निगम की नीयत में खोट, सिंगल यूज प्लास्टिक पर नहीं हो रही चोट 

निगम की नीयत में खोट, सिंगल यूज प्लास्टिक पर नहीं हो रही चोट 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। पर्यावरण के लिए घातक सिंगल यूज प्लास्टिक पर शासन की ओर से प्रतिबंध के बाद भी गांव से लेकर शहर तक पर्यावरण में इसका जहर घुल रहा है। शहर में चाय की दुकान हो या फिर नाश्ते की। सभी जगह सामान प्लास्टिक में ही दिया जा रहा है। सब्जी-फल की दुकानों पर भी इसमें छिप-छिपा कर फिक्स ग्राहकों को सामान बेचे जा रहे हैं। बेचने वाले और उपयोगकर्ता अफसरों की खींचतान से शह पा रहे हैं। प्लास्टिक मुक्त प्रदेश और प्लास्टिक मुक्त देश यह प्लान कई साल से सरकारें चला रही हैं। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली कई बड़ी एजेंसियां और निजी संस्थाएं भी अभियान चला रही हैं। इसके बावजूद धरातल पर प्लास्टिक मुक्त अभियान का कोई असर नहीं हो रहा है। प्लास्टिक मानव जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। इसकी वजह से लोग इसे चाह कर भी नहीं छोड़ पा रहे हैं। बाजारों में प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से जारी है। बहरहाल इस अभियान का साकारात्मक पहलू यह है कि नगर निगमों की आय में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। ऐसा ही हाल वाराणसी नगर निगम का भी है। वाराणसी नगर निगम के दावों पर गौर करें तो 2021-22 के वित्तीय वर्ष से लेकर 2024-25 के वित्तीय वर्ष में हर साल कई टन प्लास्टिक जब्त किया गया। 2021-22 में 20 टन से ज्यादा 2022-23 में 31 टन, 2023 24 में लगभग 6 टन और 2024-25 में अब तक लगभग 16 टन से ज्यादा प्लास्टिक जब्त किया गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बनारस में प्लास्टिक का इस्तेमाल जबरदस्त तरीके से हो रहा है. हालांकि वसूली के जरिए नगर निगम ने इन चार साल में हर साल राजस्व बढ़ोतरी कर रहा है। नगर निगम ने अब तक अभियान चलाकर लगभग डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी की है। दरअसल वाराणसी नगर निगम प्लास्टिक को बंद करने के बजाय वसूली पर ही जोर दे रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार सत्ता (2017) में आने के बाद प्लास्टिक के खिलाफ सख्त अभियान चला कर बिक्री और इस्तेमाल पर रोक के दिशा निर्देश दिए थे। शुरूआत में कुछ दिन सख्ती रही, लेकिन समय के साथ नगर निगम के मातहत केवल वूसली तक केंद्रित रह गए हैं।

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

गौरतलब हो कि शहर के दुकानों में अभी भी बेधडक सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है, हालांकि नगर निगम इस पर प्रतिबंध लगाने जागरूकता अभियान व बीच-बीच में कार्रवाई कर रही है, लेकिन यह भी खानापूर्ति ही हो रहा है। वहीं कुछ दुकानदारों पर जुमार्ना भी लगाया जा रहा है, लेकिन निर्माणकर्ता पर कार्रवाई नहीं होने के कारण बाजार में आने पर बिक्री चल रहा है। वहीं कुछ कंपनियों द्वारा स्टॉक कम किया गया है, लेकिन कई जगह अभी इसका उपयोग हो रहा है। ऐसे में नगर निगम द्वारा जब तक कड़ाई से इसका पालन नहीं कराया जाएगा तब तक इस पर रोक लगना मुश्किल है।

दुकानदार दो तरह के रख रहे थैले

गौरतलब हो कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने के बाद शुरू में नगर निगम द्वारा शहर के छोटे से बड़े सभी दुकानों में इसी जांच की गई थी, जिससे कई दुकानदारों पर कार्रवाई भी हुई, उस समय से अब दुकानदार भी दो तरह के थैली रख रहे हैं, जिससे अगर कोई जांच के लिए जाता है तो कैरी बैग का उपयोग करते हैं, वहीं उनके जाते ही फिर से प्लास्टिक थैली का उपयोग होने लगता है। ऐसे में उनका कहना है कि कैरी बैग मंहगा पड़ता है, जिसके चलते उसका उपयोग बहुत कम करते हैं।

दुनिया के लिए खतरा

तेजी से बढ़ता प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। प्लास्टिक प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान प्लास्टिक की थैलियों का होता है। आम तौर पर उपयोग में लायी जाने वाली प्लास्टिक की थैलियां सैकड़ों सालों तक डीकंपोज नहीं होती हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। पॉलीथिन में गरम चाय लाने से लेकर सब्जियों तक के भरने से नुकसान पहुंचता है। डॉक्टर भी बताते हैं कि गरम चाय प्लास्टिक में लेकर सेवन करने से कैंसर होता है।

पॉलीथिन दे रही कई तरह की बीमारियां

डॉक्टरों की माने तो पॉलीथिन के प्रयोग से सांस और त्वचा संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहा है। इससे लोगों में कैंसर का भी खतरा बढ़ा रहा है। स्थिति यह है कि पॉलीथिन के उपयोग के कारण लोगों पर जीवन भर रोगों का संकट मंडराता रहता है। यही नहीं, यह गर्भस्थ शिशु के विकास को भी रोक सकती है।