एनजीटी की लताड़ के बाद भी पेड़ों की हो रही है कटाई, बीएचयू के छात्रों ने जताई आपत्ति
वाराणसी (रणभेरी): काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में एनजीटी की लताड़ के बाद भी कैंपस में कृषि विज्ञान संस्थान के पास कटे हुए पेड़ दिख रहे हैं। कृषि विज्ञान संस्थान के पास रविवार को सड़क के दोनों ओर कटे हुए पेड़ के लट्ठ रखे हैं। गेट के बाहर 20 मीटर के क्षेत्र में दोनों ओर पेड़ की डालियां बिखरीं हैं। यही नहीं उस पेड़ के तने पर सफेद और लाल रंग का लगा पेंट भी दिख रहा है। ये पेंट नाइट ट्रैफिक के संकेत का काम करते हैं। इस मामले को लेकर बीएचयू के जनंसपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि उनको ऐसी कोई जानकारी नहीं है। इससे पहले बीएचयू में चंदन के सात समेत कुल 26 पेड़ों को काटने को लेकर एनजीटी ने संज्ञान लिया था। एनजीटी के आदेश पर बीएचयू के रजिस्ट्रार प्रो. अरुण कुमार सिंह पर मुकदमा भी दर्ज हुआ।
दुर्गाकुंड की अनीशा चटर्जी ने बीएचयू से आरटीआई में 15 सवाल पूछे थे। इनमें से चंदन के पेड़ोंं से संबंधित आठ सवाल थे। उसमें उन्होंने विश्वविद्यालय में मौजूद पेड़ों की संख्या पूछी थी। जिसपर उद्यान विभाग द्वारा जवाब दिया गया कि विश्वविद्यालय परिसर में उद्यान विशेषज्ञ इकाई के द्वारा वृक्षों की गणना अब तक नहीं की गई है। अतः इस प्रकार की जानकारी तैयार प्रारूप में उपलब्ध नहीं है। पर्यावरण मंत्रालय के आदेश पर 24 अक्तूबर को बीएचयू पहुंचे जांच दल में उप महानिरीक्षक (वन) डॉ. प्राची गंगवार, डीएफओ स्वाति और वन संरक्षण एवं क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रवि सिंह शामिल थे। टीम ने परिसर के द्रव्यगुण विभाग सहित अन्य स्थानों से चंदन के सात पेड़ों की कटाई पकड़ी थी।
इसके अलावा विभिन्न प्रजातियों के 26 पेड़ों की बिना अनुमति कटाई की बात सामने आई थी। जांच के दौरान टीम ने पाया कि कुलसचिव ने अवैध रूप से 12 पेड़ कटवाए और उनका ट्रांसपोर्टेशन (परिवहन) भी कराया। टीम ने कटे पेड़ों की लकड़ी बरामद कर उनकी फोटोग्राफी कराई। इस मामले में कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह के खिलाफ वन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।