एक तरफ घट रहा गंगा का जलस्तर, दूसरे तरफ बढ़ रही दुश्वारियां
- कीचड़ और गंदा पानी जमा होने से बदबू के साथ बढ़ रहा मच्छर का साम्राज्य, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
वाराणसी (रणभेरी): लगभग एक हफ्ते से ऊपर जल प्रलय के बाद काशीवासियों को अब बाढ़ से राहत मिल रही है। वाराणसी में उफनाई गंगा और वरुणा अब तेजी से सामान्य स्थिति में लौट रही हैं। बड़ी बात यह है कि गंगा का जलस्तर अब खतरे के निशान से नीचे आ गया है। बीते 40 घंटे में वाराणसी में गंगा का जलस्तर 100 सेंटीमीटर से अधिक कम हुआ है।
वाराणसी में 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की स्पीड से गंगा का जलस्तर घट रहा है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, आज दोपहर तक वाटर लेवल 71 मीटर से नीचे दर्ज किया गया। गंगा खतरे के निशान 71.26 मीटर से अब नीचे बह रही हैं। इस बीच बाढ़ का पानी जैसे-जैसे शहर से कम रहा है, वैसे-वैसे गंगा की मिट्टी सड़कों, गलियों और लोगों के घरों में जमा होती जा रही है। यही नहीं जहां-जहां पर जल जमाव जैसी स्थिति हुई है, वहां डेंगू और मलेरिया के मच्छर के लार्वा मिल रहे हैं। जिले में अभी तक डेंगू के 4 मरीज सामने आ चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी ने भी बुधवार को निर्देश दिए हैं कि साफ-सफाई तेजी से कराते चलें, नहीं तो बीमारी फैल सकती है।
- शहरी इलाकों में अंदर तक घुसा हुआ है बाढ़ का पानी
गंगा व वरुणा के बाढ़ से प्रभावित आबादी की मुश्किलें जस की तस हैं। शहरी इलाकों में पानी बहुत अंदर तक घुसा हुआ है। दशाश्वमेध की सड़क और उससे लगायत बंगाली टोला गली, संकटमोचन, छित्तनपुरा, राजापुरा, अस्सी, नगवां, सामनेघाट, मारूतिनगर में सड़क व कॉलोनियों में बाढ़ का पानी पहुंचने से आवागमन भी बाधित हो चुका है। नगवां नाला से होते हुए बाढ़ का पानी अस्सी नदी के किनारे बसी कॉलोनियों व मोहल्लों में घुसा हुआ है। गंगा तटवर्ती इलाकों में तालाबों का जलस्तर भी ऊपर आ गया है। पानी से घिर चुकी कॉलोनियों में रह रहे लोगों को राशन व पानी का संकट बरकरार है। ग्रामीण इलाकों में पलायन से राहत, पेयजल का संकट वरुणा पार ढेलवरिया, नक्खीघाट, बघवानाला, सरैया, सरायमोहाना मोहल्लों में प्रभावित लोगों की दिक्कतें अभी ज्यादा हैं। इन क्षेत्रों में भोजन, पीने का शुद्ध पानी और दवाओं की जरूरत है। पानी घटने से ग्रामीण इलाकों में पलायन से राहत मिली है लेकिन पेयजल संकट की परेशानी बनी हुई है। लगभग आधा दर्जन गांवों का संपर्क कटने से लोगों को पानी में घुसकर जाना पड़ रहा है। बाढ़ के पानी से कुआं, हैंडपंप और सबमर्सिबल पंप का पानी प्रदूषित होने से लोगों को संक्रामक बीमारियों का डर सता रहा है।
- इन इलाकों में चल रही नाव
बाढ़ग्रस्त इलाकों से अभी तक 32 हजार से ज्यादा लोगों को विस्थापित किया गया है। 20 बाढ़ चौकियों और एनडीआरएफ के 250 जवानों की मदद से बाढ़ राहत सामग्री लोगों तक पहुंचाई जा रही है। शहर के कई मोहल्लों अस्सी, नगवा, मारुतिनगर, सामनेघाट आदि इलाकों में नाव चल रही है। शवदाह के दोनों स्थल मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट अभी भी गंगा में जलमग्न हैं। वाराणसी में करीब 700 हेक्टेयर खेतों में भी पानी घुस गया है, जिससे फसलों को काफी नुकसान हुआ है।