ये है लंका ! यहां बजता है अतिक्रमणकारियों का डंका
- स्थानीय पुलिस और नगर निगम फरमाती है आराम, नहीं दिखता अतिक्रमणकारियों का काम
- सड़कों और चौराहों पर हर रोज सजती है अतिक्रमण और अव्यवस्था की ‘लंका', आधी सड़कों पर ठेले, ऑटो और वाहनों का रहता है कब्जा
वाराणसी (रणभेरी): काशी कबहूं ना छोड़िए,विश्वनाथ के धाम, मरले पर गंगा मिले, जियते भीषण जाम। यह पंक्ति पढ़ कर चौक गए होंगे पर वर्तमान में बनारस की स्थिति को यह पंक्ति पूरी तरह चरितार्थ कर रही है। तमाम कोशिशों के बाद भी बनारस में जाम की समस्या लगातार बनी हुई हुई। बनारस की शायद ही कोई सड़क हो जहां लोग चिटीयों की चाल चलने को मजबूर न हों। कुछ मिनटों का सफर घंटों में पूरा होते देखना है तो बनारस के लाइफ लाइन चौराहा लंका पर आना मत भूलिए ! लंका चौराहा, जो वास्तव में शहर की लाइफ लाइन है। ऐसे चौराहे पर बीते कुछ दिनों से लगातार जाम की भीषण समस्या बनी हुई है। इस जाम का कारण अवैध अतिक्रमण, सड़को पर खड़ी बेतरतीब गाड़िया, सड़को पर चल रहे अवैध ऑटो-टोटो स्टैंड है। रविदास गेट से बीएचयू गेट तक तमाम ठेले खोमचे वाले बीच सड़क पर ही अपना डेरा जमा लिए हैं।
इतना ही नहीं नगर निगम और प्रशासन की खानापूर्ति कार्रवाई के बाद भी अभी तक अवैध ऑटो टोटो स्टैंड नहीं हट पाए हैं। हर शाम की स्थितियां देखकर ऐसा लगता है जैसे लंका पर जाम की समस्या से निजात पाना मुश्किल हो गया है। लंका क्षेत्र में अवैध स्टैंड का बोलबाला है। तमाम दुर्व्यवस्थाओं के बीच नगर निगम और स्थानीय प्रशासन आराम फरमा रहे है। लंका ही नहीं बल्कि यही स्थिति पूरे शहर की बनी हुई है। मुख्य सड़क हो या गलियां हर जगह अतिक्रमण से राहगीरों को चलना मुश्किल हो गया है। निगम के अधिकारियों और स्थानीय पुलिस की शह पर वाहन स्टैंड संचालक और भी अधिक निडर हो गए हैं। जिसकी मार आम जनता झेल रही है। अब देखना यह है कि कब तक जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को समझ पाते हैं और लंका को जाम से मुक्ति दिलाते हैं !
- शहर में धड़ल्ले से चल रहे अवैध ऑटो-टोटो, बनते जाम का कारण
शहर में धड़ल्ले से गैर पंजीकृत अवैध ऑटो-टोटो धड़ल्ले से चल रहा है। शहर में प्रदूषण की मात्रा पर लगाम लगाने के लिए ई-रिक्शा सुविधा शुरू की गई थी। सोचा गया था इससे प्रदूषण कम होगा, लोगों को सुविधा मिलेगी। पर आज यही ई-रिक्शा शहर के लिए मुसीबत बन गए हैं। सड़कों पर फैले टैम्पो के जाल से लोग पहले ही आजिज आ चुके थे, रही-सही कसर ई-रिक्शा ने पूरी कर दी। ई-रिक्शा के चलते सड़कों पर हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है। इन पर शिकंजा कसने के लिए कुछ माह पूर्व एडीसीपी यातायात ने शहर के घनी आबादी वाले मुख्य मार्गों पर इनके संचालन पर रोक लगा दी गई थी। पर हालात सुधरे नहीं। ऑटो वालों के साथ साथ ई-रिक्शावालों की मनमानी जारी है। पुलिस और परिवहन विभाग भी इनके आगे बेबस नजर आ रहा है। शहर के हर मुख्य मार्ग और प्रमुख चौराहों पर ई-रिक्शा मुंह बाये खड़े रहते हैं। ई रिक्शा चालकों की दबंगई का यह आलम है कि पुलिस को मुंह चिढ़ाने के लिए शहर के कई इलाको, जहाँ इनका आना मना है बाकायदा पुलिस को ललकारते सवारी ढोते नजर आ रहे है। शहर की लगभग हर गली में ई रिक्शा चालकों का बोलबाला है, 6 फिट की संकरी गली तक मे यह बेआवाज वाहन घुस रहें है और सड़क के साथ ही गलियों तक मे जाम का सबब बन रहे है पर जिम्मेदार बेखबर है।
- सजती है अतिक्रमण की लंका
शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले लंका चौराहे पर अतिक्रमण व अव्यवस्था से लोग बेहाल हैं। इस चौराहे के चारों ओर बीएचयू समेत प्रमुख अस्पताल हैं, जहां आए दिन मरीज इलाज के लिए आते हैं। लेकिन, चौराहे के तीन ओर की सड़कों पर करीब 150 मीटर तक ठेले, दो पहिया, आटो, ई रिक्शा और एंबुलेंस की कतार लगी रहती है। इसके चलते यहां चारों ओर 60 फीट की सड़क सिमट कर 15 फीट की हो जाती है। इससे यहां आए दिन जाम लग जाता है। अव्यवस्था के चलते अक्सर लोगों से तू-तू मैं-मैं होती है। विभाग अतिक्रमण हटाने के नाम पर एक दो दिन कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेते हैं।अधिकारियों के जाने के बाद फिर यहां अव्यवस्था और अतिक्रमण की लंका सज जाती है।
- 100 मीटर के दायरे का नियम भी हवा हवाई
एसपी ट्रैफिक रहते हुए श्रवण कुमार सिंह ने चौराहों के 100 मीटर के दायरे में वाहनों के खड़े होने पर प्रतिबंध लगाया था। बकायदा इसके लिए सभी चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया गया था। हद तक नियम का पालन भी हो रहा था। लंका, गिरजाघर, रथयात्रा सहित अन्य प्रमुख चौराहों पर गाड़ियां खड़ी होनी बंद हो गई थी। हालांकि कमिश्नरेट लागू होने के बाद ट्रैफिक व्यवस्था पर जिस तरह का काम होना चाहिए, वैसा अब तक नहीं हो सका।