंदिर तक पहुंची। इसमें 21 फीट की गदा के साथ ही अयोध्या से मंगाई गई 700 गदा भी शामिल रही। आठ राज्यों से 300 से अधिक हनुमान भक्त ध्वजा लेकर चले तो नजारा देखने लायक रहा। 30 हजार से अधिक भक्तों की भीड़ हुई। एक लाख से अधिक हनुमान ध्वजा शामिल रहीं। हनुमान प्राकट्योत्सव पर शनिवार को हनुमान मंदिरों में विविध आयोजन हो रहे हैं। संकटमोचन मंदिर में विशेष पूजन अर्चन के साथ ही तीन दिवसीय अनुष्ठान शुरू हुआ। बैठकी श्रृंगार, रुद्राभिषेक, आरती और पूजन हुआ। सुबह से श्रीरामचरित मानस का पाठ, श्रीसीताराम संकीर्तन, रामार्चा पूजन, वाल्मिकी रामायण का सुंदरकांड पाठ हो रहा। रामकृष्ण मिशन के कीर्तन मंडलियों का संकीर्तन और रामायण मंडलियों की ओर से श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ हो रहा है। वहीं 13 से 15 अप्रैल तक सार्वभौम रामायण सम्मेलन होगा।
खचाखच रहा हनुमत दरबार
काशी का संकट मोचन मंदिर इस दिन श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। अंजनीपुत्र हनुमान के दर्शनों के लिए भक्त तड़के 4 बजे से ही मंदिर के बाहर कतारों में लगने लगे थे। मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है। फूलों की झालरें, दीपमालाएँ, और मंत्रोच्चारण के साथ भव्य आरती का आयोजन हुआ। भक्तों ने रामनाम का संकीर्तन करते हुए हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। छोटे बच्चे हनुमान के वेष में, बुजुर्ग हाथों में नारियल और प्रसाद लिए हुए, और युवाओं की टोली भक्ति गीतों के साथ झूमती हुई नजर आई।
5100 ध्वज किये गये अर्पित
श्रीहनुमत सेवा समिति की ओर से भिखारीपुर से सुबह सात बजे हनुमान ध्वजा यात्रा निकाली गई। संस्था के अध्यक्ष रामबली मौर्य ने बताया कि सवा पांच किमी यात्रा निकाली गई। 5100 ध्वज संकटमोचन में चढ़ाए गए। जबकि एक लाख से अधिक ध्वज शामिल रहे। ध्वजा यात्रा में शामिल होने के लिए सात स्थानों से यात्राएं निकाली गईं। हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में पूरे शहर में दर्जनों शोभायात्राओं का आयोजन किया गया। रथों पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और बजरंगबली की झांकियाँ सजी थीं। कलाकारों ने रामकथा के प्रसंगों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। बैंड-बाजों, ढोल-नगाड़ों, और भगवा पताकाओं के साथ इन यात्राओं ने हर गली को एक चलते-फिरते मंदिर में बदल दिया।
हनुमान जी के जन्म का पौराणिक महत्व
हनुमान जयंती हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है, जब माता अंजनी और केसरी के घर पवनदेव के वरदान स्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ था। उन्हें भगवान शिव का रूद्र अवतार भी माना जाता है। भगवान हनुमान, अपने अतुलनीय बल, अद्भुत भक्ति, गहन ज्ञान और परम विनम्रता के लिए पूजनीय हैं। रामायण में उनकी भूमिका, सीता माता की खोज, लंका दहन और संजीवनी बूटी लाने जैसे कार्यों ने उन्हें अमर बना दिया।
हनुमान जी संकट मोचक और बल-बुद्धि के देवता
जनमानस में हनुमान जी संकट हरने वाले और बल-बुद्धि के देवता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनके नाम से ही भय दूर हो जाता है और उनका स्मरण करने मात्र से आत्मबल की वृद्धि होती है। विशेषकर हनुमान चालीसा का पाठ न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि जीवन के कष्टों से उबरने की शक्ति भी प्रदान
करता है।
काशी बनी राम की नगरी
हनुमान जयंती पर काशी ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि यह नगरी केवल मोक्ष की भूमि नहीं, बल्कि भक्ति की भी धरा है। हर मोड़ पर 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' के स्वर गूंज रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं रामकथा जीवंत हो गई हो। हनुमान जयंती का यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह समाज में भक्ति, एकता और भारतीय संस्कृति की गरिमा को पुन: सशक्त करता दिखा। काशीवासियों ने यह साबित कर दिया कि जब बात धर्म और आस्था की हो, तो काशी की चमक सबसे अलग होती है।
हनुमानजी का भव्य श्रृंगार
हनुमान जनमोत्सव के पावन अवसर पर काकेमल अखाड़ा पशुपतेश्वर चौक में हनुमानजी का दिव्या झांकी और जन्मोत्सव हरियाली श्रृंगार किया गया। भोर में बाबा को गंगा जल से स्नान कराया गया। इसके बाद सिंदूर, चमेली का तेल मिलाकर बाबा को चोला चढ़ाया और तुलसी, गुलाब, चमेली डौना के माला-फूलों से बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया। उनको मिष्ठान, फल, फूल व अनेक प्रकार के प्रसाद भोग लगाए गए। इसके बाद आरती उतारी गई।