हो जाए डील तो वीडीए नहीं करेगा सील
हो जाए डील तो वीडीए नहीं करेगा सील
- ब्रिज इनक्लेव कॉलोनी में कब्रिस्तान की जमीन पर खड़ी हो रही अवैध निर्माण पर वीडीए मेहरबान !
- नियम कानूनों को ताक पर रख बिना सेटबैक के ही तेजी से चल रहा काम, इस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने में वीडीए का बुलडोजर नाकाम !
- धवस्तीकरण की आड़ में वीडीए खेल रहा है खेल, धन्ना सेठ निर्माणकर्ताओं से हो रहा है मेल
- जिस अवैध निर्माण की हो जाती है डील, नहीं करता है वीडीए उस निर्माण को सील !
वाराणसी (रणभेरी संवाददाता की विशेष रिपोर्ट)। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध निर्माणों की इस कदर बाढ़ आ गई है कि यदि सरकार अवैध निर्माण कराने का अवार्ड देने का एलान कर दे तो नि:संदेह वाराणसी विकास प्राधिकरण का स्थान प्रथम आएगा। शहर में कई-कई दर्जन ऐसे अवैध निर्माण हो रहे है जो वीडीए अधिकारियों की जानकारी में हैं। शहर में ऐसा कोई अवैध निर्माण नहीं जिसकी वीडीए को भनक ना हो। वीडीए के कर्मचारी सुबह से शाम तक शहर के अगल-अलग क्षेत्रों में घूमते रहते हैं। किसी जमीन के पास बालू, गिट्टी गिर जाए तो वह खबर भी वीडीए के पास पहुच जाती है। लेकिन यह विडंबना है की वीडीए सबकुछ जानते हुए भी अंजान बना रहता है।
असल में शहर में होने वाले अवैध निर्माणों के मामले में वीडीए अधिकारियों के अनजान बने रहने के पीछे का खेल ही कुछ अलग है। आम तौर पर वीडीए के अधिकारी पहले तो सेटिंग-गेटिंग की बदौलत अपनी मौन सहमति पर अवैध निर्माण की छूट देते हैं इसके बाद यदि किसी निर्माण के सन्दर्भ में उन्हें शिकायत प्राप्त हो जाए तो नियमानुसार एक नोटिस जारी करके मामले को ठंडा करने का खेल खेला जाता है। परन्तु इसके बाद भी यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत पर अड़ कर कार्रवाई की मांग करता है तो विभाग के जिम्मेदार अधिकारी लाव-लश्कर के साथ मौके पर पहुच कर निर्माण को सील कर देते हैं। वीडीए अधिकारियों के लूट का सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं होता है बल्कि फिर यही से शुरू होता है निर्माण कर्ताओं से असल डील का दौर। जब किसी निर्माणकर्ता का अर्धनिर्मित भवन सील हो जाता है तो उसे पूरा करने की बेचैनी और ध्वस्तीकरण से बचाने की कवायद में भवन स्वामी एवं निर्माण कर्ता ठेकेदार वीडीए अधिकारियों की सारी शर्ते मानने को मज़बूर हो जाता है जिसका फायदा उठाते हुये वीडीए बड़ी और मनमाफिक डील के तहत खुद के किये गये सील भवनों में परदा डालकर रात के अँधेरे में चोरी-छिपे निर्माण की पूरी छूट दे देता है। इस तरह अवैध होने के बावजूद वीडीए के संरक्षण में ही धीरे-धीरे निर्माण पूरा कर लिया जाता है। शहर में ऐसे सैकड़ों भवन हैं जो विभागीय रिकार्ड में सील है लेकिन मौके पर आपको नज़ारा बदला हुआ मिले जाएगा।
ताबड़तोड़ कार्रवाई सिर्फ दिखावा, हकीकत कुछ और...!
शहर में इन दिनों अवैध निर्माण पर वीडीए की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। पर सच ये है यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा है। इसके पीछे की हकीकत कुछ और ही है। जिस अवैध निर्माण कराने वाले भवन स्वामियों से वीडीए की सेटिंग नहीं हो पाती सिर्फ वहीं सील या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होती है। इसका उदाहरण शहर में बसे मकान ही नहीं बल्कि कॉलोनियां और तमाम प्लाटिंग भी है। हकीकत यह है की अगर आपके पास पैसा है तो आप बिना किसी भय के अवैध निर्माण करा सकतें हैं क्योंकि वाराणसी विकास प्राधिकरण आपके पैसों के आगे अपना ईमान धर्म सब कुछ बेचने को तैयार है। वीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत और सांठ-गांठ से सील भवन का निर्माण भी डील के दम पर पूरा हो जाता है। जिसके तमाम उदाहरण हैं।
शातिर अल्ताफ ने फर्जी दस्तावेजों की बदौलत पास कराया नक्शा
ताजा मामला सुंदरपुर क्षेत्र के ब्रिज इन्क्लेव कॉलोनी स्थित रुद्रा अपार्टमेंट के समीप का है। जहां नियम कानून को ताख पर रखकर अवैध निर्माण कराया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि जिस स्थान पर इस भवन का निर्माण कराया जा रहा उसका बहुतायत हिस्सा कब्रिस्तान का है। सूत्र यह भी बताते हैं कि अशफ़ाक नगर निवासी अल्ताफ अंसारी एक शातिर किस्म का व्यक्ति है जिसने पहले तो बिल्डर के जरिये वीडीए अधिकारियों को मिलाकर उक्त जमीन के एक बिस्वा क्षेत्रफल पर भवन निर्माण का नक्शा पास करा लिया। फिर इसके बाद मौके पर 'वीडीए द्वारा मानचित्र स्वीकृत का बोर्ड लटकाकर' सारे नियम-कानूनों को टाक पर रखते हुये धड़ल्ले से लगभग 6 हजार वर्गफीट क्षेत्र में निर्माण शुरू करा दिया।
ब्रिज इनक्लेव कॉलोनी में अवैध निर्माण पर कुंठ वीडीए का हथौड़ा
नियमतः भवन निर्माण में सेटबैक के लिए जगह छोड़ना होता है लेकिन इस भवन का निर्माण सभी नियमों को ताख पर रखकर किया जा रहा है। सेटबैक और रोड बाइंडिंग के नियमों को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से अवैध निर्माण होता जा रहा है। वीडीए के जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अंजान बने बैठे हैं। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अशफ़ाक नगर निवासी अल्ताफ अंसारी की जमीन पर जिस ठेकेदार द्वारा यह निर्माण कार्य कराया जा रहा है वह वीडिए का सेटर है। अपनी सेटिंग-गेटिंग के दम पर अवैध निर्माण करने का महारथ रखने वाले ठेकेदार द्वारा जहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नक्शा पास करा लिया जाता है। वहीं नक्शा से कहीं अधिक निर्माण भी कराया जाता है इस मामले में जी प्लस टू का मानचित्र स्वीकृत कराया गया हैं परंतु निर्माण जी प्लस 4 का होना है। ऐसे में यह सवाल उठता है की शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करने वाली वीडीए आखिर इस अवैध निर्माण पर क्यों खामोश है! क्या इस अवैध निर्माण को कराने वाले धन्नासेठ ने भी पैसों के बलबूते वीडीए का ईमान ख़रीद लिया है ! यह देखना होगा कि ब्रिज इनक्लेव कॉलोनी में हो रहे इस अवैध निर्माण पर वीडीए का हथौड़ा चलता है या नहीं ?
सील भवन में भी बेधड़क होता रहता है निर्माण
वीडीए के अधिकारियों की महिमा इतनी निराली है कि शहर भर में सील के बावजूद भी अर्धनिर्मित भवनों के अंदर निर्माण जारी रहता है। कुछ बड़ी इमारतें तो ऐसी हैं, जिन्हें अवैध और अनियमित पाते हुए प्राधिकरण ने सील कर दिया है। मगर, सील लगे भवनों में भी धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है। सील लगी बहुमंजिला इमारतों में अंदर कभी खुलेआम तो कभी चोरी-छिपे अपने निर्माण का आकार देने में सैकड़ों भवन स्वामी जुटे हुए हैं। इसे प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही कहें या मिलीभगत, महीनों या सालों पहले सील किए गए बड़े-बड़े भवनों को सील लगाकर अधिकारी छोड़ देते हैं और दोबारा कभी मौके पर जाकर जांच-पड़ताल तक नहीं करते। अब इसे आप उनकी विभागीय व्यस्तता कहिये या फिर सेटिंग-गेटिंग का मासूम तरीका।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
विकास प्राधिकरण में अलग-अलग जोन की जिम्मेदारी के लिए टीमें बनाई गई हैं। बिना नक्शा स्वीकृत कराए जगह-जगह निर्माण किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आवासीय के साथ ही व्यावसायिक और बडे़ अवैध निर्माण तक पर भी निजी हित सधने के बाद कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति होती है। जितने भी अवैध निर्माण सील किए गए, इनमें ज्यादातर निर्माण सील के बावजूद पूरे कर लिए गए।
नियमों का हवाला देकर अवैध निर्माणों को शह
शहर में होने वाले अवैध निर्माणों को विकास प्राधिकरण के अधिकारी शह देते हैं। सील की कार्रवाई के बाद नक्शा दाखिल करने पर ही उसे खोल दिया जाता है। कई मामलों में तो सील के बाद निर्माण पूरा हो गया और शमन मानचित्र दाखिल किया गया। हकीकत यह है कि अवैध निर्माण करने वालों में वीडीए का कोई खौफ नहीं है।
सील के बावजूद 10 माह में बनकर तैयार हो गया गेस्टहाउस
31 अक्टूबर 2023 की स्थिति
15 जुलाई 2024 की स्थिति
बीते 10 महापूर्व अस्सी चौराहा से लंका रोड की तरफ 100 मीटर की दूरी पर अवैध रूप से एक व्यावसायिक भवन का निर्माण शुरू हुआ था। इस निर्माण के संदर्भ में पहली बार रणभेरी ने अक्टूबर माह में खबर प्रकाशित किया था। उस समय इस भवन के भूतल का निर्माण प्रारंभ हुआ था। 31 अक्टूबर एवं 7 नवंबर को क्रमशः दो बार सचित्र इस संदर्भ में खबर प्रकाशित की गई थी। जिसके बाद वीडिए ने इस अवैध निर्माण कर्ताओं को नोटिस जारी कर दिया। बाद में पुन: खबर प्रकाशित होने के बाद वीडिए ने इस भवन को सील कर दिया था। इसके बाद वीडिए ने अपना पल्ला झाड़ते हुये कह दिया था कि अब स्थानीय थाने की जिम्मेदारी है। हकीकत यह है कि इस भवन का निर्माण निरंतर आज भी जारी है और धीरे-धीरे करके भू-तल से शुरू हुआ यह निर्माण तीसरी मंजिल तक पहुंच गया। वर्तमान में इस भवन में 14 कमरे बनकर तैयार हो चुके है और बाकायदा इस भवन में एक गेस्टहाउस का शुभारंभ होने वाला है। जबकि वीडिए के रिकॉर्ड में इस भवन को सील किया गया था।