बर्फबारी के बीच राहुल बोले-कश्मीर के लोगों ने मुझे ग्रेनेड नहीं दिया, बल्कि मुझे प्यार से गले लगाया...
(रणभेरी): कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का सोमवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में समापन हो गया। इस अवसर पर श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में राहुल गांधी ने एक सभा का आयोजन किया सुबह से ही घाटी का मौसम खराब था, जिस वजह से श्रीनगर में भी भारी बर्फबारी हुई। इसके बावजूद राहुल नहीं रुके। उन्होंने रेनकोट पहना और खुले आसमान के नीचे लोगों को संबोधित करना शुरू कर दिया। वहीं पूरी यात्रा के दौरान उनके टी-शर्ट की खूब चर्चा हुई, उसकी इमोशनल वजह का भी जिक्र उन्होंने किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ विपक्ष के अहम चेहरे इस जनसभा में उपस्थित रहे। इस दौरान राहुल गांधी ने जनता को संबोधित किया। भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी ने जनता को संबोधित करते हुए सभी का शुक्रिया अदा किया। इसके साथ ही राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि मोदी और शाह ने कभी हिंसा नहीं देखी, और न ही उन्हे सहना पड़ा है। इस दौरान राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। राहुल ने कहा "चार दिन मैंने जैसे पैदल कश्मीर की यात्रा की, बीजेपी का कोई नेता ऐसे यात्रा नहीं कर सकता। ऐसा इसलिए नहीं, क्योंकि जम्मू कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें डर है। बीजेपी डरती है इसलिए वो कभी मेरी तरह पैदल यात्रा नहीं करेगी। "राहुल गांधी ने आगे कहा, " मोदी और शाह ने कभी हिंसा नहीं देखी, और न ही उन्हे सहना पड़ा है। मैनें अपनों को खोया है। मैं आपको गारंटी देकर कह सकता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता। इसलिए नहीं कि जम्मू कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, इसलिए कि वह डरते हैं।कश्मीर के लोगों ने मुझे ग्रेनेड नहीं दिया.. बल्कि मुझे प्यार से गले लगाया है।"
उन्होंने आगे कहा, "जम्मू कश्मीर के लोगों को , सुरक्षाबलों को थोड़ा से बताना चाहता हूं कि जब मैं 14 साल का था, स्कूल में था। ज्योग्राफी की क्लास में था। मेरी एक टीचर क्लास में आयी। उन्होंने कहा कि राहुल तुम्हे प्रिंसिपल बुला रही है। मैं बहुत बदमाश था, मैने सोचा कि प्रिंसिपल बुला रही है जरुर मार पड़ेगी। प्रिंसिपल ने कहा कि राहुल तुम्हारे घर से फोन है। मुझे लगा कि कुछ गलत हो गया है। मेरे पैर कांपे। फोन कान के पास लगाते ही मेरी मां के साथ एक औरत काम करती है, वह चिल्लाते हुए बोली कि राहुल दादी को गोली मारी। देखिए यह जो मैं कह रहा हूं यह बात प्रधानमंत्री को नहीं समझ आएगी, यह बात अमित शाह को समझ नहीं आएगी। यह बात कश्मीरियों को,सेना और सीआरपीएफ वालों को समझ आएगी। उसने कहा कि दादी को गोली लग गई। मैने वह जगह देखी जहां मेरी दादी का खून था, पापा आए, मां आयी। मां पूरी तरह हिल गई थी, वह बोल नहीं पा रही थी" राहुल गांधी ने आगे कहा, "ठीक उसी के सात साल बाद मैं अमरीका में था और फिर से टेलीफोन आया। जैसे बहुत सारे, जैसे पुलवामा में हमारे सैनिक मरे थे, उनके घर टेलीफोन आया होगा, हजारों कश्मीरियों के घर जैसे फोन आया होगा, वैसा ही फोन आया। पिता जी के एक दोस्त का फोन आया मैने कहा पिता जी मारे गए हैं। पिता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, ये सुनकर मैं सुन्न पड़ गया था।" राहुल गांधी ने कहा कि इस हिंसा को पीएम मोदी और अमित शाह या आरएसएस नहीं समझ सकता। हम समझ सकते हैं क्योंकि हम इसी दौर से गुजरे हैं। मैं पुलवामा के शहीदों के परिवार वालों का दर्द समझ सकता हूं।
राहुल गांधी ने कहा कि इस यात्रा से मैनें बहुत कुछ सीखा। उन्होंने कहा कि एक समय आ गया था जब मैं थक गया था लेकिन एक लड़की की चिट्ठी ने मुझे फिर से यात्रा को करते रहने की हिम्मत दी। उन्होंने कहा, "मैंने बहुत कुछ सीखा। एक दिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मैंने सोचा कि मुझे 6-7 घंटे और चलना होगा जो बहुत कठिन है। लेकिन एक दिन एक लड़की दौड़ती हुई मेरे पास आई और बोली कि उसने मेरे लिए कुछ लिखा है। उसने मुझे गले लगाया और भाग गई। मैंने इसे पढ़ना शुरू किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि उस लड़की ने उस चिट्ठी में जो लिखा था उसने मुझे फिर से चलने की हिम्मत दी। राहुल ने बताया कि उसने लिखा, "मैं देख सकती हूं कि आपके घुटने में दर्द हो रहा है क्योंकि जब आप उस पैर पर दबाव डालते हैं, तो यह आपके चेहरे पर दिखता है। मैं आपके साथ नहीं चल सकती लेकिन मैं दिल से आपके साथ चल रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि आप मेरे और मेरे भविष्य के लिए चल रहे हैं। ठीक उसी क्षण, मेरा दर्द गायब हो गया।" शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में जनता को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैंने गांधी जी से सीखा है कि अगर जीवन जीना है तो बिना डरे जीना है। हिंदुस्तान प्यार का देश है और इसी नफरत को खत्म करने के लिए मैंने ये यात्रा की। मैं इतने दिनों तक पैदल चला और लोगों के दुखों को समझ पाया। राहुल गांधी ने कहा, "मुझसे लोगों ने कहा कि पूरे भारत में आप पैदल चल सकते हैं, लेकिन कश्मीर में गाड़ी से चलिए क्योंकि आपकी सुरक्षा का सवाल है। मैंने कहा कि यह (कश्मीरी) अपने घर के लोग हैं। मैं उनके बीच में चलूंगा। मैंने सोचा कि जो मुझसे नफरत करते हैं, उन्हें क्यों न मौका दें कि वह मेरी टी-शर्ट को लाल कर दें। क्योंकि गांधी जी ने मुझे सिखाया है कि जीना है तो बिना डरे जीना है। मैंने सोचा कि करना है तो लाल कर दो मेरी टी-शर्ट। लेकिन जो मैंने सोचा था वही हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे दिल खोलकर प्यार किया और मुझे बहुत खुशी हुई कि उन्होंने मुझे अपना माना। "