लखीमपुर कांड के बाद भी वहां खिला कमल, जाने कैसे ...
(रणभेरी): उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को महंगी गाड़ी तले रौंदने को लेकर इतना बवाल हुआ लेकिन वहां लखीमपुर के जिले की 8 विधानसभा सीटों में से सभी सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं। यहां की सीटों में पलिया, निघासन, गोला गोरखनाथ, श्रीनगर, धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता और मोहम्मदी शामिल हैं। यहां चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान हुआ था। लखीमपुर खीरी में तिकुनिया हिंसा के बाद माहौल बदल गया था। इस हिंसा में 8 लोग मारे गए थे।
वही गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को तमाम आलोचनाओं के बावजूद पद से न हटाना भी आखिरकार पार्टी के हक में गया है। विकास दुबे एनकाउन्टर के बाद ब्राह्मणों की नाराजगी झेल रही भाजपा ने शायद भांप लिया था कि अब इस जाति विशेष के लोगों पर नरमी बरती जानी जरूरी है ।आशीष मिश्रा के खिलाफ तो कानूनी कार्रवाई होती रहेगी लेकिन उनके पिता पर आंच नहीं आने दी जाएगी । उसी खुले समर्थन का परिणाम है कि लखीमपुर खीरी में कमल खिल गया ।
यह एक किस्म का संदेश भी देता है कि जनता आज भी जातिगत आधार पर मतदान को प्राथमिकता दे रही है । एक दौर था जब बसपा ब्राह्मणों के सम्मेलन के जरिए उनके मत हासिल करती थी लेकिन अब भाजपा ने उसके नेताओं को किसी भी हालात में समर्थन देकर खुद को बसपा कि तुलना में कहीं बड़ा कर लिया । साथ ही भाजपा यह संदेश देने में भी सफल रही कि विकास दुबे अपराधी था , इसलिए कार्रवाई हुई लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं के साथ हम किसी भी सूरत में खड़े हैं । शायद इसी भरोसे ने कमाल कर दिया। किसान आंदोलन के समय एक वर्ग था जो किसानों के ऊपर किए जा रहे अत्याचारों का समर्थन कर रहा था। लखीमपुर खीरी के इस क्लीन स्वीप के बाद हो सकता है कि वह वर्ग फिर से मुखर हो उठे।