रजिस्ट्रेशन में रुकावट से ई-रिक्शा की बिक्री में गिरावट
वाराणसी (रणभेरी सं.)। वाराणसी समेत कई मेट्रो सिटी में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या ने एक नई समस्या पैदा कर दी है। बनारस में भी ई-रिक्शा के चलते ही जाम लग रहा था। आए दिन ई-रिक्शा की मनमानी की शिकायतें भी सामने आ रही थीं। व्यापारी और आम लोगों की अपील पर जिला प्रशासन ने त्वरित एक्शन लिया और काशी जोन में ई-रिक्शा रूट निर्धारण योजना लागू कर दी। साथ ही डीएम एस राजलिंगम ने बड़ा फैसला लेते हुए अग्रिम आदेश तक ई-रिक्शा के पंजीयन पर रोक लगा दी है। रूट निर्धारण योजना के तहत रजिस्टर्ड और कंप्लीट कागज वाले ई-रिक्शा को क्यूआर कोड और रंगीन स्टीकर जारी किया गया है। अवैध या अनफिट ई-रिक्शा पर धड़ाधड़ कार्रवाई होने लगी। रोजाना बड़ी संख्या में ई-रिक्शा पर सीज और चालान की कार्रवाई शुरू हो गई। जिला प्रशासन व पुलिसिया एक्शन से काशी जोन में जाम लगभग 50 फीसद तक खत्म हो गया, लेकिन दूसरी समस्या सामने आ गई। ई-रिक्शा का सेल पूरी तरह से ठप हो गया। इसके चलते कई लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। एजेंसियों के शोरूम पर ताला लगने से कई सेलमैन की नौकरी चली गई। जाम को लेकर संयुक्त टीम ने तुलनात्मक अध्ययन और सड़क पर सर्वे किया तो मालूम चला कि वर्ष 1995 में जिले में कुल वाहनों की संख्या एक लाख, 26 हजार 291 थी। इसके सापेक्ष 31 अगस्त 2024 तक परिवहन कार्यालय में कुल 15 लाख दो हजार 62 वाहन पंजीकृत है।
इसमें छोटे-बड़े वाहनों की संख्या 51403, बस व स्कूली बस 7809, टैक्सी वाहन 11832, प्राइवेट जीप, कार, दो पहिया वाहनों 13 लाख 35 हजार 618 और ई-रिक्शा 26,282 व आॅटो रिक्शा 33 हजार 75 है। यह 29 वर्षों में रिकार्ड बढ़ोतरी है।
हर माह 500 ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन
सर्वे में सामने आया कि जाम का प्रमुख कारण ई-रिक्शा व थ्री व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहन हैं। वर्तमान में हर माह 500 से अधिक ई-रिक्शा का पंजीयन हो रहा है। फिलहाल 26 हजार से अधिक ई-रिक्शा परिवहन कार्यालय में पंजीकृत हो चुके हैं। 2016 में बरेका में आयोजित जनसभा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने ई-रिक्शा लांच किया था और इसका प्रमोशन भी किया था। इसके बाद शहर में ई-रिक्शा का चलन बढ़ा। वर्ष 2018 में संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की बैठक में ई-रिक्शा के पंजीयन पर रोक लगाई थी, लेकिन न्यायालय ने आदेश को निरस्त कर दिया था लेकिन जाम की समस्या को देखते हुए पंजीयन पर रोक लगाना जरूरी हो गया है।
सेल्समैन की चली गई नौकरी
ई-रिक्शा के पंजीयन पर रोक के बाद 17 सितम्बर से वाराणसी में ई-रिक्शा की बिक्री पूरी तरह से ठप पड़ गई है। ई-रिक्शा के अलावा ई-आॅटो का सेल भी डाउन हो गया है। क्योंकि शहर में बिना परमिट के चलने वाले सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर यह आदेश प्रभावी है। पड़ाव, गोलगड्डा, लहरतारा, सुंदरपुर, चित्तईपुर, रोहनियां, तेलियाबाग, मलदहिया, लंका, सामनेघाट, नरिया समेत कई मार्गों पर ई-रिक्शा का शोरूम है। शहर में इनकी संख्या करीब 630 है। औसतन एक शोरूम में तीन सेल्समैन थे, लेकिन रजिस्ट्रेशन पर पाबंदी लगने से कई सेल्समैन की नौकरी चली गई है। हालांकि कई कर्मचारियों ने आधे सैलरी पर काम करने की इच्छा जताई है।
ई-रिक्शा चालक कोर्ट से लगाएंगे न्याय की गुहार
ई-रिक्शा चालक यूनियन बारकोड व्यवस्था के विरोध में अदालत से गुहार लगाएगा। रविवार को नदेसर स्थित एक होटल में अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन के अध्यक्ष प्रवीण काशी ने प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी। रविवार को जेल से रिहा होने के बाद प्रवीण काशी ने कहा कि हमलोगों ने शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया। फिर भी हमें जेल भेजा गया। 20 दिन के अनशन के बाद भी सुनवाई नहीं हुई। उम्मीद है कि जिला प्रशासन अब हमारा पक्ष सुनेगा और शहर में जाम से राहत के लिए जो योजना हमने तैयार की है। शहर में एक कंपनी को लाभ दिलाने के लिए 100 ई-बसें चलाने की योजना है। सवाल किया कि क्या इससे शहर में जाम की समस्या का समाधान हो जाएगा। प्रवीण काशी ने सुझाव दिया कि यदि शहर में केवल परमिटधारी आॅटो ही संचालित हों तो ई-रिक्शा और आटो की कुल संख्या 30,000 से अधिक नहीं होगी, जो जाम को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकती है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कागजात अधूरे रखने वाले ई- रिक्शा चालकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और बिना लाइसेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट और इंश्योरेंस के वाहन नहीं चलने चाहिए। प्रवीण काशी ने इस मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने की योजना की भी जानकारी दी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 100 बसें बिना जाम उत्पन्न किए शहर में चल सकती हैं, तो एक छोटा ई-रिक्शा जाम का कारण कैसे बन सकता है? उनका आरोप है कि ई-रिक्शा चालकों की कमाई छीनी जा रही है, जबकि बस मालिकों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने बसों को सहकारी मॉडल पर संचालित करने का सुझाव दिया, जिससे लाभ कई लोगों में वितरित हो सके। यूनियन का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के लिए दिल्ली जाएगा। काशी ने बताया कि ये दोनों ही संसद में ई-रिक्शा के लिए अध्यादेश लेकर आए थे, और अब उनकी मदद से समस्या का समाधान निकाला जाएगा। इसके अलावा, यूनियन अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से भी संपर्क करेगी।