मां अन्नपूर्णा मंदिर के कुंभाभिषेक का महानुष्ठान

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी में 48 साल बाद मां अन्नपूर्णा मंदिर का कुंभाभिषेक हो रहा है। काशी में पहली बार ऐसा हो रहा है जिसमें चार वेदों, 18 पुराणों के पारायण के साथ पांच अनुष्ठान हो रहे हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस महानुष्ठान में सात राज्यों से 1100 से अधिक वैदिक विद्वान शामिल हैं। खास ये भी है कि आदि शंकराचार्य के एक पीठ के शंकराचार्य भी इसमें शामिल हैं। ऐसे में मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया है। अन्नपूर्णा मंदिर में कुम्भाभिषेक अनुष्ठान के तहत अधिवास हवन प्रक्रिया पूरी हुई। मूलमंत्र न्यास के बाद 251 तीर्थों के औषधियुक्त जल से पूर्ण कलश की स्थापना की गई। चारों वेदों के मंत्रोच्चार के मध्य कलश अभिमंत्रण किया गया। इस अवसर पर 650 से अधिक प्रकार की औषधियों से विशेष हवन हुआ। इनमें से ज्यादातर औषधियां दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों से प्रेषित की गई हैं। वहीं गुरूवार को शतचंडी महायज्ञ की पूणार्हुति भी हुई। शृंगेरी के शंकराचार्य विधुशेखर भारती महास्वामी अनुष्ठानों में सम्मिलित हुए। उन्होंने भगवती अन्नपूर्णा का सविधि पूजन-अर्चन किया। इस दौरान शंकराचार्य शास्त्रार्थ सभा में सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि काशी प्राचीन काल से ही शास्त्रार्थ की हृदयस्थली रही है। जब भी विद्वत परम्परा का नाम लिया जाता है तो काशी का नाम सर्वोपरि होता है।