गंगा-वरुणा का जलस्तर घटा: लेकिन कीचड़ और गंदगी ने बढ़ाई मुश्किलें, स्वास्थ्य विभाग की टीम की गई एक्टिव

वाराणसी (रणभेरी): गंगा और वरुणा नदी में आई बाढ़ का पानी अब तेजी से उतर रहा है। जलस्तर घटने से लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन इसके साथ ही नई समस्याएं खड़ी हो गई हैं। जिन इलाकों और घाटों पर कई दिनों तक पानी भरा रहा, वहां अब कीचड़, कूड़ा-कचरा और झाड़-झंखाड़ की सड़न से बदबू फैलने लगी है।
गंगा घाटों पर मिट्टी और कचरे की मोटी परत जम गई है। सफाई और कीटाणुनाशक दवाओं के छिड़काव में सुस्ती के चलते दुर्गंध और संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। मंगलवार को जहां गंगा का जलस्तर चार सेंटीमीटर प्रतिघंटा की दर से घट रहा था, वहीं बुधवार को यह 68.7 मीटर दर्ज किया गया। प्रशासन का कहना है कि अब खतरे की स्थिति कम हो रही है। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल सफाई और दवा छिड़काव के निर्देश दिए हैं।
वरुणा किनारे की स्थिति भी गंभीर
तातेपुर, सलारपुर, रसूलगढ़, पैगंबरपुर, दनियालपुर, मौजहाल, शैलपुत्री, शक्कर तालाब, हिदायत नगर और मीरा घाट जैसे तटवर्ती इलाकों में पानी उतरने के बाद लोग अपने घरों की सफाई में जुट गए हैं। लेकिन घरों में जमा कीचड़ और बदबू उनकी बड़ी परेशानी बन गया है। कई जगहों पर संक्रामक बीमारियों के मामले सामने आने लगे हैं।
संक्रमण का खतरा बढ़ा
स्वास्थ्य विभाग ने बुखार, दस्त और त्वचा रोगों को लेकर अलर्ट जारी किया है। राहत शिविरों में जांच टीमें सक्रिय हैं, लेकिन जो लोग अपने घरों में रह रहे हैं, वे स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। वहीं, मच्छरों के प्रकोप ने डेंगू और मलेरिया का खतरा भी बढ़ा दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कीचड़ और सड़न से न सिर्फ दुर्गंध फैली है, बल्कि सांप-बिच्छू और अन्य जीव-जंतु भी निकलने लगे हैं। हालत यह है कि घरों के अंदर रहना भी मुश्किल हो गया है।