वाराणसी में मनाया गया सांस्कृतिक एकता का जश्न
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वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी तमिल संगमम के सांस्कृतिक संध्या में बांसुरी वादन और पारंपरिक नृत्यों की अद्भुत प्रस्तुति देखने को मिला। कार्यक्रम में नागालैंड के राज्यपाल महामहिम एल. गणेशन ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने अपने उद्बोधन में उन्होंने काशी तमिल संगमम को भारत को एकजुट करने का एक प्रभावी माध्यम बताया। कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस पुण्यभूमि वाराणसी आने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि काशी-तमिल संगम गंगा और कावेरी के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस अद्भुत आयोजन को मूर्त रूप देने के लिए धन्यवाद दिया। नमो घाट स्थित मुक्त आकाश मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें उत्तर और दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं का संगम देखने को मिल रहा है। इसी श्रृंखला में, आकाशवाणी और दूरदर्शन वाराणसी के उप निदेशक राजेश कुमार गौतम के बांसुरी वादन ने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उन्होंने जमुना तट श्याम खेले होली की धुन बजाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनके साथ तबला पर डॉ. रजनीश तिवारी, हारमोनियम पर काजोल वाल्मीकि एवं अन्य वाद्य यंत्रों पर प्रकाश गौतम ने संगत कर प्रस्तुति को और अधिक प्रभावशाली बनाया। इसके पश्चात तनुश्री राय ने राम का गुणगान करो जीत गया भजन प्रस्तुत किया, जिसके बाद मंगलवाद्यम् की विशेष प्रस्तुति ने संपूर्ण वातावरण को भक्तिमय कर दिया।
दक्षिण भारतीय कलाकारों के नृत्य पर झूमें श्रद्धालु
इसके बाद तमिलनाडु की पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियां हुईं, जिनमें थप्पत्तम, कुम्मी, कोलाट्टम, अम्मानट्टम एवं ग्रामिया कलाई अट्टम प्रमुख रहे। थप्पत्तम नृत्य में कलाकार विशेष प्रकार के ड्रम (थप्पू) का प्रयोग करते हैं, जिसे मुख्य रूप से तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में उत्सवों और सामाजिक आयोजनों के दौरान प्रस्तुत किया जाता है। कुम्मी नृत्य में महिलाएँ एक सर्कल में ताल मिलाकर ताली बजाते हुए गीत गाती हैं, जिससे यह नृत्य सामूहिकता और हर्षोल्लास का प्रतीक बनता है। कोलाट्टम, जिसे ह्यलाठी नृत्यह्ण भी कहा जाता है, में नर्तक अपने हाथों में छोटी-छोटी लकड़ियाँ लेकर उन्हें एक-दूसरे से टकराते हुए नृत्य करते हैं, जिससे यह नृत्य टीम भावना और समन्वय का प्रतीक बन जाता है। अम्मानट्टम नृत्य देवी शक्ति की आराधना में किया जाता है, जिसमें नृत्यांगनाएँ भक्ति भाव से देवी की स्तुति करती हैं, वहीं ग्रामिया कलाई अट्टम तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाने वाला लोक नृत्य है, जो वहाँ की संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली को प्रदर्शित करता है।
देश के लिए सांस्कृतिक चुंबक है काशी : जयशंकर
वाराणसी (रणभेरी सं.)। पूरे देश के लिए काशी सांस्कृतिक चुंबक है। इससे देश के हर कोने के व्यक्ति का जुड़ाव है। तमिलनाडु के लोगों का से यह और गहरा है। काशी-तमिल संगमम् इसी अनूठे संबंध का उत्सव है। यह बातें विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहीं। वह रविवार को बीएचयू के ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में काशी-तमिल संगमम्-3.0 के बौद्धिक सत्र में बोल रहे थे। विदेशमंत्री ने कहा कि भारत विविधताओं की भूमि है। दूसरे देशों के लोग आश्चर्यचकित होते हैं कि विभिन्न भाषाओं, परंपराओं और विश्वासों के बावजूद यह देश एक सूत्र में कैसे बंधा है। उन्होंने कहा कि इस विविधता में एकता भारत को एक राष्ट्र के रूप में जोड़ती है। काशी तमिल संगमम में आए 45 देशों के राजदूतों को कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि काशी-तमिल संगमम विविधता में एकता के उत्सव का एक उदाहरण है। इसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। तमिल के डेलीगेट्स राजगोपालन ने विदेशमंत्री से उत्सव के बारे तीन महत्वपूर्ण बातें पूछीं। इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की गौरवशाली विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इसका उत्सव मनाना जरूरी है। विरासत के उत्सव से संस्कृति जीवंत रहती हैं। भारत सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। अतिथियों का स्वागत करते हुए बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार ने कहा कि विभिन्न देशों के प्रमुखों की उपस्थिति भारत की वैश्विक पहुंच और ऐतिहासिक संबंधों का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि 1916 में महामना मदन मोहन मालवीय के स्थापित बीएचयू हमेशा ज्ञान, राष्ट्रीय एकता और शैक्षणिक उत्कृष्टता का केंद्र रहा है। सत्र का संचालन आईआईटी-बीएचयू के प्रोफेसर वी. रामनाथन ने किया।
तीसरे संस्करण को विराम देने आज आएंगी वित्तमंत्री
वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी-तमिल संगमम के तीसरे संस्करण को सोमवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण विराम देंगी। नमो घाट समापन समारोह में कलाकार दस दिनों के अनुभव साझा करेंगे। विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों का छात्र समूह भी प्रतिभाग करेगा। उनके साथ शिक्षा मंत्रालय में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मामलों के राज्यमंत्री सुकांत मजूमदार और प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर की होंगे। सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन होगा। बता दें कि 15 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संगमम का उद्घाटन किया था।