सर्वपितृविसर्जन पर होगा पितरों का श्राद्ध

सर्वपितृविसर्जन पर होगा पितरों का श्राद्ध

शुभयोग में सर्व पितरों के विसर्जन से मिलेगी पितृ ऋण
सर्व पितरों की प्रसन्नता से खुलेंगे सौभाग्य के द्वार

वाराणसी (रणभेरी): सर्व पितृ विसर्जन पर रविवार को गंगा घाटों एवं पिशाचमोचन पर अपने पितरों को श्राद्ध करने वालों की भारी भीड़ उमड़ेगी। शुभ योग में सर्व पितरों के विसर्जन से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही सर्व पितरों की प्रसन्नता के लिए सौभाग्य के द्वार भी खुल जाते हैं। आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तिथि तक पूर्वजों की आत्म शांति के लिए श्रद्धा के साथ विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने की परम्परा है।

आश्विन मास की अमावस्या तिथि के दिन सर्व पितृ विसर्जन करने का विधान है। इस दिन किये गये श्राद्ध से पितृगण प्रसन्न होकर जीवन मेें सुख-सौभाग्य व खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। प्रख्यात ज्योतिषविद् पं. विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक शुभ एवं मांगलिक आयोजन पर भी पितरों को आमंत्रित करने की धार्मिक मान्यता है। रविवार 21 सितम्बर को सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या है। आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 20 सितम्बर को अर्धरात्रि12.17 मिनट पर लग गई थी। जो कि अगले दिन 21 सितम्बर को अर्धरात्रि के पश्चात 1.24 मिनट तक रहेगी।पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र 20 सितम्बर को प्रात:8.06 मिनट से 21 सितम्बर को प्रात: 9.32 मिनट तक रहेगा।

तत्पश्चात उत्तार फाल्गुनी नक्षत्र सम्पूर्ण दिन रहेगा। इस दिन शुभ योग रात्रि 7.53 मिनट तक रहेगा। महालया की समाप्ति रविवार 21 सितम्बर को हो जायेगी। आज अमावस्या के दिन अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध भी किया जायगा। अमावस्या तिथि पर श्राद्ध करके पितृ ऋण से मुक्ति पानी चाहिए।अमावस्या तिथि के दिन श्राद्ध करने से अपने कुल व परिवार के सभी पितरों का श्राद्ध मान लिया जाता है। उधर, पिशाचमोचन तीर्थ पर श्राद्ध करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी रही। लोग अपने अपने पितरों को याद करके उन्हें श्राद्ध करते रहे।