फाइलेरिया रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा एकीकृत उपचार केंद्र
वाराणसी(रणभेरी)। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वाराणसी मंडल की अपर निदेशक डॉ मंजुला सिंह ने सोमवार को राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज चौकाघाट स्थित फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र में भर्ती फाइलेरिया से ग्रसित रोगियों से मुलाकात कर उनके उपचार एवं अन्य सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। आईएडी केंद्र की प्रभारी प्रज्ञा त्रिपाठी ने विगत एक वर्ष के अंदर केंद्र में भर्ती हुये कुल 185 मरीजों के विवरण एवं इलाज विधि के तरीके के बारे में विस्तार से जानकारी दी । बताया कि वर्तमान में केंद्र पर पाँच रोगियों का उपचार चल रहा है। अपर निदेशक ने कहा कि फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र का संचालन इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड डर्मेटलोजी (आईएडी) केरल एवं बिल एंड मिलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन (बीएमजीएफ़) के सहयोग से किया जा रहा है। इस केंद्र में गंभीर फाइलेरिया (हाथीपाँव) रोगियों का उपचार आयुर्वेदिक थेरेपी, ऐलोपैथ व योगा पद्धति से हो रहा है। खास बात यह है कि बिना किसी सर्जिकल प्रक्रिया से इसका उपचार संभव हो पा रहा है। यहाँ मौजूद आयुर्वेद और योगा पद्धति, हाथीपांव ग्रसित गंभीर रोगियों के सम्पूर्ण उपचार में मददगार साबित हो रही है और उन्हें सामान्य जीवन की ओर भी ले जा रही है। उन्होंने सभी ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों के अधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि पूर्व से चिन्हित गंभीर (ग्रेड थ्री से ऊपर) फाइलेरिया रोगियों को आईएडी फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र पर संदर्भित करना सुनिश्चित करें। इस दौरान अपर निदेशक ने कहा कि जरूरतमंद रोगियों तक इस केंद्र की जानकारी पहुंचाना आवश्यक है। इसके लिए जनपदों द्वारा चिन्हित रोगियों की सूचना से भी केंद्र को अवगत कराया जाए जिससे कि रोगियों से संपर्क कर उनका यथोचित इलाज संभव हो सके। भ्रमण के दौरान बायोलॉजिस्ट व प्रभारी फाइलेरिया नियंत्रण इकाई डॉ अमित कुमार सिंह एवं आईएडी सेंटर की टीम के समस्त सदस्य मौजूद रहे। भर्ती फाइलेरिया (हाथी पाँव) रोगियों की प्रतिदिन समय के अनुसार सम्पूर्ण उपचार प्रक्रिया होती है। इसमें रोगी की मेजरमेंट, साफ-सफाई, आयुर्वेदिक थेरेपी फांटा सोकिंग (घोल प्रक्रिया), योगा, कंप्रेशन और अंत में पुनः योगा व मसाज प्रतिदिन की जाती है।