घाटों के विकास में गंगा की निर्मलता से खेलवाड़
वाराणसी (रणभेरी)। काशी के मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका घाट को अत्याधुनिक बनाने के साथ ही हाईटेक चिमनी लगाने की तैयारी है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कार्यदायी एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य शुरू किया जा चुका है। लेकिन नियमावली को दरकिनार कर दिया गया है। कार्यदायी संस्था ने मलबे की दीवार से घाट की ओर आने वाले गंगाजल का मार्ग अवरुद्ध कर दिया। गंगा किनारे दिन रात गंगा घाट पर जेबीसी, पोकलेन मशीनें गरज रही हैं। जिससे जलीय जीव और पशु पक्षियों का भी घाट पर ठहरना मुश्किल हो गया है। घाट को हाईटेक बनाने के नाम पर मनमानी जारी है। मोक्षधाम के स्वरुप को बदलने के लिए मां गंगा तक को नहीं बक्श रहे हैं। घाटों के विकास में जुटी कार्यदायी संस्थाओं ने गंगा की अविरलता और निर्मलता से फिर खिलवाड़ किया है। मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका घाट के विकास के जिम्मेदारों ने लाखों टन मलबा गंगा में डाल दिया। मणिकर्णिका घाट को तोड़कर उसके ईंट पत्थर को सीढ़ियों के नीचे डालकर गंगा का दायरा घटा दिया।
गंगा की डाउन स्ट्रीम बढ़ेगी सीढ़ियों की ओर
कार्यदायी संस्था की मनमानी के चलते घाट से निकल रहे मलबे गंगा के पानी में भी चले गए हैं। अवरोधक होने से घाट पर गंगा भी रुक गई है, किनारे के पानी में गंदगी भी जमा हो चुकी है, जिससे उसमें बदबू उठने लगी है। अब गंगा का प्रवाह बाधित होने की संभावनाएं भी साफ दिख रही हैं। कुछ दिन बाद जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ता जाएगा तो गंगा की डाउन स्ट्रीम सीढ़ियों की ओर बढ़ेगी। गंगा के बढ़ने पर मलबा धीरे-धीरे गंगा की तलहटी में समाहित होता जाएगा।
एनजीटी के नियमों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां
एनजीटी के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते इन कामगारों के हौसले भी बुलंद हैं कि वे हुक्मरानों से भी नहीं डरते। डीएम के आदेश को ठेंगा दिखाने वालों ने एनजीटी समेत प्रदूषण बोर्ड के तमाम नियमों को भी पलीता लगा दिया। काशी में गंगा के प्रवाह को प्रभावित किया जा रहा है और जिम्मेदार आंखें मूंदकर बैठे हैं। गंगा के दायरे में हजारों टन मलबे के गिरने से आमजन में आक्रोश है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का खौफ इतना है कि आम नागरिक भी खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
महाश्मशान पर खर्च होंगे 34.86 करोड़ रुपए
महाश्मशान के मणिकर्णिका घाट पर 18 करोड़ रुपए से अधिक का काम कराया जा रहा है। इसके आधुनिकीकरण को कुल भूतल का कुल 29.350 वर्ग फीट क्षेत्रफल पर काम किया जाना है। इसी प्रकार हरिश्चंद्र घाट पर 16.86 करोड़ रुपए से 13,250 वर्ग फीट क्षेत्रफल संवारा जाएगा। इसमें शव स्नान के लिए पवित्र जल कुंड, वेटिंग एरिया होंगे। भूतल पर पंजीकरण कक्ष, नीचे के खुले में दाह संस्कार के 19 बर्थ, लकड़ी भंडारण क्षेत्र, सामुदायिक प्रतिक्षा कक्ष, दो सामुदायिक शौचालय, अपशिष्ट ट्रालियां का स्थापन, मुंडन क्षेत्र होंगे। चारों तरफ से कवर दाह संस्कार क्षेत्र में पांच बर्थ, सर्विस एरिया, अपशिष्ट संग्रह की व्यवस्था, घाट पर सीढ़ियों व सड़क आदि निर्माण शामिल है। मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिका पर कार्यदायी एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। घाट को समतल कर 25 मीटर ऊंची हाईटेक चिमनी बनाई जाएगी जिससे चिता की राख को उड़ने से रोका जाएगा। यूटिलिटी शिफ्टिंग के बीच अधिकारियों ने भी कवायद तेज कर दी है।
किसी भी तरह का मलबा डाले जाने पर सख्त पाबंदी
श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान तत्कालीन जिलाधिकारी (वर्तमान मंडलायुक्त) कौशल राज शर्मा ने पत्र जारी कर गंगा नदी के किनारे काम की गाइड लाइन जारी की थी। इसमें गंगा के क्षेत्र में किसी भी तरह का मलबा डाले जाने पर सख्त पाबंदी थी। भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की अधिसूचना को आधार बनाते हुए अनापत्ति प्रदान की थी। इसके पत्र में सभी नियमों का उल्लेख था और अनुपालन को शत प्रतिशत सुनिश्चित कराने की बात कही गई थी।