ले डूबेगी... तुम्हें ये सेल्फी की दीवानगी !
- मौत होने के बाद भी सेल्फी लेने वालों की कम नहीं हो रही होड़, घाटों पर डूब चुके हैं चेतावनी बोर्ड
वाराणसी (रणभेरी सं.)। गंगा नदी के बीच या घाट किनारे सेल्फी या फोटो लेना किस तरह जानलेवा है। पिछले चार सालों में घाटों पर 272 लोग डूबने से काल के गाल में समा चुके हैैं। इसके बाद भी यहां सेल्फी लेने से लोग हिचक नहीं रहे। शनिवार-रविवार मध्यरात्रि सामने घाट पर युवती समेत तीन की मौत होने के बाद भी सेल्फी लेने वालों की होड़ कम नहीं हो रहे है। दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट और शीतला घाट का भ्रमण किया तो देखा की स्नान करने आए लोग बाढ़ के पानी में भी सेल्फी लेने में मशगूल रहे। उनको थोड़ा सा भी इस बात का डर नहीं था कि पैर फिसला तो सीधे जान भी जा सकती है। घाटों की सीढिपर गीली मिट्टी जमा होने से फिसलन बढ़ गई है। कई तो अपने साथ कैमरामैन भी साथ लाए थे। सेल्फी लेने वालों में टीनएजर्स ज्यादा शामिल रहे। राजेन्द्र प्रसाद घाट पर नहाने आए लोग स्नान करते हुए बोट पर चढ़ गए और सेल्फी लेने में व्यस्त हो गए। यही हाल शीतला घाट और दशाश्वमेध घाट पर भी देखने को मिला।
जल पुलिस प्रभारी मिथिलेश यादव की मानें तो बाढ़ के समय सभी घाट डेंजर हो जाते हैं। घाट किनारे या फिर बोट पर चढ़कर लोगों को तो सेल्फी लेनी ही नहीं चाहिए। मिथिलेश यादव ने बताया कि वर्ष 2021 से लेकर 2024 तक 90 से अधिक लोगों की जान बचाई गई है। घाटों पर सेल्फी लेने से रोकने के लिए जल पुलिस के जवान तैनात हैं। दिनभर वह चक्रमण करते रहते हैं, लेकिन लोग रात के अंधेरे में भी सेल्फी लेने घाटों पर पहुंच जा रहे हैं।
सीढियां और मढियां डूबीं
अस्सी और नमो घाट पर अक्सर सेल्फी लेने से घटना होती है। यह दो घाट तो खतरे वाले हैं ही, लेकिन बाढ़ के समय सभी घाट खतरनाक हो जाते हैं। बाढ़ के पानी में सभी सीढि?ां और मढिां डूब चुकी हैं। यहां के लोगों को घाट के बारे में पता हैै लेकिन बाहरी लोगों को घाट किनारे की गहराई के बारे में जानकारी नहीं है और सेल्फी लेने में मशगूल हो जाते हैं। इसके बाद थोड़ा सा भी संतुलन बिगड़ता है तो सीधे जान ही जाती है।
बनारस में 84 घाट
वाराणसी में कुल 84 घाट हैं, जिसमें अस्सी, तुलसीघाट, ललिताघाट, मुंशीघाट, दशाश्वेमध, सिंधिया घाट, गोला घाट, बालाजी घाट, पंचगंगा घाट, गायघाट, भैंसासुर घाट ज्यादा फेमस है, जहां सेल्फी लेना खतरनाक भी है। अक्सर यंगस्टर्स की भीड़ इन्हीं घाटों पर ज्यादा रहती है। शक्का घाट, तेलियानालना, नमोघाट, आदिकेशव घाट, गायघाट, रानी महाल, बूंदीपरकोटा घाट समेत सभी घाट डेंजर हो जाता है।
डूब चुके हैं चेतावनी बोर्ड
84 में से कुछ ही घाटों पर नगर निगम ने चेतावनी बोर्ड लगाए हैं, लेकिन वह भी बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं। बोर्ड भी इतने नीचे लगाए गए हैं कि किसी को पता ही नहीं चलता है कि कहां पर चेतावनी बोर्ड लगा है।