भ्रष्ट जोनल अफसर ने किया गंगा तट को भी नीलाम !

- नगवां में गंगा से सटे सुखानंद बाबा आश्रम के पास धड़ल्ले से बन रहा अवैध इमारत
- गंगा से महज 20 मीटर की दूरी, एचएफएल क्षेत्र...फिर भी आंख पर पट्टी बांधे है जोनल साहब
- जोनल संजीव कुमार हो मेहरबान तो क्यों न हो गंगा किनारे बे-रोकटोक अवैध निर्माण !
अजीत सिंह
वाराणसी (रणभेरी): "गंगा हमारी मां हैं"...यह बात वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही थी क्योंकि यह सिर्फ एक धार्मिक भाव नहीं, बल्कि संवैधानिक और पारिस्थितिकीय जिम्मेदारी भी है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हर मंच से गंगा संरक्षण की कसमे खाई जाती हैं। लेकिन हकीकत में, गंगा की गोद में अवैध निर्माण करवाने वाले अफसरों की मिलीभगत इतनी गहरी हो चुकी है कि न कानून बचा है, न नैतिकता। वाराणसी के नगवां क्षेत्र में, सुखानंद बाबा आश्रम से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर, एक आलीशान अवैध इमारत का निर्माण तेज़ी से जारी है। इस इमारत की खास बात यह नहीं कि ये अवैध है, बल्कि ये कि यह गंगा से सिर्फ 20 मीटर की दूरी पर है, जबकि गंगा किनारे किसी भी तरह के निर्माण पर सख्त प्रतिबंध है। और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि निर्माण न सिर्फ जारी है, बल्कि उस पर वीडीए यानी वाराणसी विकास प्राधिकरण की निगरानी तक नहीं है। न कोई नोटिस, न कोई रोक। क्योंकि जोनल अफसर संजीव कुमार की आंखें या तो बंद हैं, या फिर बंद कर दी गई हैं...चुपचाप कीमत लेकर। संजीव कुमार पहले भी कई मामलों में संदेह के घेरे में आ चुके हैं। चाहे वह दुर्गाकुंड क्षेत्र में बनी बहुमंज़िला इमारत हो, ब्रिज एन्क्लेव कॉलोनी में बना सद्दाम का अवैध मकान हो या फिर लंका में मारुति नगर की वह बिल्डिंग जिसके गिरने से मजदूर की जान चली गई। हैरत की बात यह है कि ऐसे एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई उल्टे उन्हें विभागीय संरक्षण देकर और भी ताक़तवर बना दिया गया। गंगा के पावन तट पर धन की हवस में अंधा1 अपने नैतिक मूल्य गिरवी रख चुकी है। वीडीए, जिला प्रशासन, और मुख्यमंत्री के पद पर चहेते चौकीदारों’की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है।
क्या गंगा तट के क्षेत्रों की भी वीडीए ने लगा दी कीमत ?
वाराणसी का नगवां क्षेत्र ऐतिहासिक, धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह गंगा नदी से लगायत बसा हुआ क्षेत्र है और सुखानंद बाबा आश्रम जैसे स्थल के कारण लोगों की आस्था से भी जुड़ा हुआ है। लेकिन देखते ही देखते हाल के वर्षों में इस इलाके को अवैध निर्माण का गढ़ बना दिया गया है वो भी उन लोगों द्वारा, जिनके पास ‘सिस्टम’ को अपने इशारों पर नचाने की ताकत है। एचएफएल क्षेत्र वह एरिया होता है जहां तक बाढ़ के समय नदी का पानी पहुंचता है। इस स्तर के नीचे या पास कोई भी निर्माण कानूनन प्रतिबंधित होता है। नगवां का सुखानंद बाबा आश्रम और उसके पास का पूरा क्षेत्र इस एचएफएल क्षेत्र में आता है। इसके अलावा, गंगा नदी के किनारे बनाए गए गंगा रिवर रेगुलेशन जोन के तहत यह स्पष्ट निर्देश हैं कि गंगा से 200 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का स्थायी निर्माण पूर्णतः वर्जित है। लेकिन जब विकास प्राधिकरण जैसे महत्वपूर्ण संस्था के वीसी और जोनल अफसर ही नियमों को नज़रअंदाज़ कर दें, तो अवैध इमारतों को गंगा की गोद में भी खड़े होने से कोई रोक नहीं सकता।
जानिए क्या कहता है कानून ?
एनजीटी के आदेशों में कहा गया था कि गंगा के 200 मीटर भीतर कोई भी निर्माण गैरकानूनी होगा। अगर वह क्षेत्र नदी की बाढ़ सीमा के अंतर्गत आता है, तो सीमा और भी सख्त हो जाती है। उत्तर प्रदेश नगरीय नियोजन और विकास अधिनियम के तहत वीडीए की जिम्मेदारी होती है कि वह बिना नक्शा पास किए हुए निर्माण पर न केवल रोक लगाए, बल्कि उसे ध्वस्त करे। भू-राजस्व कानून और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नदी तट की ज़मीन सरकारी और पर्यावरणीय श्रेणी में आती है। इस पर कब्जा या निर्माण करना संज्ञेय अपराध है। लेकिन इन कानूनों के होते हुए भी गंगा से 20 मीटर की दूरी पर सुखानंद बाबा आश्रम के पास धड़ल्ले से एक बहुमंजिला इमारत खड़ी हो रही है, वो भी बिना किसी सरकारी अनुमति, बिना नक्शा पास कराए, बिना एनओसी के।
आखिर किसके अनुमति से गंगा किनारे बन रहे बहुमंजिला इमारत?
नगवां के सुखानंद बाबा आश्रम के बिल्कुल पास, गंगा से महज 20 मीटर की दूरी पर एक विशालकाय इमारत धड़ल्ले से खड़ी हो रही है। यह केवल एक साधारण भवन नहीं, बल्कि एक बहुमंजिला संरचना है जो पारंपरिक नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। स्थानीय सूत्र बताते हैं कि यह भवन किसी रसूखदार व्यक्ति का है, जो वाराणसी के उच्च पदस्थ अधिकारियों और सीएम के चहते चौकीदार से अपनी गुप्त संबंधों का इस्तेमाल कर रहा है। यही वजह है कि जोनल अफसर संजीव कुमार सीधे तौर पर इसे बचाने में लगे हुए हैं।
सत्ता और रसूख का खेल
वाराणसी में राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का खेल कुछ ऐसा है कि जिम्मेदार अधिकारी अवैध कार्यों में सीधे या परोक्ष रूप से शामिल हो जाते हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि रसूखदारों ने अपने प्रभाव से वीडीए के अधिकारीयों को प्रभावित कर रखा है। जोनल संजीव कुमार की मिलीभगत से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं। अधिकारियों को बार-बार स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों द्वारा शिकायतें मिलीं, परंतु किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वीडीए के उच्च अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। यह बात तो साफ है कि वीडीए और उसके अधिकारी, खासकर जोनल संजीव कुमार, अपने कर्तव्यों से भटक चुके हैं। उनका मकसद कानून और पर्यावरण की रक्षा करना नहीं, बल्कि रसूखदारों के हित साधना और अपनी अवैध संपति में इजाफा करना है।
गंगा किनारे बे-रोकटोक जारी है अवैध निर्माण
नगवां वार्ड के सुखानंद बाबा आश्रम के पास गंगा से महज 20 मीटर के दायरे में खुलेआम अवैध निर्माण जारी है। इस क्षेत्र में कई ऐसे भवन है जिनपर रोक लगा पाना विभाग के बस की भी बात नहीं है। क्योंकि इनके रसूख के आगे विभाग भी बौना साबित हो जाता है। वहीं विभाग जिन पर वह कार्रवाई कर सकता है उनपर भी कोई एक्शन नहीं ले रहा है। शहर में जहां कहीं भी अवैध निर्माण होता है, या फिर प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण होता है तो उस पर रोक लगाने की जिम्मेदारी वाराणसी विकास प्राधिकरण की है। लेकिन भेलूपुर जोन का ऐसा एरिया जो वीडीए के जोनल ऑफिस से चंद कदमों की दूरी पर है वहां भी उनकी नजरें नहीं पहुंचती है। सुखानंद बाबा आश्रम के पास गंगा किनारे जिस जगह पर निर्माण हो रहा उसका बहुतायत हिस्सा गंगवार का है। वीडीए के अफसरान शहर के कोने-कोने में उन स्थानों तक पहुंच जाते है जहां किसी भी तरह का निर्माण होता है। वहां से खुश होने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होती है। सूत्रों ने बताया कि गंगा किनारे जो अवैध निर्माण हो रहा वहां होटल बनाने की तैयारी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि एक गरीब के कुनबों पर बुलडोजर चलाने वाली वीडीए आखिर धन्नासेठों के आगे अंधी और बेबस क्यों हो जाती है ! हाइकोर्ट ने यह आदेश जारी किया है कि गंगा के 200 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा। अगर होता है तो उसे अवैध करारकर ध्वस्त किया जाएगा। लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों की मेहरबानी से एचएफएल क्षेत्र में भी जमकर अवैध निर्माण हुआ। आज भी एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माण जारी है। धन्नासेठों ने वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों के ईमान को खरीदकर हाई कोर्ट के आदेशों को भी ताख पर रख दिया है। सैकड़ों अवैध निर्माण एचएफएल क्षेत्र में हो गए और वीडीए के अधिकारी आंख बंद कर इसीलिए सोते रहे की दलालों और धनबलियों ने वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों इनके आगे अपना जमीर गिरवी रख दिया।
गुमराह करने में माहिर है वीडीए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए)। प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत और निजी स्वार्थ ने पूरे शहर को अवैध निर्माणों की दलदल में धकेल दिया है। शहर का शायद ही कोई इलाका बचा हो जहां बिना अनुमति के बहुमंजिला इमारतें न खड़ी की गई हों। वीडीए में तैनात जोनल अधिकारी और जूनियर इंजीनियर (जेई) अवैध निर्माणों के सबसे बड़े संरक्षक बन चुके हैं। ये अधिकारी इतनी चतुराई से "सील और डील" का खेल खेलते हैं कि न सिर्फ आम जनता, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को गुमराह कर देते हैं। सूत्रों की मानें तो वीडीए के अफसरों ने हर क्षेत्र में अपने-अपने खास आदमी तैनात कर रखे हैं, जो रेकी कर यह जानकारी देते हैं कि कहां नया निर्माण शुरू हो रहा है।
इसके बाद जोनल अधिकारी पूरे लाव-लश्कर के साथ उस निर्माण स्थल पर पहुंचते हैं और औपचारिकता के नाम पर सीलिंग कर देते हैं। लेकिन असल मकसद निर्माण को रोकना नहीं, बल्कि मोटी रकम वसूलना होता है। सील लगने के बाद शुरू होती है सौदेबाजी। बिल्डर से मोटी डील होती है और फिर या तो निर्माण पर आंख मूंद ली जाती है या सील हटा दी जाती है। इस पूरे खेल में कानून, नियम और नैतिकता सब ताक पर रख दिए जाते हैं।
पार्ट-28
रणभेरी के सोमवार के अंक में पढ़िए...जिला प्रशासन पर भारी वाराणसी के मनबढ़ बिल्डर