बदइंतजामी के जंजाल में जकड़ा डोमरी कथास्थल

बदइंतजामी के जंजाल में जकड़ा डोमरी कथास्थल

 3.5 लाख भक्तों के लिए सिर्फ 500 टॉयलेट, गंगा किनारे कर रहे गंदगी
 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। डोमरी स्थित सतुआ बाबा गौशाला में आयोजित हो रही शिवमहापुराण की कथा एक ओर धार्मिक समागम का हिस्सा है, लेकिन दूसरी ओर आयोजकों की बदइंतजामी के कारण यह श्रद्धालुओं के लिए बुरा अनुभव बन चुकी है। विशेष रूप से 3.5 लाख भक्तों के लिए केवल 500 टॉयलेट की व्यवस्था की गई है, जिससे गंगा किनारे गंदगी का ढेर लग रहा है। श्रद्धालु गंगा के पवित्र तट पर आस्था के साथ आते हैं, लेकिन वहां की अव्यवस्था श्रद्धालुओं को निराश कर रही है।

गंगा किनारे कई स्थानों पर गंदगी फैली हुई है, जिससे वातावरण में अजीब सी बदबू है और यह पवित्र नदी गंगा के तट की सुंदरता को भी धूमिल कर रहा है। इतना ही नहीं हजारों श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं। कई लोग तो ठंडी रातों में ठंडी हवाओं से भी जूझ रहे हैं, क्योंकि उन्हें उचित आश्रय का कोई इंतजाम नहीं है। कथा स्थल और उसके आसपास आयोजकों की ओर से पर्याप्त इंतजामों की कमी साफ तौर पर दिख रही है। ना तो शौचालयों की संख्या संतोषजनक है, ना ही शुद्ध जल की व्यवस्था सही तरीके से की गई है। जो टॉयलेट है वो भी जाने लायक नहीं बची है । सभी टॉयलेट लगभग चोक हो चुके हैं।

नहीं की गई है पर्याप्त टॉयलेट की व्यवस्था 

 गंगा पार डोमरी में कथास्थल के आसपास 500 टॉयलेट की व्यवस्था की गई है। सामान्य रूप से एक टॉयलेट यदि पांच मिनट भी इस्तेमाल हो रहा है तो 24 घंटे में 1.44 लाख लोग ही उपयोग कर पा रहे हैं। जबकि भीड़ 3.50 लाख की है। ऐसी स्थिति में 2 लाख 6 हजार भक्तजन सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के बाद मुक्त आकाश के नीचे मुक्त करके किनारों को मलीन कर रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करे तो 3.5 लाख में से दो लाख लोग काशी और आसपास के जिलों से प्रतिदिन आते हैं और कथा होने के बाद चले जाते हैं। इनके अलावा 1.5 लाख लोग यहीं पंडालों के आसपास रुकते हैं। नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और आयोजकों के मिलाकर कुल 500 टॉयलेट हैं। इनमें 15 मोबाइल टॉयलेट हैं। जिनमें 150 शीट है। इसी प्रकार आयोजकों के 200 और पीडब्ल्यूडी के 150 अस्थायी टॉयलेट हैं।

गंगा पार की गंदगी से इस पार घाट पर भी बढ़ी परेशानी

बावजूद इसके रेत के आसपास काफी गंदगी फैल रही है। गंगा पार की गंदगी से इस पार घाट पर भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को परेशान कर रही है। नाव में घूमने वाले लोग भी उस पार जाने से परहेज कर रहे हैं। यहां तक की घाट किनारे खुले होटल और रेस्टोरेंट वाले भी गंगा की ओर से खिड़की बंद करके रखे हैं। यहां तक की डोमरी के लोग भी परेशान हैं। खुले में शौच के चलते यहां स्थित बद से बदतर हो गई। इसके चलते गंगा का जल भी दूषित हो रही है। नगर निगम के अधिकारी लगातार यहां चक्रमण कर व्यवस्था दुरुस्त कराने में लगे हैं।
 कथावाचक ने अपने श्रोताओं के दैविक विकास के लिए कथामृत की वर्षा की। कथा का असर ये था कि लोग भले ही धरती पर रहें, लेकिन मानसिक धरातल पर वे लोग दिव्यलोक में विचरण कर रहे थे। उसका परिणाम हुआ कि जो भौतिक यथार्थता है, वह खतरे में आ गई। सामान्य वातावरण नितांत दूषित और मलिन हो गया। अब ये संकट है आध्यात्मिक विकास कितने हद तक हो कि लोग अपने आस पास के यथार्थता को न भूले।

भीड़ के आगे ना काफी है व्यवस्थाएं

नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को चुस्त दुरुस्त रखने की हिदायत तो दी लेकिन भीड़ के हिसाब से व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। यहां तीन शिफ्ट में सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें पहले शिफ्ट में 80, दूसरे में 80 और तीसरे में 60 सफाई कर्मचारियों की तैनाती की गई है। सफाई के अलावा यहां की कूड़ा गाड़ी और मोबाइल शौचालय रखवाए गए हैं। ब्लीचिंग का छिड़काव कराया जा रहा है। बावजूद इसके दुश्वारियां कायम है। महाकुंभ से पहले काशी में गंगा पार का इलाका प्रदूषित हो गया है। डोमरी में आयोजित शिवमहापुराण कथा में आए भक्तों की गंदगी से न केवल गंगा बल्कि रेत भी दूषित हो गया है। आयोजकों और नगर निगम की ओर से किए गए प्रबंध भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।