देह व्यापार मामले में फ्लैट मालिक ने खुद को बताया बेगुनाह, सोशल मीडिया पर फैल रहे दुष्प्रचार का किया खंडन
वाराणसी (रणभेरी): बीते 2 दिसंबर 2025 को सिगरा क्षेत्र स्थित शक्ति शिखा बिल्डिंग में पुलिस द्वारा की गई छापेमारी के बाद सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक खबरों को लेकर फ्लैट नंबर 112 के मालिक ने खुलकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका मेलोडी स्पा से कोई लेना-देना नहीं है और न ही स्पा संचालक से उनकी कोई पहचान है।
फ्लैट मालिक ने बताया कि वह वर्ष 1999 से शक्ति शिखा बिल्डिंग स्थित फ्लैट नंबर 112 के एकमात्र स्वामी हैं। वर्तमान में वह स्वयं महमूरगंज में रहते हैं और बीते 26 वर्षों से फ्लैट को विधिवत एग्रीमेंट के तहत किराये पर देते रहे हैं। पूर्व किरायेदार के फ्लैट खाली करने के बाद 1 अप्रैल 2025 से यह फ्लैट ब्रोकर के माध्यम से अश्वनी त्रिपाठी, निवासी चंदौली को नोटरीकृत एग्रीमेंट के तहत किराये पर दिया गया था।

एग्रीमेंट की शर्तों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि बिंदु संख्या 10 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि किरायेदार किसी भी प्रकार के गैरकानूनी कार्य में संलिप्त नहीं होगा और यदि ऐसा होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी किरायेदार की ही होगी, फ्लैट मालिक की नहीं। किरायेदार की ओर से संस्था के सरकारी पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज भी उपलब्ध कराए गए थे। साथ ही किराये का भुगतान हमेशा बैंक के माध्यम से आरटीजीएस से ही किया जाता रहा है।
फ्लैट मालिक ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस छापेमारी के दौरान मेलोडी स्पा से 10 लोगों की गिरफ्तारी दिखाई गई थी, जबकि उनके फ्लैट से केवल 3 महिलाओं को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें पूछताछ के बाद सिगरा थाने से छोड़ दिया गया। दोनों स्थानों को लेकर अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई है। उनके फ्लैट से जुड़ी एफआईआर में भी सिर्फ तीन महिलाओं का ही जिक्र है, फ्लैट मालिक का नाम कहीं दर्ज नहीं है।
इसके बावजूद सोशल मीडिया पर उनके फ्लैट से 13 लोगों की गिरफ्तारी की भ्रामक खबरें वायरल की जा रही हैं, जिन्हें उन्होंने पूरी तरह निराधार और तथ्यहीन बताया है। उन्होंने कहा कि फ्लैट की रजिस्ट्री, किरायेदारी एग्रीमेंट और संबंधित एफआईआर की प्रतियां उनके पास सुरक्षित हैं।
फ्लैट मालिक ने यह भी बताया कि उनके परिवार का लगभग 50 वर्षों का राजनीतिक और सामाजिक जीवन पूरी तरह निष्कलंक रहा है। आज तक न तो उन पर और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य पर कोई एफआईआर या शिकायत दर्ज हुई है। ऐसे में इस प्रकार के आरोप और दुष्प्रचार न केवल दुर्भाग्यपूर्ण हैं बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले भी हैं। अंत में उन्होंने मीडिया संस्थानों से अपील की है कि वे सभी तथ्यों की निष्पक्ष जांच के बाद ही समाचार प्रकाशित करें, ताकि जनता तक सच्चाई पहुंच सके और किसी निर्दोष की छवि धूमिल न हो।











