BLW घूस प्रकरण: एक अन्य अफसर पर भी गिरेगी गाज, मिले पुख्ता सबूत

 BLW घूस प्रकरण: एक अन्य अफसर पर भी गिरेगी गाज, मिले पुख्ता सबूत

(रणभेरी): बीएलडब्ल्यू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एक्सईएन ओमप्रकाश सोनकर को सीबीआई दिल्ली ने शुक्रवार को तीन लाख रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के साथ ही फुलवरिया स्थित राणा नगर कॉलोनी में आवासीय परिसर की तलाशी ली गई। सीबीआई ने गिरफ्तारी के बाद लखनऊ न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया। उधर बरेका प्रशासन ने आरोपित अभियंता को निलंबित कर दिया है।एक्सईएन ओमप्रकाश सोनकर के खिलाफ एक ठेकेदार ने शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप लगाया कि एक कार्य का बिल बनाने के लिए एक्सईएन तीन लाख रुपये मांग रहे हैं। बार-बार अनुनय-विनय के बाद भी रुपये के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस पर सीबीआई ने ठेकेदार के जरिये जाल बिछाया। आवास पर तीन लाख रुपये रिश्वत लेते एक्सईएन को गिरफ्तार कर लिया।

वही अब ओमप्रकाश सोनकर के बाद अब विभाग के एक और अफसर पर गाज गिर सकती है। सीबीआई को जांच में उसके खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं। उधर, रेलवे बोर्ड की बैठक के बाद रविवार को बरेका पहुंचीं महाप्रबंधक अंजली गोयल ने भी इस मामले में अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरी जानकारी ली। इससे माना जा रहा है कि उक्त अफसर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तय है।उधर, इलेक्ट्रिकल, फाइनेंस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी नींद उड़ी हुई है। फाइलों और दस्तावेजों को दुरुस्त किया जा रहा है।  सीबीआई सूत्रों के अनुसार शुक्रवार की शाम फुलवरिया स्थित राणानगर कॉलोनी में सीनियर सिविल इंजीनियर ओमप्रकाश सोनकर के घर पर छापा मारा गया था तो विभाग के कर्मचारियों को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था।

विभाग के बाबू से पूछताछ के बाद कार्यालय के कंप्यूटर आदि को भी खंगाला था। ठेकेदार का आरोप था कि एक्सईएन सोनकर के अलावा वह अफसर भी बिल पास करने में आनाकानी कर रहा था। डेढ़ करोड़ के बिल पास करने के एवज में पैसे की मांग की जा रही थी। विभाग के बाबू ने सीबीआई को पूछताछ में बताया कि साहब के कहने पर ही बिल रोका गया था और बाबू ने बिल का प्रिंट भी सीबीआई को दिया था। चितईपुर के टिकरी निवासी ठेकेदार ने आरोप लगाया कि डेढ़ माह पूर्व जोन वर्क का टेंडर रद्द कराने में भी उक्त अफसर का हाथ है। पहले 5.80 करोड़ और दूसरा 4.65 करोड़ का जोन वर्क के तहत रेलवे क्वार्टरों में  दरवाजा और खिड़की लगने का टेंडर जारी हुआ।

रेलवे के नया नियम 27 अप्रैल को आने के बाद वह ठेकेदार अयोग्य हो गया और टेंडर नहीं डाल सका। इसके बाद उक्त अफसर ने टेंडर को रद्द कर दिया। इसके बाद दोनों टेंडर को टुकड़ों में एक-एक करोड़ का टेंडर जारी किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए महाप्रबंधक सख्त हैं। सभी को उन्होंने चेतावनी दी है कि भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, विभागों में वर्षों से जमे बाबुओं की भी सूची तैयार कराई जा रही है।