वीडीए जोनल देगें ज्ञान, कैसे कराना हैं अवैध निर्माण
- पहले भ्रष्ट जोनल की जेब में करिये रकम की सप्लाई, फिर दो मंजिल निर्माण के बाद करिये मानचित्र स्वीकृति के लिए अप्लाई
- दशाश्वमेध वार्ड के मंडुआडीह, मुढै़ला, मडौली, चुरामनपुर, लहरतारा, नाथूपुर, बीएलडब्लू क्षेत्र में धड़ल्ले से जारी हैं अवैध निर्माण
- भ्रष्ट अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर देते हैं मानचित्र को स्वीकृति, कार्रवाई के नाम पर बेच देते है अपना ईमान
संजय सिंह
वाराणसी (रणभेरी / विशेष संवाददाता)। एक कहावत आपने सुनी होगी... कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है, मिले गर भाव अच्छा तो जिम्मेदार भी अपनी कुर्सी बेच देता है। जी हां, कुछ इसी तरह का वाकया है प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भ्रष्टतम विभाग वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का। वीडीए के लोभी अधिकारियों के निजी स्वार्थ की बदौलत शहर में अवैध निमार्णों की बाढ़ आ गयी है। शहर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां अवैध मकान न बने हो। ये भ्रष्ट अधिकारी सील और डील का खेल खेलकर सीएम योगी आदित्यनाथ के आंख में भी निरंतर धूल झोंकते हैं। ये लोभी अधिकारी चंद रुपए की लालच में अपना ईमान धन्नासेठों और रसूखदारों के चरणों में गिरवी रख देते हैं। अवैध निर्माण में सबसे बड़ा हाथ वीडीए के जोनल अधिकारी और जेई का होता है। वीडीए के जोनल अधिकारी इतने धूर्त है की किसी भी अवैध निर्माण की भनक इनको सबसे पहले लग जाती है। सूत्र बताते हैं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर होने वाले वाले अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए बाकायदा विभाग के बड़े अफसरों ने अपना-अपना आदमी सेट कर रखा है, जो घूम-घूम कर अवैध निर्माण की रेकी करते है और फिर ऐसे अवैध निर्माण की सूचना वीडीए के बड़े अधिकारी तक पहुंचाते हैं। जिसके बाद जोनल अधिकारी बकायदा लाव-लश्कर के साथ अवैध निर्माण तक पहुंचते है। यहीं से डील डॉल देने के बाद शुरू होता है वीडीए अफसरों का असली खेल। ये अवैध निर्माण को इसलिए सील नहीं करते की यह वास्तव में अवैध हैं बल्कि सील के पीछे इनका मकसद भारी भरकम डील का होता है।
जब आपके पसंदीदा अखबार गूंज उठी रणभेरी के संवाददाता ने शहर के दशाश्वमेध वार्ड का भ्रमण किया तो पता चला की दशाश्वमेध वार्ड के मंडुआडीह, मुढै़ला, मडौली, चुरामनपुर, लहरतारा, नाथूपुर, बीएलडब्लू आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी हैं। जब इस अवैध निर्माण की तहकीकात की गई तो मालूम हुआ कि यह सारे अवैध निर्माण वीडीए जोनल की पूर्ण सहमति और बताये उपाय के दम पर ही हो रहे है। वीडीए के जोनल बाकायदा अवैध निर्माणकर्ता को अवैध रूप से निर्माण पूरा करने का उपाय बताते है। सूत्रों ने बताया की नाथूपुर और बरेका मुख्य मार्ग पर जो अवैध निर्माण हो रहा वह भी वीडीए जोनल के संरक्षण में ही हो रहे है। यहाँ दो मंजिल तक निर्माण हो जाने के बाद जब शिकायत पर वीडीए के जोनल अधिकारी पहुंचे तो मानचित्र अवैध निर्माण करने वाले को ही बचने का रास्ता बताकर अपनी सेटिंग कर बैठे। स्थिति देखकर यह कहने में कोई दो राय नहीं की.... न नियम कानून का पालन, न सेटबैक का ध्यान... वीडीए जोनल का जेब भरिये और बनाइये अवैध मकान।
असल में वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों ने धर्म नगरी काशी में अधार्मिक कृत्यों का खुलेआम ठेका ले रखा है। वाराणसी में धनबलियों और रसूखदारों के आगे वीडीए के अधिकारी अपना जमीर और ईमान पूरी तरह से गिरवी रख चुके है। एक तरफ शहर में अवैध निमार्णों के खिलाफ अभियान दिखाकर विभाग अपने ही कुकर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है वहीँ दूसरी तरफ आज भी शहर के सभी जोन अंतर्गत सैकड़ों ऐसे व्यवसायिक अवैध निर्माण का कार्य प्रगति की ओर है जिन्हें सम्बंधित जोनल अधिकारियों का पूरा संरक्षण प्राप्त है। शहर में एक भी ऐसा अवैध निर्माण नहीं जिसकी भनक वीडीए को ना हो। वीडीए के कर्मचारी सुबह से शाम तक मोहल्लावार शहर के अगल अलग क्षेत्रों में रेकी कर यही पता करते रहते हैं कि कहां-कहां अवैध निर्माण शुरू हुआ है।
सूत्रों की माने तो वाराणसी में विकास प्राधिकरण के सभी जोनल अफसरों ने अवर अभियंताओं के जरिये अब क्षेत्रवार आउटसाइडरों की भी तैनाती कर दी है जिन्हें बाकायदा अवैध निमार्णों की सूचना,मीटिंग,सीलिंग और डीलिंग के लिए वसूली की रकम में से कमीशन भी दिया जाता है। यहीं वजह है की किसी भी व्यक्ति के मकान के पास अगर बालू, गिट्टी या कोई भी भवन निर्माण सामाग्री गिर जाए तो उसकी सूचना भी वीडीए अधिकारियों तक तुरंत पहुंच जाती है। लेकिन यह शर्मनाक है कि सबकुछ जानते हुए भी वाराणसी विकास प्राधिकरण अंधा बना हुआ है। असल में अवैध निमार्णों से अनजान बनने के पीछे का खेल कुछ और ही है और यहीं से शुरू हो जाता है विभाग के अवैध वसूली का दौर।
नियमों का हवाला देकर अवैध निर्माणों को देते हैं शह
शहर में होने वाले अवैध निर्माणों को विकास प्राधिकरण के अधिकारी शह देते हैं। सील की कार्रवाई के बाद नक्शा दाखिल करने पर ही उसे खोल दिया जाता है। कई मामलों में तो सील के बाद निर्माण पूरा हो गया और शमन मानचित्र दाखिल किया गया। हकीकत यह है कि अवैध निर्माण करने वालों में वीडीए का कोई खौफ नहीं है।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
विकास प्राधिकरण में अलग-अलग जोन की जिम्मेदारी के लिए टीमें बनायी गई है। बिना नक्शा स्वीकृत कराए जगह-जगह निर्माण किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आवासीय के साथ ही व्यावसायिक और बड़े अवैध निर्माण तक पर भी निजी हित सधने के बाद कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति होती है। जितने भी अवैध निर्माण सील किए गए, इनमें ज्यादातर निर्माण सील के बावजूद पूरे कर लिए गए।
सीएम के आदेश को भी ठेंगे पर रखते है अधिकारी
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जब भी बनारस आते तो अक्सर वीडीए और नगर निगम के अधिकारीयों संग बैठक कर शहर में अवैध निर्माण को रोकने, अवैध निर्माण को ध्वस्त करने और शहर को साफ व सुंदर बनाए रखने के लिए जरूर निर्देशित करते है लेकिन वीडीए के भ्रष्ट अधिकारी सीएम के आदेश को भी ताख पर रखकर अवैध निर्माण को वसूली का जरिया बनाते है। कार्रवाई के नाम पर अगर कुछ की जाती है तो वह है खानापूर्ति। अवैध प्लॉटिंग पर ध्वस्तिकरण की कार्रवाई सिर्फ मुख्यमंत्री को गुमराह करने के लिए किया जाता है। वीडीए के भ्रस्ट अधिकारी इतने शातिर है की अवैध प्लॉटिंग के ध्वस्तिकरण की आड़ में अवैध भवनों के निर्माण को शह देते है क्यूंकि यहाँ से इन्हें अच्छी खासी रकम मिल जाती है।
दशाश्वमेध जोन में अवैध निर्माणों की बाढ़
दशाश्वमेध जोन के मंडुवाडीह क्षेत्र में नियमों को ताक पर रख कर दो अवैध निर्माण की सूचना हमारे पत्र कार्यालय को जागरूक स्थानीय नागरिकों द्वारा दी गयी । पहला मामला मंडुवाडीह चौराहे से बरेका की तरफ 100 मीटर आगे मुख्य सड़क का है जहां धनबल की बदौलत अवैध रूप से व्यवसायिक भवन का निर्माण चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह निर्माण क्षेत्र के एक रसूखदार व्यवसायी का है जिसे विकास प्राधिकरण के दशाश्वमेध जोनल अधिकारी का खुला संरक्षण प्राप्त है यहां धड़ल्ले से एक होटल का निर्माण किया जा रहा है। वहीं दूसरे तरफ मंडुवाडीह में ही बरेका क्षेत्र के नाथूपुर में किसी दुबे जी नामक व्यक्ति द्वारा धडल्ले से अवैध निर्माण करवाया जा रहा है। इन मामलों में यह कहना सरासर गलत होगा कि इन दोनों अवैध निर्माण के बारे में वीडीए के अधिकारियों को जानकारी ना हो। परन्तु जब सब कुछ सेटिंग-गेटिंग के तहत हो रहा हो तो कुछ भी गलत नहीं माना जाता यही वजह है कि विभागीय अफसर अपने आँख,कान और मुंह को बंद कर अवैध निमार्णों को खुला संरक्षण देकर तब तक किनारा किये रहते हैं जबतक कोई व्यक्ति ऐसे किसी भी अवैध निर्माण की शिकायत न करें। अवैध निर्माण की शिकायत न मिलने तक विभागीय रूप से ये अफसर अनजान बने होने का दावा करते हैं और तबतक किसी कार्रवाई करने की जुर्रत नहीं करते क्यूंकि मामला तो पहले से सेट ही होता है। और जबकि निर्माण किसी बाहुबली,धनबली या फिर रसूखदार व्यक्ति द्वारा करवाया जा रहा हो तो आसानी से कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं उठता।
दरअसल जिले में वीडीए के जोनल अधिकारियों के को सारे अवैध निर्माण की पुख्ता जानकारी होती है। वीडीए जोनल के अधीनस्थ अवर अभियंता सेटिंग-गेटिंग में इतने माहिर होते है कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई का भय दिखाकर बड़े आसानी से डील करके सबका रास्ता बना ही लेते हैं। और डील होने के बाद तो भवन स्वामी या ठेकेदार बिना किसी डर के नियम-कानून को ताख पर रख कर धड़ल्ले से अवैध निर्माण को पूरा कर रंगरोगन कर ही लेते हैं। निर्माण के बीच में अगर कोई शिकायत मिली तो इन भ्रष्ट अधिकारियों का रेट और भी बढ़ जाता है।